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पीएफ डिपार्टमेंट ने गुरुवार काे नगरपरिषद पर बड़ी कार्रवाई की है। नगरपरिषद के ठेकाकर्मचारियों के पीएफ के 94 लाख रुपए बकाया होने पर नगरपरिषद के तीन बैंक खाते सीज किए हैं। इन खाताें को सीज करने पर मिले 94 लाख रुपए जब्त कर लिए है। यह राशि यहां 4 साल से बकाया चल रही थी। जानकारी के अनुसार नगरपरिषद ने खुद पीएफ में रजिस्ट्रेशन करवा रखा है।वर्ष 2012 से 2016 तक यहां सफाई कर्मचारी, गार्डनर सहित अन्य कार्मिक ठेकेदारों के माध्यम से रखे गए। इन ठेकेदारों को जब नगरपरिषद ने भुगतान किया तो न तो उसमें पीएफ राशि दी और न ही इसकी अनिवार्यता रखी। इसी के चलते पीएफ डिपार्टमेंट से नोटिस पर नोटिस मिलते गए और अधिकारियों ने बिना पीएफ के ही कार्मिकों के ठेके देना जारी रखा। इसकी जांच में पता चला कि 4 साल में रखे गए कर्मचारियों के पीएफ का 94 लाख रुपए का भुगतान होना था, लेकिन एक रुपया भी पीएफ में जमा नहीं हो पाया। इसके लिए नगरपरिषद पर कार्रवाई शुरू हुई, फिर भी अधिकारियों ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। दरअसल, नियमानुसार 10 से अधिक कर्मचारी होने पर कर्मचारियों का पीएफ जमा होना अनिवार्य है। इसमें संबंधित विभाग यदि पीएफ में रजिस्टर्ड है तो वह सीधे ही यह राशि कर्मचारियों के खातों में जमा करवा सकता है। इसके अलावा यदि ठेकाकर्मी हैं तो ठेकेदार संबंधित कर्मचारियों का पीएफ जमा करवाता है, लेकिन नगरपरिषद में यह दोनेां ही प्रक्रियाएं नहीं हो पाईं। इससे कर्मचारियों के न तो पीएफ खाते खुल पाए और न ही राशि जमा हो पाई। इस पर पीएफ विभाग ने सेक्शन सात के तहत बैंक खाते सीज करने की कार्रवाई की।
अब ठेकाकर्मी नगर परिषद में करेंगे दावेदारीनगरपरिषद में जिन ठेकाकर्मियों ने 2012 से 2016 तक कार्य किया है वे कार्मिक सीधे नगरपरिषद में अपनी दावेदारी पेश करेंगे। यहां वे बताएंगे कि उन्होंने कौनसे सन में कितने दिन कार्य किया था। इसके बाद नगरपरिषद से यह डिटेल सीधे पीएफ विभाग को जाएगी। वहां से इन कार्मिकों के एकाउंट नंबर में राशि डाली जाएगी।सेक्शन सात के तहत तीन खाते सीज किए गए^ नगरपरिषद में 2012 से 2016 तक रखे कार्मिकों के पीएफ की राशि जमा नहीं हुई है। इस कारण सेक्शन सात के तहत कार्रवाई करते हुए 3 खाते सीज किए गए। इन खातों में 94 लाख रुपए की राशि हमें मिल चुकी है। इतना ही हमें नगरपरिषद से वसूल करना था।- मनीष सिंह, क्षेत्रीय आयुक्त, पीएफ, कोटा
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