राजस्थान सरकार ने बजरी माइनिंग के 16 खनन पट्टे और जारी कर दिए हैं। माइंस डिपार्टमेंट के एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि इससे पहले सरकार 12 बजरी खनन पट्टे जारी कर चुकी है। अब एक्टिव बजरी माइनंस पट्टों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है। जिससे प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में बजरी की कमी की समस्या लगभग खत्म हो जाएगी। पूरे राजस्थान की डिमांड की करीब 90 प्रतिशत से भी ज्यादा बजरी की मांग प्रदेश से ही पूरी की जा सकेगी। नए पट्टे जारी होने से 30 मिलियन टन से बढकर 60 मिलियन टन बजरी की उत्पादन क्षमता डवलप हो गई है।
इन 16 जगहों पर बजरी की लीज और पट्टे जारी
राजस्थान के टोंक, बिलाड़ा, भीलवाड़ा, मांडल, जहाजपुर, रेवदर, जोधपुर, बांगोडा, बाड़मेर, आहोर, मालपुरा, रोहट, पाली, झालावाड़, सिरोही, पाली में बजरी खनन की लीज जारी की गई है। केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय से बारां और झालावाड में एक-एक नई लीज पर सहमति बनी है।
पहले से यहां पर बजरी माइंस चल रही हैं
जालौर, जोधपुर, पाली, सिरोही, राजसमंद, भीलवाड़ा, जयपुर, झुंझुनू, टोंक,सवाईमाधोपुर में पहले से बजरी खनन के कुल 12 पट्टे जारी हैं। जहां से बजरी की माइनिंग और सप्लाई प्रदेशभर में हो रही है।
राजस्थान में 70 मिलियन टन बजरी की सालाना डिमांड
एसीएस डॉ अग्रवाल ने बताया -एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में 70 मिलियन टन बजरी की सालाना मांग है। पूरे भारत में 250 मिलियन टन डिमांड है। मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान में सबसे ज्यादा बजरी का प्रोडक्शन और खपत होती है। राजस्थान माइनर मिनरल्स रियायत नियम 9 के मुताबिक डाइज-नॉन पीरियड के लिए पट्टे जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया गया है कि माइंस पट्टे में पहले से स्वीकृत 22 मई 2017 के आदेश की शर्तें लागू रहेंगी। साथ ही संशोधन भी मान्य होंगे। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजरी की समस्या से आम लोगों को राहत दिलाने के लिए लगातार विभाग को सॉल्युशन निकालने के निर्देश दिए। जिसके बाद लम्बे वक्त से चली आ रही वैध बजरी माइनिंग नहीं हो पाने और अवैध बजरी माइनिंग का सॉल्युशन निकाला जा सका है। बजरी से संबंधित सभी मामलों की मॉनिटरिंग और कॉर्डिनेशन के लिए एडिशनल डायरेक्टर बीएस सोढ़ा को इंचार्ज बना रखा है।
बजरी की रेट तय नहीं, आम जनता नहीं लीज धारकों को फायदा
ऑल राजस्थान बजरी ट्रक यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष नवीन शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताचीत में बताया कि बाजार में आज 1300 से 1400 रुपए टन तक बजरी बिक रही है। जबकि बजरी माइनिंग लीगली चालू होने से पहले बजरी 1100 से 1200 रुपए टन में बिक रही थी। अब बजरी ज्यादा महंगी मिल रही है। इसलिए आम उपभोक्ताओं को बजरी लीज चालू होने का फायदा नहीं मिल पा रहा है। उलटे बजरी महंगी हो रही है। साल 2017 में माइनिंग एरिया से लीज होल्डर 300 रुपए टन बजरी दे रहे थे। खनन चालू होने के बाद 650 रुपए प्रति टन के भाव लेने लग गए। अब कल रात से 50 रुपए टन भाव और बढ़ा दिए गए हैं। 700 रुपए टन पर व्यापारियों-ऑपरेटर्स को बजरी मिल पा रही है। बाजार में पहुंचते-पहुंचते यह 1300 से 1400 रुपए टन तक बिक रही है। जब तक लीज धारक रेट कम नहीं करेंगे। तब तक जनता के लिए कोई फायदा नहीं है। ये सारा फायदा लीज धारकों को मिल रहा है।
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