जिला प्रमुख मुकेश मेघवाल की गाड़ी के विवाद में नया माेड़ आया है। भाजपा विधायकाें मदन दिलावर व संदीप शर्मा ने उनकी नई कार के लिए अपने विधायक काेष से 10-10 लाख देने की अनुशंसा की है। हालांकि जिला परिषद ने उनको टैक्सी उपलब्ध करवा दी है। नई गाड़ी खरीदने का प्रस्ताव भी सरकार काे भेज दिया है। ऐसे में सवाल ये है कि विधायक निधि से इतना पैसा जनहित के कार्याें की बजाए जिला प्रमुख की गाड़ी के लिए खर्च करना कितना सही है?
दिलावर व संदीप शर्मा ने जिला प्रमुख मेघवाल की कार के लिए विधायक काेष से 10-10 लाख की अनुशंसा की, बोले-सरकार भेदभाव कर रही है
सूत्रों के अनुसार विधायक निधि से गाड़ी खरीदने के पैसे दिए जा सकते हैं। लेकिन ये किसी व्यक्ति के लिए नहीं खरीदी जा सकती। सूत्रों के अनुसार विधायक निधि से बोलेरे नॉन एसी गाड़ी खरीदी जा सकती है, जो 10 लाख से कम में आती है। हालांकि इसपर अंतिम फैसला पंचायती राज विभाग ही लेगा।
जिला परिषद ने 2012 में जिला प्रमुख के लिए नया वाहन खरीदा था। भाजपा के मुकेश मेघवाल एक महीने पहले जिला प्रमुख बने तो उन्हें पुरानी गाड़ी की मरम्मत करवाकर दी गई। मेघवाल का कहना था कि तीन दिन बाद ही गांव जाते समय उसके ब्रेक फेल हाे गए। उसके बाद वे बाइक से जिला परिषद आने लगे। इस पर भाजपाइयाें ने जिला परिषद में हंगामा भी किया था। जिला परिषद सीईओ ममता तिवाड़ी का कहना है कि चुनाव से पहले ही जिला प्रमुख की गाड़ी के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
दिलावर बोले- जनप्रतिनिधि टैक्सी में थोड़े ही घूमेगा
^ सरकारजिला प्रमुख से भेदभाव कर रही है। पुरानी गाड़ी खराब है ताे तुरंत नई गाड़ी देनी चाहिए। जनप्रतिनिधि का अपमान किया जा रहा है। जनप्रतिनिधि टैक्सी में जनसेवा के काम के लिए थाेड़े ही घूमेगा। नियमाें के तहत ही राशि दी है। -मदन दिलावर, विधायक, रामंगजमंडी
जिला प्रमुख जिले का प्रथम नागरिक होता है। उसे ग्रामीण इलाके में जाकर विकास कार्याें को देखना पड़ता है। लेकिन कांग्रेस सरकार भेदभाव कर रही है। उन्हें पुरानी गाड़ी दी थी वह खराब थी। ऐसी गाड़ी में जनप्रतिनिधि कैसे घूम सकता है। इसलिए मजबूरी में 10 लाख रुपए के अनुशंसा करनी पड़ी। -संदीप शर्मा, विधायक, कोटा दक्षिण
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