सऊदी अरब में पिछले चार साल से फंसे राजस्थान के बूंदी जिले के रहने वाले भारतीय नागरिक की मंगलवार को जयपुर एयरपोर्ट पर स्वदेश वापसी हो गई है। बूंदी जिले के नैनवा निवासी हफीज मोहम्मद चार साल पहले रोजगार के लिये एजेंट के जरिए सऊदी अरब गया था। वहां पर जिस कंपनी में काम करता था, वह देश छोड़कर भाग गई। कंपनी के मालिक ने देश छोड़कर जाने से पहले कर्मचारियों का सऊदी अरब में रहने का वैध दस्तावेज वीजा 'इकामा' भी रिनिवल नहीं करवाया। जिससे भारतीय नागरिक का रोजगार तो गया ही साथ ही सऊदी अरब में अवैध नागरिक और बन गया।
हफीज ने भारत आने की काफी कोशिश की, लेकिन कोई सफल नहीं हो सका। हालत यह हो गयी कि वह सऊदी अरब से भारत अपने परिवार के पास आने के लिए आंसू बहा रहा था तो यहां नैनवा में असहाय बच्चें व पत्नी उसके लिए रो रहे थे। थक हार कर दो महीने पहले हफीज ने विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिए काम करने वाले चर्मेश शर्मा से स्वदेश वापसी के लिए मदद मांगी। इसके बाद शर्मा ने राष्ट्रपति भवन प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के माध्यम से मामला उठाया तो सऊदी अरब भारतीय दूतावास ने कार्यवाही शुरू की। वतन वापसी होने के बाद हाफिज मोहम्मद ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वतन लौट कर बहुत खुशी महसूस हो रही है। भारत जैसा कोई देश नहीं है। उन्होंने दर्द बयान करते हुए सऊदी अरब की यात्राओं के बारे में जिक्र किया और उनको भारत में लाने वाले प्रयास करने वाले लोगों को धन्यवाद भी दिया है।
परिवार ने ली राहत की सांस
पिछले 4 साल से हफीज के भारत आने का इंतजार कर रहे पत्नी व बच्चों ने उसके भारत आने की बाधा दूर होने से राहत की सांस ली है। भारतीय नागरिक का परिवार पिछले कई सालों से परेशान हो रहा था, लेकिन उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। विदेश से कई संकटग्रस्त भारतीयों की अपने प्रयासों से सकुशल वापसी करवा चुके चर्मेश शर्मा ने सऊदी अरब में फंसे हुये भारतीय नागरिक को 4 साल बाद भारत आने की अनुमति मिलने पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक की वापसी को लेकर पिछले दो महीने से विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास से लगातार बातचीत चल रही थी। शर्मा ने कहा कि यह ऐसा मामला था जिसमें नियोक्ता कंपनी और कंपनी का मालिक सऊदी अरब छोड़कर दूसरे देश में भाग चुके थे। ऐसे में एक निर्दोष भारतीय नागरिक को वीजा रिनुअल नहीं होने से अवैध नागरिक के रूप में चोरी-छिपे नारकीय जीवन जीना पड़ रहा था।
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