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  • Against The Target Of 2.73 Lakh Hectares, Only 4% Paddy Was Sown, Time Is Running Out, Those Sown Are Also Drying Up

किसानों का टूट रहा धैर्य...:लक्ष्य 2.73 लाख हैक्टेयर की तुलना में 4% ही हुई धान की बुवाई, समय निकल रहा, जो बोए वे भी सूख रहे

बूंदी2 वर्ष पहले
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बूंदी. किसानों ने अच्छी फसल की आस में धान तो बो दिए, लेकिन बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। अब उनके सामने इन बोए पौधों को बचाने की चुनौती है। - Dainik Bhaskar
बूंदी. किसानों ने अच्छी फसल की आस में धान तो बो दिए, लेकिन बारिश नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। अब उनके सामने इन बोए पौधों को बचाने की चुनौती है।
  • 14 जुलाई तक औसत 767 मिमी की तुलना में आधी से कम 343 मिमी ही हुई बारिश, चिंता में अन्नदाता

दिनेश शर्मा | मानसून की बेरूखी ने जिले के 2 लाख से अधिक किसानों को चिंता में डाल रखा है। पिछले सालों की तुलना में 14 जुलाई तक औसत बरसात से इस बार आधी भी नहीं हुई, जबकि बुवाई का समय निकल रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी धान उत्पादक किसानों काे आ रही है। पिछले साल 14 जुलाई तक जिले में 93 हजार 740 हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी, जो इस साल अभी तक मात्र 10 हजार हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई। बुवाई का टारगेट 2 लाख 73 हजार हैक्टेयर रखा गया है। टारगेट की तुलना में इस बार मात्र 4 प्रतिशत ही बुवाई हो पाई है। इनमें अब तक 4065 हैक्टेयर में धान की राेपाई हो पाई है, जबकि पिछले साल 14 जुलाई तक 30 हजार 367 हैक्टेयर में राेपाई-बुवाई निबट गई थी। समय निकलने के साथ किसानों का धैर्य टूट रहा है।

जिन किसानों ने पिछले दिनों हुई बरसात के बाद अपने खेतों में बुवाई कर दी थी, वे अब उस फसल को बचाने के लिए परेशान हो रहे हैं।मक्का, ज्वार, बाजरा की बुवाई का समय निकलता जा रहा है। देशी मक्का की बुवाई अब नहीं हो सकती है। हालांकि अल्पावधि शंकर किस्म की मक्का बुवाई जा सकती है। धान की बुवाई का समय 31 जुलाई तक है। सोयाबीन, तिल, उड़द की बुवाई की जा सकती है। बरसात देरी से हाेती है तो उड़द का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। फिलहाल कृषि विभाग ने 93 हजार हैक्टेयर का टारगेट माना हुआ है, लेकिन यह 1 लाख 25 हजार हैक्टेयर पर पहुंच सकता है।

बारिश का यह रहा है रिकाॅर्ड : 10 सालों में 14 जुलाई तक औसत बारिश 767 मिमी

जिले में 10 सालों की 14 जुलाई तक औसतन बरसात देखें तो 767 एमएम है। इसी तरह पिछले पांच सालों की औसत बरसात 750 एमएम है। पिछले साल औसतन बरसात 510 एमएम रही। इस साल अब तक 343 एमएम बरसात हुई है, पिछले साल 14 जुलाई तक 787 एमएम बरसात हुई थी। अब इसे ब्लॉकवार देखे तो बूंदी में 126 मिमी, तालेड़ा में 48, केशवरायपाटन में 64, इंद्रगढ़ में 33, नैनवां में 59, हिंडौली में 13 एमएम बारिश हुई।

पिछले साल ब्लॉकवार देखें तो बूंदी में 162, तालेड़ा में 152, केशवरायपाटन में 110, इंद्रगढ़ में 69, नैनवां में 116, हिंडौली में 178 एमएम बरसात हुई है। इसमें भी वर्ष 2019 में हुई बरसात सबको याद आती है। मानसून के दौरान सभी बांध छलक गए थे। कई जगह जलप्लावन के हालात बने थे। वर्ष 2019 में 14 जुलाई तक 1414 एमएम बरसात हुई थी। पूरे मानसून सीजन में 7192 एमएम बरसात रिकार्ड की गई। वर्ष 2018 में 3831 एमएम बरसात हुई थी। वर्ष 2020 में 2946 एमएम बरसात रिकाॅर्ड की गई।