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वर्ष 2014 में एमबीएस अस्पताल में हुए ह्यूमेन एल्बुमिन इंजेक्शन घोटाले में 6 साल बाद आरोपियों को गिरफ्तारी हुई है। लंबी जांच के बाद एसीबी कोटा देहात की टीम ने आरोपी तत्कालीन सेंट्रल स्टोर प्रभारी विनोद गुप्ता (नर्स ग्रेड प्रथम) व तत्कालीन बीपीएल दवा वितरण प्रभारी बालचंद पवार नर्स ग्रेड प्रथम (सेवानिवृत्त) को गिरफ्तार किया है।
टीम ने दोनों को एसीबी कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों को 4 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। औषधि नियंत्रण विभाग ने जुलाई 2014 में विज्ञान नगर की दुर्गा मेडिकोज पर सरकारी सप्लाई का ह्यूमेन एल्बुमिन इंजेक्शन पकड़ा था।
इस पर नोट फोर सेल लिखा था। इस मामले में सीएमएचओ की ओर से विज्ञान नगर थाने में मामला दर्ज कराया गया था। इसके बाद एसीबी की टीम ने अस्पतालों के रिकॉर्ड खंगाले थे। जांच में इंजेक्शन गबन होने का मामला सामने आया था।
क्या है ह्यूमेन एल्बुमिन इंजेक्शन
इस इंजेक्शन की बाजार कीमत लगभग 3500 रुपए है। इसका उपयोग लीवर, किडनी एवं अन्य बहुत सी गम्भीर बीमारियों में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए किया जाता है।
27 लाख का किया था गबन
एसीबी व औषधि नियंत्रण की टीम ने 4 अगस्त 2014 को जिला औषधि भंडार का रिकॉर्ड खंगाला। तत्कालीन इंचार्ज महेंद्र त्रिपाठी से इंजेक्शन की जांच में पाया कि सेंट्रल स्टोर प्रभारी विनोद गुप्ता ने 1289 ह्यूमेन एल्बुमिन इंजेक्शन का गबन कर बाजार में बेच दिया। इन ह्यूमेन एल्बुमिन इंजेक्शन की बाजार दर 3500 रुपए है।
इस हिसाब से राज्य सरकार को लगभग 27 लाख को आर्थिक नुकसान हुआ। रिपोर्ट एसीबी मुख्यालय भिजवाई, जिसमें सेंट्रल स्टोर प्रभारी विनोद गुप्ता, बीपीएल दवा वितरण प्रभारी बालचंद पंवार, पूर्व अधीक्षक डॉ. एआर गुप्ता व कैंसर विभाग के एचओडी व सेंट्रल स्टोर के प्रभारी अधिकारी रहे डॉ. आरके तंवर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की। मुख्यालय के निर्देश पर अगस्त 2014 में मामला दर्ज किया।
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