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झालरापाटन नगरपालिका में करीब छह साल पहले घाेटाले की गंगा ऐसी बही कि इसमें हाथ धाेने से पूर्व चेयरमैन, कार्यालय सहायक, ईओ, जेईएन, सफाई निरीक्षक व कर्मचारी भी पीछे नहीं रहे। इन जनप्रतिनिधियाें व सरकारी कार्मिकाें ने अपने पद कर दुरुपयोग कर सरकारी जमीनों को सस्ते दामों में बेचकर उन पर निर्माण की स्वीकृति जारी कर दी। सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि पहुंचाते हुए खुद ने जमकर मलाई चाटी। एक परिवादी की शिकायत के बाद इस मामले की जांच एसीबी के पास थी। जांच में कई चाैंकाने वाले तथ्य उजागर हुए। जांच में पता चला कि नगरपालिका में कुल 32 मामलाें में अनियमितताएं बरतते हुए सरकार काे कराेड़ाें रुपए के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। इस पूरे मामले में एसीबी ने जांच कर मुख्यालय काे रिपाेर्ट भेज दी है। झालावाड़ एसीबी के एएसपी ने सभी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की अनुशंसा के साथ जांच रिपोर्ट मुख्यालय जयपुर भेज दी है। वहां से निर्णय होते ही आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।एएसपी भवानीशंकर मीणा ने बताया कि झालरापाटन निवासी वार्ड नंबर 14 के पूर्व पार्षद ओमप्रकाश यादव ने 23 जनवरी 2015 को परिवाद पेश कर बताया कि झालरापाटन नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन डॉ. राजेश शर्मा, कार्यालय सहायक विमल कुमार जैन, अधिशासी अधिकारी आरके गोयल, बशीर मोहम्मद, जेईएन तरूण लहरी, रामबाबू यादव, सफाई निरीक्षक विद्यारतन, कनिष्ठ लिपिक बृजमोहन श्रृंगी, कनिष्ठ सहायक राजेश गुर्जर व महावीर शर्मा सहित अन्य कर्मचारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर जिस सरकारी जमीन की कीमत 6 हजार रुपए वर्ग फीट थी, उसको मात्र 125 रुपए वर्ग फीट में बेच दी। इससे इन लाेगाें ने राज्य सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि पहुंचाई। इस पर एसीबी ने जांच कर रिपाेर्ट मुख्यालय काे भेज दी।
परिवाद में लगाए सभी 32 आराेप एसीबी की जांच में हुए प्रमाणित
1- नियम विरूद्ध निर्माण स्वीकृतियां जारी की वार्ड नंबर 9 में 16 प्लॉट कटवाकर मकान बनाने की नियम विरुद्ध निर्माण स्वीकृतियां जारी कर दी। इसमें 15 प्लॉटों पर भूखंडों का निर्माण करवाया जा चुका है। विधि सलाहकार द्वारा भी मकान बनाने की निर्माण स्वीकृति को नियम विरूद्ध माना गया।2- अतिक्रमण करवाकर पंजीयन भी कर दिया 1984 में झालरापाटन में महात्मा गांधी हरिशचंद कॉलोनी में बिना लॉटरी के गरीबों को बिना कलेक्टर व नगर नियोजक की अनुमति के नियम विरूद्ध बिना रुपए जमा करवाए प्लॉट आवंटित कर दिए और अतिक्रमण करवा मकान भी बनवा दिए। ऐसे प्लॉट का पंजीयन नहीं करने के डीएलबी द्वारा निर्देश दिए गए थे।3- प्लाॅट की आधी साइज काे माना स्ट्रीप ऑफ लैंड: द्वारकाधीश कॉलोनी झालरापाटन प्लॉट नंबर 48 को प्लॉट 45 में बदल दिया गया, जबकि यह प्लॉट 1992 में विमल कुमार जैन ने लॉटरी में खरीदा था। इसके अतिरिक्त 35 से सटा हुआ प्लाट 36 की आधी स्ट्रीप का बेचान करवा दिया तथा आधा हिस्सा प्लॉट नंबर 37 के मालिक को दिलवा दिया।4- अतिक्रमण कर बने मकान का पट्टा दे दिया: वर्ष 2013 स्टेट ग्रांट एक्ट के तहत सुशीलाबाई खटीक के नाम से जारी आवासीय पट्टा जारी किया गया, जबकि वह महिला हरिशचंद कॉलोनी में अतिक्रमण किए हुए मकान में रहती थी। इसी तरह गुलाब बाई भील को भी आवासीय पट्टा जारी किया गया तथा उस पर व्यवसायिक निर्माण कराकर दुकानों का बेचान कर दिया। इसके लिए न तो स्वीकृति ली गई और न ही कन्वर्जन राशि जमा करवाई गई।5- सफाई निरीक्षक ने अपने नाम की आवंटित कराया प्लाॅट: महात्मा गांधी कॉलोनी प्लॉट पी/डी 1 को नगरपालिका में कार्यरत सफाई निरीक्षक विद्यारतन ने नियम विरूद्ध अपने ही नाम सीधा आवंटित कर मकान बना लिया।6- प्लाॅट पर कब्जा कराया, बाद में अस्पताल बनवा दिया: बस स्टैंड महात्मा गांधी कॉलोनी झालरापाटन प्लाट नंबर 187 प्रतापसिंह के नाम था प्लॉट 189 डॉ. नेमीचंद वर्मा के नाम आवंटित है। डॉ. नेमीचंद वर्मा ने नगरपालिका के अधिकारियों से मिलीभगत कर प्लाट 188 पर कब्जा कर लिया तथा उस प्लॉट काे अपने प्लाट नंबर 189 में मिलाकर अस्पताल बना लिया।7- जमीन 6 हजार वर्गफीट, पार्षद ने 125 रुपए की दर से खरीदा: नगरपालिका के पूर्व पार्षद श्यामलाल शर्मा की माता दयावती के नाम बस स्टैंड रोड झालरापाटन में सीधे आवंटन के तहत आवंटित भूखंड के पास खाली पड़ी जमीन को पार्षद रहते हुए नियम विरूद्ध खरीद लिया। उस जमीन की दर 6 हजार रुपए वर्ग फीट थी, लेकिन उसे मात्र 125 रुपए दर से खरीदा है। इस प्रकार करीब 32 आरोप थे।
पॉजिटिव- आज आर्थिक योजनाओं को फलीभूत करने का उचित समय है। पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी क्षमता अनुसार काम करें। भूमि संबंधी खरीद-फरोख्त का काम संपन्न हो सकता है। विद्यार्थियों की करियर संबंधी किसी समस्...
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