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उपखंड क्षेत्र के किसानों को अब अपनी फसलों को बचाने का संकट खाए जा रहा है। पानी की कमी के कारण किसान परेशान हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि सर्दी के दिनों में भी जलस्तर काफी नीचे चला गया है। जो किसान कुओं या तालाबों से पानी लिया करते थे, अब उनके लिए बंदोबस्त नहीं है। क्योंकि कुवे और जलाशय सूख चुके हैं।
किसानों का कहना है कि अब फसलों में दाना पकने लगा है। ऐसे में पानी नहीं पिलाया गया तो फसलें खराब होने का अंदेशा है। किसानों का कहना है कि अगर फसलों की गुणवत्ता बचानी है तो हर हाल में पानी पिलाना होगा, लेकिन हमारी समझ में नहीं आ रहा है कि पानी कहां से लाएं।
उम्मीद: बारिश आ जाए तो बच सकती हैं फसलें
भास्कर रिपोर्टर ने शनिवार को उपखंड के 8 गांवों में जाकर हालात जाने तो चौकाने वाली तस्वीरें सामने आईं। सर्दी के दिनों में तो जलाशयों में पानी होता है, लेकिन इस बार तो सर्दी के दिनों में ही जलाशय पूरी तरह से सूख चुके हैं। कुवों की ऐसी हालत है कि देखने में दूर-दूर तक पानी दिखाई नहीं देता है। किसानों का कहना है कि अब तो इंद्रदेव भगवान की कृपा ही हमें बचा सकती है।
मजबूरी में महंगी फव्वारा सिंचाई कर रहे किसान
भास्कर रिपोर्टर को कुछ खेतों में फव्वारे चलते दिखे। मौके पर मौजूद किसानों ने बताया कि हम लोग तो मजबूरी में फव्वारा सिंचाई कर रहे हैं। जलाशय तो पूरी तरह से सूख चुके हैं, लेकिन हमें तो फसलों को बचाना है, ऐसे में जुगाड़ करके फव्वारों से फसलों को जीवित रखे हुए हैं। किसान बाबूलाल, रामलाल का कहना था कि यह आधुनिक सिंचाई पद्धति है तो बेहतर, लेकिन काफी महंगी है। क्योंकि हमें अपने परिवार को भी पालना है।
फरवरी के अंत में चाहिए फसलों को पानी
किसानों ने बताया कि वर्तमान में फसलें खेतों में लहलहा रही हैं। यानी कि फसलें पकने के दौर में हैं। ऐसे में अब फरवरी के आखिरी सप्ताह में फसलों को हर हाल में पानी चाहिए। अगर इस समय पानी नहीं दिया तो मार्च के प्रथम सप्ताह में तो फसलों को बचाने के लिए सिंचाई करना जरूरी होगा। अगर समय पर पानी नहीं पिलाया तो फसलें पूरी तरह से पक नहीं पांएगी। ऐसे में फसलों की गुणवत्ता पर असर होगा और हमें माल का अच्छा भाव नहीं मिल पाएगा।
कृषि पर्यवेक्षक का यह है कहना
^फसल पकने के समय पानी की आवश्यकता है। ऐसे में अगर फसल को पानी नही मिलता है तो दाना पूरी तरह से मूल स्वरूप में नहीं आ पाएगा। किसानों के सामने परेशानी है, यह सही बात है। इससे गुणवत्ता प्रभावित होगी और उत्पादन पर भी असर होगा। ऐसे में अब एकमात्र फव्वारा सिंचाई ही फसलों को बचाने का उपाय है।
- किशन कलवार, कृषि पर्यवेक्षक, रामगंजमंडी
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