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पीपरवाला गांव निवासी सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीणा ने अपने इकलौते बेटे की सगाई में वधु पक्ष की और से दिए गए 11 लाख 101 रुपए में से केवल 101 रुपए रखकर दहेज प्रथा के खात्मे को लेकर नजीर पेश की। साथ ही, समाज व आमजन को धन की बजाय योग्यता-काबलियत का चुनाव करने की सीख दी। इस अनुकरणीय पहल के गांव से शुरू हाेकर पूरे जिले में हर जुबान पर चर्चे हो रहे हैं। पीपरवाला के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य बृजमोहन मीणा ने अपने बेटे रामधन मीणा का रिश्ता टोंक जिले के उनियारा तहसील में मंडावरा ग्राम पंचायत के सोलतपुरा गांव में आरती मीणा के साथ किया था।
इस समाराेह में वधु पक्ष की तरफ से चली आ रही परंपरा का निर्वाह करते हुए वर पक्ष को 11 लाख 101 रुपए और धार्मिक ग्रंथ गीता भेंट की। साथ में जाने वाले मेहमानों को कपड़े देकर पहरावणी की रस्म की गई, लेकिन दूल्हे के पिता बृजमोहन ने शगुन के रूप केवल 101 रुपए व धार्मिक ग्रंथ गीता ही अपने पास रखी, जबकि 11 लाख रुपए वधु पक्ष को वापस लौट दिए। इसके साथ ही समाज में सालों से पनप रही दहेज प्रथा, फिजूलखर्ची और अन्य कुरीतियों के खात्मे के संदेश दिया। इस दौरान समाज के पंचों, दुल्हन के पिता राधेश्याम मीणा, दादा पूर्व सरपंच प्रभुलाल मीणा, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य कन्हैयालाल मीणा (माणी), शिवजीराम मीणा, राकेश मीणा, विजेंद्र, मुकेंद्र, प्रमोद मीणा ने फैसले की सराहना करके आमजन और समाज को इससे सीख लेने की अपील की। उधर, मीणा समाज के नैनवां तहसील अध्यक्ष आशाराम मीणा ने इसे अच्छी पहल बताकर कहा कि समाजबंधुओं काे भी इससे सीख लेने की जरूरत है।
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