आपको जानकर हैरानी होगी कि जिम में एक्सर्साइज करते समय भी बिजली बन सकती है। कोटा में सरकारी स्कूल की 11वीं छात्रा ने एक ऐसा 'इलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस बाई जिम' डेमो डिवाइस तैयार किया है। जिसके जरिए एक्सर्साइज करते समय डिवाइस में लगी बैटरी चार्ज होगी। और लाइट जाने पर उसी बैटरी से ऑटोमेटिक, पंखे व ट्यूबलाइट चालू हो जाएंगे। इस डेमो डिवाइस के जरिए मोबाइल भी चार्ज हो सकेंगे। इसको तैयार करने वाली डिंपल प्रजापत (16) ने बताया कि इसके जरिए मैकेनिकल एनर्जी को बिजली में बदला जाता है।
क्या है 'इलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस बाई जिम'
डिंपल ने बताया कि ये डेमो डिवाइस पुली सिस्टम पर काम करता है। जिम की मशीनों की साफ्ट से डीसी मोटर को कनेक्ट किया जाता है। इस डेमो डिवाइस में 60 RPM (छोटी)की डीसी मोटर व 3.7 वॉल्ट की डीसी बैटरी (लिथियमआयन रिचार्जेबल बैटरी)व PNP ट्रांजिस्टर लगाया है। साथ ही रिवर्स करंट को रोकने के लिए एक डायोर्ड लगा है जो स्विच की तरह काम करता है। एक केपेसेटर (1 हजार माइक्रोफेरड) लगाया है जो डीसी करंट बनाने के काम में आता है। चार्जिंग इंडिकेशन देने के लिए रेड LED लाइट व 5 वाल्ट का डीसी आउटपुट मोबाइल चार्जिंग कर लिए लगाया है।
डिंपल का कहना है कि एक्सर्साइज करते समय डीसी मोटर 1 मिनट में 60 बार रोटेट होती है। इससे डीसी बैटरी चार्ज होती है। फिर ट्रांजिस्टर के जरिए बैटरी में स्टोर की गई बिजली का उपयोग किया जा सकता है। इसमें ऑटोमेटिक सिस्टम लगा है।
भाई के साथ जिम गई,लाइट जाने पर आइडिया आया
डिंपल तीन भाई बहिन में सबसे छोटी है। मैथ्स की स्टूडेंट है। बड़ा भाई कम्प्टीशन की तैयारी कर रहा है। बहिन नर्सिंग कॉलेज में पढ़ाई करती है। पिता खुशपाल ऑटो चलाते है। एक बार डिंपल, बड़े भाई के साथ जिम पर गई।उस दौरान जिम में लाइट चली गई। अंधेरा हो गया। उस समय उसके दिमाग में आइडिया आया कि यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। उसने अपनी साइंस की टीचर से बात की। साइंस टीचर ने अन्य टीचरों से सहयोग लेकर डेमो डिवाइस तैयार करवाने में मदद की।
इंस्पायर अवार्ड की राशि से की शुरुआत
डिपंल ने इससे पहले सोलर ऊर्जा से बिजली बनाने वाला डिवाइस बनाया था।उसका इंस्पायर अवार्ड में सलेक्शन हुआ था। 10 हजार की राशि मिली थी। उन्ही पैसों से डिपंल ने 'इलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस बाई जिम' तैयार किया। गर्मियों की छुट्टियों में स्कूल में इसे तैयार किया। इसे तैयार करने में डेढ़ से 2 महीने का वक्त लगा। और करीब 3 हजार का खर्चा आया। डेमो डिवाइस में लगने वाले सामान टीचर ने उपलब्ध कराए। डिपंल ने खुद इन्हें असेंबल किया।
LED बल्ब व मोबाइल चार्ज कर बताया
डिंपल ने इस डेमो डिवाइस से 6 वाट का LED बल्ब चालू कर बताया। साथ ही मोबाइल भी चार्ज कर बताया। डिंपल का कहना है ये डेमो डिवाइस है। इसमें जरूरत के हिसाब से डीसी बैटरी,डीसी मोटर व ट्रांजिस्टर लगाकर कैपिसिटी को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि उसने इसकी कोशिश नहीं की।
पिता खुशपाल का कहना है कि वो कम पढ़े लिखे है और ऑटो चलाते है ,डिंपल जो बना रही है वैसे प्रोजेक्ट सभी बच्चे बनाए। इनको बनाने से बच्चों का पढ़ाई में ध्यान जाता है। सब बच्चे परमात्मा के जीव है। बुद्धि परमात्मा ही देता है। मैने मेरी जिंदगी में कभी नहीं सोचा था मेरी बेटी ऐसा प्रोजेक्ट बनाएगी।
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