दूसरी लहर के बाद कोरोना के केस आने कम हुए तो सरकार ने स्कूल पूरी क्षमता के साथ खोलने के निर्देश दे दिए। साथ ही स्कूल्स के लिए दिशा निर्देश भी जारी किए गए। लेकिन ये दिशा निर्देश सरकारी स्कूल में ही पूरे नहीं किए जा पा रहे हैं। सरकारी स्कूलों में न तो संसाधन है न ही मॉनिटरिंग की व्यवस्था है। नतीजा अगर तीसरी लहर आती है तो ये स्कूली बच्चे कोरोना के कैरियर बन सकते है।
कोटा में ही सरकारी स्कूलों के हाल ये है कि विद्यार्थियों में न तो सोशल डिस्टेंसिंग है न ही बच्चे मास्क पहन कर स्कूल आ रहे है। कोरोना से बचाव का पहला तरीका ही 'दो गज दूरी' बताया गया है। लेकिन यहां हालात ये है कि एक कमरे में दो दो कक्षाएं चल रही है। भवनों में कमरों की कमी के चलते एक कमरे में कई विद्यार्थियों को बैठा कर पढ़ाया जा रहा है। इससे सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही है। ज्यादातर बच्चें मास्क लगाकर नही पहुंच रहे।
निजी में संसाधन ,सरकारी में कमी
दिशा निर्देशों की पालना में निजी स्कूल फिर भी सक्षम है। निजी स्कूलों में सैनिटाइजर की व्यवस्था है। जो बच्चे मास्क नहीं पहन कर आते,उन्हें स्कूल में मास्क दिए जाते है। क्लासरूम में निश्चित दूरी पर बच्चों को बैठाया जा रहा है। लेकिन सरकारी स्कूलों में न तो सेनेटाइज के लिए मशीन है न ही पर्याप्त संख्या में मास्क की व्यवस्था। परिसर में जगह की कमी से सोशल डिस्टेंसिंग का तो सवाल ही नहीं उठता।
छोटे बच्चों को कैसे संभाले
बड़ी क्लासेज के बच्चें फिर भी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते नजर आ जाते है। लेकिन छोटे बच्चों को इनकी पालना करवाना बेहद मुश्किल है। क्लास में बच्चे पास पास बैठ रहे है। लंच ब्रेक में एक साथ खेल रहे है। ऐसे में सरकारी निर्देश की पालना यहां संभव नहीं हो रही।
ये हैं दिशा निर्देश
सरकार के निर्देशों के अनुसार स्कूलों में सेनेटाइज की पूरी व्यवस्था होगी, क्लासरूम को बार बार सेनेटाइज किया जाएगा। बिना मास्क बच्चों की स्कूल में एंट्री नहीं होगी। क्लास में बच्चों के बीच निश्चित दूरी होगी। ऑनलाइन क्लास की भी व्यवस्था करनी होगी। लंच ब्रेक में बच्चे एक दूसरे के संपर्क में न आए, इसकी व्यवस्था करनी होगी। लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब और मजदूर परिवारों से है। ऐसे में इनके पास ऑनलाइन पढ़ाई की भी व्यवस्था नही है।
हमने सभी अधिकारियों को निरीक्षण के निर्देश दिए है। मास्क की व्यवस्था के लिए कहा हुआ है। जिन स्कूल में जगह की कमी है उनसे प्रस्ताव मांगे है। जो प्रस्ताव मिले उन स्कूल को दो शिफ्ट में चलाया जा रहा है। आगे भी प्रस्ताव मिलेंगे तो शिफ्ट बढ़ा देंगे। केके शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी
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