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केंद्रीय विद्यालय के पास अगले सत्र में 10वीं से 11वीं क्लास में पहुंचने वाले बच्चों के लिए भवन नहीं है। प्रिंसिपल ने भी 10वीं के बच्चों के अभिभावकों को बुलाकर साफ कह दिया है कि 11वीं में जाने वाले बच्चों के लिए नए सत्र में दूसरा स्कूल तलाश कर लें। अभिभावकों की चिंता यह है कि उन्हें बच्चों को इस विद्यालय से हटाकर प्राइवेट स्कूल में एडमिशन दिलाना पड़ेगा, प्राइवेट स्कूलों की फीस काफी अधिक होगी।इस संबंध में अभिभावक कलेक्टर से भी मिले। अभिभावकों ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल ने उन्हें बताया है कि 10वीं के बच्चों को नए सेशन में 11वीं में भवन नहीं होने के कारण पढ़ाया जाना संभव नहीं है। ऐसे में बच्चों के प्रवेश के लिए नया स्कूल तलाशना शुरू कर दें।अभिभावकों का कहना था कि इससे उनके सामने विकट समस्या खड़ी हो गई है कि हमारे बच्चों को नए सत्र में एडमिशन मिलेगा या नहीं। यदि प्राइवेट स्कूल में एडमिशन मिल भी गया तो बड़ी फीस चुकानी पड़ेगी, जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी उठानी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि हम इस संबंध में 16 फरवरी को प्रिंसिपल से भी मिले। जिन्होंने बताया कि भवन निर्माण के लिए जमीन अलॉट हो चुकी है। नक्शा तैयार है, लेकिन निर्माण के लिए बजट नहीं है।
अब अभिभावकों की चिंता...बच्चों को इस विद्यालय से हटाकर प्राइवेट में एडमिशन दिलाना पड़ेगा, जिसकी फीस महंगी
फैक्ट फाइल}अप्रैल 2015 में स्कूल खुला था}पहला बैच ही है 11वीं में जाने वाले छात्रों का}इसलिए नहीं है जगह....प्रशासन ने अपर प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग दे रखी है, जिसमें 10वीं में पढ़ाने तक की ही जगह है, 11वीं क्लास के लिए पर्याप्त जगह नहीं}सेंट्रल स्कूल के नॉर्म्स के मुताबिक बिल्डिंग और दूसरी फैसिलिटी नहीं
अगस्त 2020 में मंत्रालय को बजट के लिए लिखा था, कुछ हुआ नहीं: अगस्त 2020 में मंत्रालय को बजट के लिए लिखा भी था, पर अभी कुछ नहीं हुआ। अभिभावकों का कहना है कि केंद्रीय विद्यालय खुले छह साल हो गए, जमीन का आवंटन और नक्शा तैयार हुए भी चार साल हो गए पर भवन निर्माण के लिए अब तक भी बजट जारी नहीं हुआ है। केंद्रीय विद्यालय प्रबंधन तत्परता दिखाता तो इतने सालों में बूंदी का एकमात्र केंद्रीय विद्यालय उच्च माध्यमिक स्तर का होता। अभिभावकों का कहना था कि अगर भवन नहीं बनता है तो उनके बच्चे उच्च माध्यमिक कक्षा में नहीं पढ़ पाएंगे। उन्होंने कलेक्टर से मांग की है कि जब तक विद्यालय का भवन नहीं बन जाता, तब तक 11वीं में बच्चों की पढ़ाई के लिए वैकल्पिक या अन्य जगह स्थाई व्यवस्था करवाई जाए, ताकि उन्हें मानसिक-आर्थिक परेशानी ना हो।
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