यूक्रेन में फंसे छात्रों को अब सिर्फ जंग के हालातों से ही नहीं, भूख-ठंड और बीमारी से भी लड़ना पड़ रहा है, इन सबके बीच फिलहाल उन्हें कहीं से किसी भी तरह की मदद की उम्मीद नहीं दिख रही है। कई स्टूडेंट्स की हिम्मत अब जवाब देने लगी है। एम्बेसी से सटे स्कूल में शरण लिए कई बच्चे भीषण ठंड और भूख के मारे बेहोश हो गए हैं। पढ़िए, एम्बेसी के शेल्टर होम से लाइव रिपोर्ट...
हमें सोए हुए 5 दिन हो गए हैं। 3 दिन से ठीक से खाना नहीं खा पाए हैं। ठीक से खड़े नहीं हो पा रहे हैं। हमें कीव से ही निकाला जाए, हम यहां से कहीं नहीं जा सकते। यदि यहां से नहीं निकाल सकते तो हमें यहीं मरने के लिए छोड़ दें। उन्होंने बताया कि हम रात भर बंकर में रहे। माइनस में तापमान के बीच मिट्टी में बैठे हैं। ठंड के मारे 13 लोग बेहोश हो गए हैं। कई लोगों को बार-बार पैनिक अटैक आ रहा है। कई लोग बीमार पड़ गए हैं। हमारे पास दवाइयां भी नहीं है। एम्बेसी हमें वेस्टर्न बॉर्डर पर पहुंचाने के लिए कोई मदद नहीं दे रही है। इससे अच्छा है कि हमें यहीं मरने के लिए छोड़ दे।
- डॉ. श्रृद्धा चौधरी, सीकर
इधर, स्टूडेंट्स का आरोप है कि एम्बेसी ने कई स्टूडेंट्स को वेस्टर्न बॉर्डर पर जाने के लिए भारी बमबारी के बीच रेलवे स्टेशन भेज दिया। जब स्टूडेंट्स को ट्रेन नहीं मिली और वे वापस एम्बेसी जाने लगे तो बीच रास्ते में यूक्रेन आर्मी ने उन्हें रोककर उन पर बंदूक तान दी। स्टूडेंट्स ने एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया है कि एम्बेसी जबरन उन्हें शेल्टर होम से बाहर भेजने की कोशिश कर रही है। हालांकि इस आरोप पर एम्बेसी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
राजस्थान की स्टूडेंट रूबिना ने दैनिक भास्कर को बताया कि एम्बेसी ने हमसे कहा कि रेलवे स्टेशन पर जाएं। करीब 300 बच्चे स्टेशन गए। 60 बच्चे ताे किसी तरह यूक्रेन के वेस्टर्न हिस्से में पहुंच गए, लेकिन कई लोगों को ट्रेन में नहीं बैठाया गया। जब वे वापस एम्बेसी आए तो घुसने से मना कर दिया गया। बड़ी मुश्किल से स्टूडेंट्स वापस एम्बेसी घुस पाए। कुछ स्टूडेंट्स ने एम्बेसी के शेल्टर होम से एक वीडियो भी जारी किया है। वीडियो की सत्यता की पुष्टि दैनिक भास्कर नहीं करता है।
वे अपने साथ हुआ बर्ताव बता रहे हैं, पढ़िए- उनकी आपबीती(वीडियो भी देखिए)...
हम लोगों को एम्बेसी वालों ने रेलवे स्टेशन भेजा। आपको मैसेज करके ट्रेन के बारे में जानकारी दे देंगे और एक कोड बता देंगे, जिससे आपको मैसेज की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम लोग वहां चले गए, जब हम वहां पहुंचे तो हमें एंट्री नहीं दी गई। करीब 150 बच्चों को वापस भागना पड़ा। जब हम वापस आ रहे थे तो यूक्रेन की आर्मी ने हम पर गन तान दी। हमने बड़ी मुश्किल से उन्हें समझाया। यहां लैंग्वेज की वजह से समझाना मुश्किल होता है। हमने उनसे मिन्नतें की कि हम इंडियन एम्बेसी में जा रहे हैं। बहुत मुश्किल से हम बच कर आए। एम्बेसी आए ताे एम्बेसी वालाें ने हमसे खूब बदतमीजी की। बहुत खराब व्यवहार किया। हमें न तो खाना दे रहे है, खाना न दें, कम से कम मौत के मुंह में तो न भेजें। रेलवे स्टेशन जाने के बाद उन्होंने हमारा फोन उठाना भी बंद कर दिया है। हम बहुत मुसीबत में हैं। ये लोग चुनाव में अपनी राजनीति चमकाने लगे हैं। हालत यह है कि अभी हम रात में लाइट भी नहीं जला सकते, लेकिन अपनी समस्या बताने के लिए वीडियो बना रहे हैं। बेहतर होगा कि मोदीजी कल मन की बात न करके, हमें और अन्य लाेगों को बचाने पर ध्यान दें।
- वीडियो में भारतीय स्टूडेंट गुरप्रीत सिंह और अन्य स्टूडेंट दिख रहे हैं
एम्बेसी से बातचीत का एक और ऑडियो वायरल
यूक्रेन में इंडियन एम्बेसी की हेल्पलाइन पर अधिकारियों से बातचीत का एक और ऑडियो वायरल हो रहा है। ऑडियो में स्टूडेंट ने बताया कि वे लोग खार्किव में फंसे हुए हैं। दो दिनों से बंकर में बैठे हैं। खाने-पीने को कुछ नहीं है। एम्बेसी का जवाब सुनकर स्टूडेंट नाराज हो गया और दोनों के बीच जमकर बहस होने लगी।
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