संडे बिग स्टोरीसुप्रीम कोर्ट स्टे के बावजूद बिक रहीं बॉर्डर की जमीनें:जहां बिना परमिशन जा नहीं सकते, वहां दलाल 1 लाख में बेच रहे 1 बीघा

बाड़मेर बॉर्डर7 महीने पहलेलेखक: समीर शर्मा और मनीष व्यास
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बाड़मेर में बॉर्डर की सुरक्षा दांव पर लगाई जा रही है। देश के सबसे संवेदनशील सरहदी इलाके में जिन जमीनों पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे है, वे भी धड़ल्ले से बिक रहीं हैं।

16 साल पहले प्राइवेट कंपनी द्वारा बेनामी तरीके से लाखों बीघा जमीन खरीद ली गई थी। सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने ये जमीनें अपने नियंत्रण में ले ली थीं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी जमीनों की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके यहां खुलेआम सौदे हो रहे हैं।

इससे भी खतरनाक बात यह है कि दलालों ने हमारे लिए 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए प्रति बीघा वाली जमीन बिना किसी परमिशन के खरीदने की व्यवस्था कर दी।

मामले से जुड़ा हर छिपा हुआ सच सामने लाने के लिए दैनिक भास्कर की टीम जयपुर से 600 किलोमीटर दूर बाड़मेर बॉर्डर एरिया में पहुंची। यहां बीएसएफ के जवान देश की सुरक्षा में जुटे हुए हैं।

यहां भारत-पाकिस्तान बॉर्डर की तारबंदी के पास भूमाफिया के दलाल जमीनों का सौदा कर रहे हैं। ये दलाल मोटा कमीशन लेकर एक ही दिन में रजिस्ट्री से म्यूटेशन तक की व्यवस्था कर रहे हैं।

वे दावा करते हैं- ‘जितनी चाहे जमीन ले लो, हम एक ही दिन में सारी फॉर्मेलिटीज पूरी कर आपके नाम म्यूटेशन तक भरवा देंगे। आप केवल रजिस्ट्री के समय तहसील कार्यालय में फोटो और अंगूठा लगाने आ जाना’।

यहां आम खरीदार बन कर हमने लोगों से सम्पर्क किया तो कुछ दलालों के मोबाइल नंबर हाथ लगे।

ऐसे ही 2 दलालों से भास्कर मिला। 2 दिन तक पूरे मामले को इंवेस्टिगेट किया।

पहला दलाल : 23 बीघा जमीन है, आज ही रजिस्ट्री करा दूंगा

भास्कर टीम : हमें जमीन खरीदनी है।

दलाल हमीरानी : जमीन का क्या करना चाहते हो, इन्वेस्टमेंट के लिए चाहिए या खेती के लिए?

भास्कर टीम : इन्वेस्टमेंट कर खेती करेंगे।

(संतुष्ट होने के बाद दलाल हमसे मिलने के लिए तैयार हुआ। उसने हमें अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधित बॉर्डर एरिया में बुलाया।)

(इसके बाद तत्काल हम कार लेकर बाड़मेर शहर से भारत-पाक बॉर्डर से 3 किलोमीटर पहले स्थित गडरा गांव पहुंचे। यहां दलाल यूनुस खान हमीरानी चौराहे पर ही हमारा इंतजार कर रहा था। हमीरानी हमें नजदीक चाय की एक थड़ी पर ले गया।)

हमीरानी : यहां से थोड़ी दूर खलीफे की बावड़ी गांव में 23 बीघा जमीन बिकाऊ है। वो आप लेना चाहें, तो आज के आज में सौदा फाइनल करवाकर रजिस्ट्री करवा दूंगा।

भास्कर टीम : पहले जमीन तो दिखाओ।

(हमने हमीरानी को अपनी कार में बैठाया और रवाना हुए। 2 किमी चलने के बाद सड़क खत्म हो गई।)

हमीरानी : यहां से पैदल चलना है, मेरे पीछे चलो।

(करीब 2 किलोमीटर तक हम पैदल चले। इसके बाद एक जगह हमीरानी रुक गया)

हमीरानी : आपकी डिमांड के अनुसार सबसे छोटी जमीन है। सेलर तैयार है, बस आपकी हां करने की देरी है।

यही जमीन दलाल यूनुस खान हमीरानी ने भास्कर को दिखाई थी। हमीरानी ने दावा किया- पैसे की व्यवस्था कर दो, हाथों-हाथ रजिस्ट्री करा दूंगा।
यही जमीन दलाल यूनुस खान हमीरानी ने भास्कर को दिखाई थी। हमीरानी ने दावा किया- पैसे की व्यवस्था कर दो, हाथों-हाथ रजिस्ट्री करा दूंगा।

भास्कर टीम : ये 23 बीघा जमीन है?

हमीरानी : 23 से ज्यादा ही बैठेगी कम नहीं, 50 हजार रुपए बीघा के भाव हैं। इससे सस्ती जमीन नहीं है मेरे पास।

भास्कर टीम : हमें जमीन और भाव ठीक लग रहे हैं, आप सौदा फाइनल करने की तैयारी करवाओ।

(इसके बाद हमीरानी वापस हमें गडरा ले गया। वहां एक चौराहे पर गाड़ी रुकवाकर उतरा और एक ई-मित्र कियोस्क पर चला गया। 20 मिनट बाद लौटा)

हमीरानी : ये रहे जमीन की जमाबंदी, नकल और नक्शा। आप चाहो तो पेशगी दे सकते हो। आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड या लाइसेंस और 8 फोटो ये व्यवस्था कर लो। बड़ी रकम नहीं है, कल सुबह तक पैसे की व्यवस्था कर लो। हाथों-हाथ रजिस्ट्री करवा दूंगा।
(भास्कर ने ये पूरी बातचीत हिडन कैमरा में रिकॉर्ड कर ली)

गडरा से निकलते समय हमीरानी हम पर नजरें गड़ाए हुए था। थोड़ी दूर निकलने के बाद हमने दूसरे दलाल गोपालसिंह भाटी को फोन किया। उसने गडरा बुलाया, लेकिन हमने मना कर दिया और 1 किमी दूर मिलना तय किया। गोपाल सिंह बताई हुई जगह पर लग्जरी एसयूवी लेकर पहुंचा। उसे हमने अपनी गाड़ी में बैठाकर बातचीत शुरू की…

भास्कर के पास गैर कानूनी तरीके से जमीन की खरीद और बिक्री से जुड़े तमाम सबूत हैं।
भास्कर के पास गैर कानूनी तरीके से जमीन की खरीद और बिक्री से जुड़े तमाम सबूत हैं।
शिकायतकर्ता ने तहसीलदार को सबूत भेजकर बताया था कि संबंधित जमीनें नहीं बेची जा सकतीं। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई और जमीनों की रजिस्ट्री कर दी गई।
शिकायतकर्ता ने तहसीलदार को सबूत भेजकर बताया था कि संबंधित जमीनें नहीं बेची जा सकतीं। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई और जमीनों की रजिस्ट्री कर दी गई।

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