कांग्रेस पार्टी आज भी नेहरू गांधी परिवार के चेहरों वाली पार्टी है। उदयपुर में हो रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर में भी वही चेहरे दिखाई दे रहे है। जबकि भारतीय जनता पार्टी मैं ऐसा नहीं है यहां सभी को मौका मिलता है। यह कहना था पूर्व भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यूनुस खान का जो कि कुचामन के दौरे पर रहे। कुचामन में निजी दौरे पर आए पूर्व मंत्री खान ने वरिष्ठ पत्रकार मनोज जोशी के आवास पर मीडिया कर्मियों से मुखातिब होते हुए कांग्रेस पर जमकर हमले बोले।
उन्होंने कहा कि सूबे की अशोक गहलोत सरकार को जनता से कोई सरोकार नहीं, वो सिर्फ अपने कैबिनेट और विधायकों, यानी कुल 109 लोगों का ख्याल रखते है। किस तरह 109 लोगों को एक साथ लेकर चला जाए इसकी व्यूह रचना करने में ही यह सरकार व्यस्त है। क्योंकि सीएम गहलोत को कार्यकाल के 5 साल पूरा करने की फिक्र हैं। खान ने आरोप लगाया की कांग्रेस विधायकों का टारगेट एक ही है, केवल और केवल भ्रष्टाचार।
इधर आना विधानसभा क्षेत्र के विधायक और उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी के अपने कार्यकाल में किए जा रहे विकास के दावों पर भी उन्होंने तंज कसा और कहा कि आज वह कुचामन के मुख्य सड़क से गुजरे तो हर सड़क टूटी फूटी है तो ऐसे में कहां हुआ हैं विकास? प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूर्व मंत्री यूनुस खान ने डीडवाना के वर्तमान कांग्रेस विधायक चेतन डूडी पर भी निशाने साधे। उन्होंने कहा कि डीडवाना से 7 किलोमीटर दूर जाकर एसडीएम कार्यालय बनाया जा रहा है। क्योंकि विधायक की खुद की ओर उनके खास पार्षदों की, चहेतों की जमीने वहां पर है।
शहर के लोगों की सुख सुविधा को छीन कर अपने मकसद के लिए इतनी दूर लेकर जा रहे हैं, जिससे हर्गिज सही नहीं कहा जा सकता। डीडवाना में अभी जो सड़के बनी है उनका विरोध खुद कांग्रेसी पार्षदो कर रहे हैं, जो कि कांग्रेस के प्रदेश और नगर पालिका बोर्ड में खुलेआम भ्रष्टाचार होने का मुक्ता सबूत है।
पूर्व मंत्री, खान ने संप्रदायिक तनाव के बढ़ते मामले को लेकर कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया वही प्रदेश में विभिन्न विभागों के सरकारी अधिकारियों को भी इस दौरान पूर्व मंत्री यूनुस खान ने सलाह दे डाली। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को नियमानुसार ही कार्य करने चाहिए। क्योंकि सरकार और विधायक तो अगले डेढ़ साल के बाद चले जाएंगे। ऐसे में वह किसी फाइल पर कुछ ऐसे निशान ना छोड़ दें कि वे आने वाले समय में उनकी नौकरी के लिए और उनके खुद के लिए खतरा बन जाए। इसलिए अफसरों को ईमानदारी से काम करना चाहिए।
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