राजस्थान के करौली, जोधपुर और भीलवाड़ा में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के बीच नागौर का ईनाणा गांव सांप्रदायिक और जातिगत सद्भाव की मिसाल है। इस गांव के लोग अपने नाम के आगे जाति नहीं, गांव के नाम से बना सरनेम ईनाणियां ही लगाते हैं।
PHED से सेवानिवृत्त पुखराम ईनाणियां बताते हैं, हमारे गांव का नाम है ईनाणा और यहां के लोग अपने नाम के आगे ईनाणियां ही लगाते हैं, ताकि सद्भाव कायम रहे। इस गांव में आपको न किसी दुकान में गुटखा मिलेगा और न ही यहां शराब का ठेका है। यूं तो बहुत कम घर मुस्लिम समाज के भी हैं, लेकिन सब ऐसे मिलकर रहते हैं जैसे एक ही समाज के हों। भास्कर टीम जब इस गांव पहुंची तो जंवरूद्दीन तेली गांव के शालिग्राम जी के मंदिर की चौखट पर ही बैठे मिले।
1358 में 12 खेड़ों को मिल बना था गांव
पुखराम बताते हैं, गांव 1358 में शोभराज के बेटे इंदरसिंह ने गांव बसाया। यहां 12 खेड़ों में 12 जातियां थीं। सबको मिलाकर ईनाणा बनाया। यह नाम इंदरसिंह के नाम पर पड़ा। तब से लोग अपने जाति की जगह ईनाणियां ही लिखते हैं। इंदरसिंह के दो अन्य भाई थे, जो गौ रक्षक थे।
इनमें एक हरूहरपाल गायों की रक्षा में शहीद हो गए थे, जिन्हें पूरा गांव कुलदेवता के रूप में पूजता है। गांव में नायक, मेघवाल, खाती, जाट, कुम्हार, ब्राह्मण, तेली, लोहार, गोस्वामी व महाजन आदि जितनी भी जातियां हैं, अधिकतर अपने नाम के साथ ईनाणियां ही लगाते हैं। 4400 वोट, 10 हजार के करीब आबादी है।
आधार कार्ड में जाति की जगह इनाणियां
नागौर SDM सुनील पंवार के मुताबिक सरकारी सेवाओं का लाभ जाति प्रमाण पत्र से मिल जाता है। आधार कार्ड में भले ही ईनाणा लिखा है तो दिक्कत नहीं आती।
SHO बोले: शराब का कोई केस नहीं आता, आपसी विवाद भी ग्रामीण मिलकर सुलझाते हैं
मूंडवा SHO रिछपालसिंह चौधरी बताते हैं- ईनाणा में विवाद नहीं होते। जो होते हैं, उन्हें ग्रामीण मिल-बैठकर सुलझा लेते हैं। शराब का तो कोई प्रकरण आज तक थाने नहीं पहुंचा। सार्वजनिक स्थान पर कोई शराब पिया मिल जाए तो उस पर 11 हजार जुर्माना लगाते हैं। पैसा गोशाला में जाता है। सारे निर्णय बस स्टैंड की सराय पर लेते हैं, जिन्हें पूरा गांव मानता है।
ईनाणा की यह भी विशेषता:- न गुटखा बिकता है न शराब, डीजे पर भी 15 साल से प्रतिबंध
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.