जज्बे से हारा काेराेना:कोरोना को हराकर दो माह बाद घर लौटी मुंडेरी की पूर्व सरपंच

झालावाड़2 वर्ष पहले
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  • डेढ़ माह तक वेंटिलेटर पर रही 62 वर्षीया वृद्धा, तीन दिन तक बेड तक नहीं मिला था

शहर से 4 किमी दूर मुंडेरी पंचायत की पूर्व सरपंच 62 वर्षीया वृद्धा ने दो माह 5 दिन कोरोना से संघर्ष कर आखिर उसे हरा ही दिया। मंगलवार को को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इससे पहले वे डेढ़ महीने तक वेंटिलेटर पर रही। दरअसल, मुंडेरी निवासी ईसरा बेगम की 8 मई को बुखार आने व हाथ-पैर में दर्द के कारण हालत गंभीर हो गई थी। उस समय कोरोना पीक पर था। जब वे अस्पताल पहुंची तो उनको बेड तक नहीं मिला। तीन दिन तक इमरजेंसी वार्ड में बेड पर ऑक्सीजन के सहारे रही।

बाद में परिजनों ने प्रयास कर उनके लिए बेड का इंतजाम किया। इसके बाद उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लगातार डाउन होता गया। इस पर आईसीयू में भर्ती कर वेंटिलेटर पर लिया। महीनेभर वेंटिलेटर पर रही। दो दिन वेंटिलेटर हटाया तो फिर तबीयत बिगड़ी ताे उन्हें फिर से वेंटिलेटर पर लिया। इस प्रकार डेढ़ माह तक वे वेंटिलेटर पर रही। 4 दिन तो वाे बेहोशी की हालत में रही। एक समय ताे परिवार ने उम्मीद ही छोड़ दी थी, लेकिन वृद्धा के हौसले के आगे कोरोना काे हारना ही पड़ा। दो माह 5 दिन के बाद अब वे स्वस्थ होकर अपने घर लौटी है।

अस्पताल का मंजर डराता है: पूर्व सरपंच ईसरा बेगम बताती है कि अस्पताल में भर्ती के दौरान वहां का मंजर डराता है। तीन दिन बेड नहीं मिलने पर ऑक्सीजन पर रही। इसके बाद वार्ड में रही और प्रतिदिन लोगों को मरते देखा। उनके सामने कई मरीजों की डेड बॉडी निकली तो वे भी काफी विचलित होती थी।

डॉक्टरों ने मरीज और परिजन दोनों का हौसला बढ़ाया: जब बुजुर्ग को अस्पताल लेकर आए तो कोरोना पीक पर था। बेड मिल रहा था न रेमडेसिविर इंजेक्शन। अस्पताल से प्रतिदिन 20-20 डेट बॉडी निकल रही थी। इससे परिजन और मरीज दोनों ही परेशान थे, लेकिन बुजुर्ग महिला का इलाज कर रही टीम में शामिल डॉ. रघुनंदन मीणा, डॉ. सुमित चौधरी, अरविंद नेहरा ने इलाज किया बल्कि हमेशा उन्हें जल्दी स्वस्थ हाेने की बात कह कर हौसला बढ़ाते रहे।