भारत की पश्चिमी सीमा जैसलमेर में युद्धाभ्यास दक्षिण शक्ति के दौरान शुक्रवार को भविष्य के हाईब्रिड युद्ध का नजारा भारत ने दिखा दिया। यह युद्धाभ्यास एक महीने से चल रहा था। इस युद्धाभ्यास में तीनों सेनाओं की इकट्ठी ताकत दिखी। सेना ने स्पेस टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से भविष्य में हो सकने वाले युद्ध की झलक दिखाई।
इसके साथ ही स्वदेसी लड़ाकू हेलिकॉप्टर ध्रुव ने ड्रोन को मार गिराने की प्रैक्टिस की। थार के रेगिस्तान, रण ऑफ कच्छ, समुद्र और क्रीक इलाके में अलग-अलग फेज में पांच से छह एजेंसियों ने साथ में युद्धाभ्यास किया। पाकिस्तान से सटी सीमा पर यह पहला अवसर है जब सेना इस नए तरीके को आजमा रही है। आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे शुक्रवार को इस युद्धाभ्यास का साक्षी बने। उन्होंने जवानों व पैरा कमांडों से बातचीत की और उनका हौसला अफजाई की।
हेलिबोर्न ऑपरेशन से 400 से ज्यादा कमांडों उतरे
कोविड के बाद पहली बार कमान स्तर पर आयोजित इस युद्धाभ्यास में सेना ने आक्रामकता का प्रदर्शन किया। दक्षिण कमान के अधीन 21 स्ट्राइक कोर व कोणार्क कोर के जवान इस प्रैक्टिस में शामिल हुए। एयरफोर्स की दक्षिण पश्चिमी कमान, नैवी की वेस्टर्न कमान के अलग अलग हिस्सों से जवान व विमानों ने भाग लिया। युद्धाभ्यास के दौरान 130 जे सुपर हरक्यूलिस विमान से तीनों फोर्स के 400 से ज्यादा कमांडों को दुश्मन की जमीन पर उतारने की प्रैक्टिस की गई। जब सेना पर ड्रोन के समूह से हमला किया गया तो एक साथ स्वदेशी ध्रुव हेलिकॉप्टर को उतारा गया। हेलिकॉप्टर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से निगरानी, रैकी और अटैक कर ड्रोन को मार गिराने की प्रैक्टिस की। इंफैन्ट्री, मैकेनाइज्ड इंफैन्ट्री के अलग अलग फॉर्मेशन व समूहों में हमारे जांबाजों ने दुश्मन को चौंका दिया।
फोटो में देखिए कैसे सेना के जवानों ने पाकिस्तान बॉर्डर पर किया युद्धाभ्यास...
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