रेलवे ने कोविड व त्यौहार स्पेशल ट्रेनों के नंबर के आगे से शून्य अंक हटाकर पूर्व की भंाति नियमित ट्रेन के नंबरों से संचालित तो कर दिया। मगर पैंसेजर लोकल ट्रेनों के ठहराव कम करते हुए मेल व एक्सप्रेस का दर्जा देकर न्यूनतम किराया तीस रूपए कर दिया।
जो यात्रियों के लिए कम दूरी की यात्रा करने पर भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। पैंसेजर को सात किमी के लिए भी तीस रूपए देने की विवशता बन गई है।
कोरोना संक्रमण के बाद नियमित ट्रेनों को ही हॉलीडे और मेला स्पेशल, फेस्टिवल के नाम से ट्रेनों का संचालन किया जा रहा था। इससे यात्रियों को तीस प्रतिशत किराया अधिक अदा करना पड़ रहा था।
करीब अठारह माह से रेलवे यात्रियों से अधिक किराया वसूल कर रहा था। रेलवे बोर्ड के निर्देशानुसार दिसंबर माह में ट्रेनों के नंबर के आगे से जीरो हटाकर पूर्व की भांति ही एक व दो लगाकर ट्रेनों का संचालन किया जाने लगा है।
ठहराव भी किया गया कम
इसके साथ ही पूर्व में संचालित पैंसेजर ट्रेन यानि लोकल ट्रेनों को एक्सप्रेस का दर्जा दे दिया गया। ठहराव भी कम कर दिए गए। मगर न्यूनतम किराया तीस रूपए कर दिया गया। एक्सप्रेस के अनुसार ही किराया न्यूनतम वसूला जा रहा है।
अब मात्र सात किमी की यात्रा करने पर भी यात्री को तीस रूपए अदा करने पड़ रहे है। जो पूर्णतया अनुचित है। ऐसे में यात्रियों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
रेलवे को भी हो रहा है नुकसान:
पैंसेजर ट्रेन को मेल व एक्सप्रेस का दर्जा देने के साथ ही इन ट्रेनों का छोटे स्टेशनों पर ठहराव बंद किया गया है। इसका सीधा असर यात्रियों पर तो है ही, साथ ही रेलवे की आय पर भी पड़ा है।
तथा स्टेशनों पर पार्किंग, कैटरिंग के स्टाल आदि पर भी इसका असर पड़ा है। जब स्टेशन पर यात्री नहीं होंगे तो वहां पर होने वाले विज्ञापन और पैडिंग सिस्टम भी प्रभावित होने लगा है।
जनरल टिकट देना किया शुरू
दूसरी ओर रेलवे के द्वारा जयपुर मंडल के द्वारा दो दिन पूर्व ही सभी एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल टिकट देना शुरू किया है। जबकि रेलवे के द्वारा 11 मार्च से ही जनरल टिकट देने की घोषणा कर दी थी।
वही जोधपुर मंडल में संचालित जोधपुर- भोपाल, जोधपुर- अबोहर आदि ट्रेनों को एक्सप्रेस का दर्जा देकर किराया एक्सप्रेस का वसूला जा रहा है। तथा छोटे स्टेशनों पर कोरोना के दौरान बंद किए गए ठहराव भी आज तक चालू नहीं किए गए है।
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