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ये है डीडवाना की बैलेंसिंग चट्टान। प्रदेश की पहली ऐसी चट्टान जिसका व्यास 28 फीट का है जो महज दो फीट आधार पर ही टिकी हुई है। दो बार आए भूकंप के झटके भी इसे हिला नहीं सके। यह चट्टान हमें सिखाती है, किसी भी परिस्थिति में अडिग रहना। चुुनौतियां इंसान को अंदर से मजबूत बनाती हैं। जो सफलता चुनौतियों पर जीत हासिल के बाद मिलती है, वह लंबे समय तक कायम रहती है।
नए साल में अपने सपनों को पंख लगाना चाहते हैं तो इरादे इस चट्टान की तरह मजबूत बनाइए। खुद को खंगालें, ताकि कमजोरियों को पहचान कर उन्हें दूर कर सकें। कदम आगे बढ़ाएं। गलतियों या असफलताओं से डरें नहीं, बल्कि उनसे सबक लेकर उन्हें जीत की सीढ़ी बनाएं। डीडवाना की यह बैलेंसिंग रॉक कुछ यही सिखा रही है।
अब तक आए भूकंप के तेज झटके भी इस चट्टान काे डिगा नहीं पाए
हमारे देश में ये अजूबी चट्टानें, जहां पहुंचते हैं हजारों पर्यटक, अब डीडवाना की ये राॅक भी बनी है सेल्फी प्वाइंट
1. जबलपुर: बैलेंसिंग रॉक
मध्यप्रदेश के जबलपुर में बैलेंसिंग रॉक मुख्य टूरिस्ट्स प्लेस में से एक है। यह किसी इंजीनियर ने नहीं बल्कि, कुदरती है और सालों से ऐसे ही टिकी हुई हैं। यहां एक पत्थर दूसरे पर कुछ इस कदर टिके हुए हैं कि इसे देखने पर ऐसा लगता है कि यह छूने से ही नीचे गिर जाएगा। लेकिन रोचक बात यह है की भूकंप के झटके भी इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं कर पाए। यहां तक कि 1997 के भूकंप से जब सारा जबलपुर शहर हिल गया था, तब भी यह चट्टान ज्यों-की-त्यों खड़ी रही।
2. महाबलेश्वर: कृष्णा की बटर बॉल
ऐसा ही एक अजूबा है ‘कृष्णा की बटर बॉल’ के नाम से प्रसिद्ध चट्टान, जो दक्षिणी भारत में चेन्नई के पास महाबलीपुरम के किनारे है। पत्थर का यह गोला एक ढलान वाली पहाड़ी पर, 45 डिग्री के कोण पर बिना लुढक़े टिका है। माना जाता है यह कृष्ण के प्रिय भोजन मक्खन का प्रतीक है जो स्वयं स्वर्ग से गिरा है। यह पत्थर आकार में 20 फीट ऊंचा और 5 मीटर चौड़ा है। जिसका वजन लगभग 250 टन है।
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