मौत से पहले और बाद तक यहां संघर्ष करना पड़ता है। एक-एक चीज के लिए दौड़ना पड़ता है। यहां की तस्वीर अखबारों में छपने वाले दावों के पूरी तरह उलट है...। काेविड हाॅस्पिटल (एनएमसीएच) की अव्यवस्थाओं पर बात करते-करते डीसीएम निवासी मधु राजा भावुक हाे जाते हैं। उनकी भांजी झालावाड़ निवासी सीमा (34) की रविवार सुबह माैत हाे गई, सीमा 17 दिन से नए अस्पताल में एडमिट थी। मधु राजा कहते हैं- माैत के बाद डेड बाॅडी काे बाहर तक लाने के वार्ड ब्वाॅय ने 1 हजार रुपए मांगे।
हम जैसे-तैसे स्ट्रेचर से बाहर तक शव लाए और कंधे पर उठाकर गाड़ी में रखा। बाहर आकर एंबुलेंस वालाें से डेड बाॅडी काे झालावाड़ तक पहुंचाने के लिए बात की ताे किसी ने 35 हजार, किसी ने 18 हजार और किसी ने 15 हजार रुपए तक मांगे। अंत में मेरे जीजा (सीमा के पिता) ने डेड बॉडी को अपनी कार में आगे सीट बेल्ट से बांधा और झालावाड़ लेकर आए।
17 दिन में बाहर से लानी पड़ी 70 से 75 हजार रुपए की दवाइयां
मधु राजा ने बताया कि ऐसा तो प्राइवेट अस्पतालों में भी नहीं होता। नए अस्पताल में बिना पैसे के कोई काम नहीं होता। हर आदमी को पैसे देने पड़ रहे हैं। भर्ती रहने के दौरान हमें करीब 70-75 हजार रुपए की दवाइयां तो बाहर से लानी पड़ी। जबकि दावे किए जाते हैं कि सबकुछ फ्री है और सारी दवाइयां सरकारी स्तर पर मिलती हैं। हमें सीमा का शव वार्ड से बाहर लाने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ी। वार्ड ब्वॉय ने 1 हजार रुपए की डिमांड की। पैसा नहीं देने पर उसने शव काे हाथ तक नहीं लगाया। बस बॉडी को बैग में पैक करके सौंप दिया। जिस वक्त भांजी की डेड बॉडी लेकर जा रहे थे, तभी एक और शव को इसी तरह कुछ परिजन कार में लेकर जाने को विवश थे।
किसी का फोन आया तो गंभीर हालत के बावजूद जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया था
मधु राजा ने बताया कि भांजी सीमा कोरोना पॉजिटिव थी, उसे 7 मई को नए अस्पताल में भर्ती कराया था। उसके ससुराल पक्ष में कुछ अधिकारी हैं, जिनकी सिफारिश पर बेड मिल पाया था। एचआरसीटी जांच में उसका स्कोर 22/25 था, सेचुरेशन 31 रह गया था। गंभीर हालत में उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। धीरे-धीरे रिकवरी होने लगी। बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के सेचुरेशन 60 के ऊपर पहुंच गया था। तीन दिन पहले उसने रोटी भी खाई थी। लेकिन अचानक आईसीयू बेड खाली करने को कह दिया गया। जबकि उसकी स्थिति सामान्य नहीं थी। हम डॉक्टरों व स्टाफ के सामने गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन नहीं माने और जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया। उसे हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत थी, जो आईसीयू में मिल रही थी, लेकिन जनरल वार्ड में नहीं मिल पाई। जनरल वार्ड में आने के बाद से ही उसकी तबीयत वापस बिगड़ने लग गई। आईसीयू में बेड खाली करने के लिए डॉक्टरों के पास किसी का फोन आया था, इस पर उन्होंने तत्काल मेरी भांजी को वहां से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इसी वार्ड में रविवार सुबह सीमा की मौत हो गई। उसके एक छोटा बच्चा है।
कोरोना संक्रमित 9 लोगों ने दम तोड़ा, 51 नए केस मिले
झालावाड़| जिले में सोमवार को संक्रमितों की संख्या 51 रही। कई दिनों बाद संक्रमितों की संख्या 100 से कम हुई है। इससे पहले 13 अप्रैल को 50 रोगी आए थे। इसके बाद तो संक्रमितों की संख्या 100 से ऊपर निकलती गई और 800 से ऊपर पहुंच गई। अब जाकर संक्रमितों संख्या में कमी आने से राहत मिली है, लेकिन कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में एक बार फिर इजाफा हुआ है। सोमवार को एक बार फिर मौतों का आंकड़ा 9 हो गया।
जिला एसआरजी अस्पताल में सोमवार को इतने लोगों ने दम तोड़ दिया। जिले में अब संक्रमितों की कुल संख्या 17184 हो गई है। इनमें से 13626 रिकवर हो गए है। अब एक्टिव केसों की संख्या घटकर 3364 रह गई है।अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार कोविड वार्ड में 9 लोगों की मौत हुई। इनमें भवानीमंडी निवासी 50 वर्षीया वृद्धा, गुवाड़ी कला मंडावर निवासी 45 वर्षीय युवक, झालरापाटन ब्लॉक के मांडा श्यामपुरा निवासी 40 वर्षीय युवक, झालावाड़ निवासी 69 वर्षीया वृद्धा, झालावाड़ निवासी 55 वर्षीय वृद्ध, बारां जिला अटरू निवासी 45 वर्षीया महिला, रामगंजमंडी निवासी 85 वर्षीया महिला, झालरापाटन निवासी 32 वर्षीया महिला, झालावाड़ निवासी 57 वर्षीय महिला ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। सीएमएचओ डॉ. साजिद खान ने बताया कि सोमवार को 382 सैंपल लिए गए थे, जिनको जांच के लिए झालावाड़ मेडिकल कॉलेज भेजा गया, जहां जांच करने पर 51 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है।
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