राजस्थान में BJP अपने पुराने नेताओं को क्यों ढूंढ रही?:50 सीटों के लिए बनाई नई रणनीति, गहलोत-डोटासरा बने चुनौती

जयपुर4 महीने पहलेलेखक: निखिल शर्मा
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राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को बीजेपी अब रणनीतिक रूप से मजबूत करने जा रही है। चुनाव में महज 10 माह का समय बचा है।

इस लिहाज से बीजेपी ने उन सीटों को फोकस करके अपनी तैयारी शुरू कर दी है जहां वह पिछले तीन चुनावों में ज्यादा सफल नहीं हुई है। राजस्थान में बीजेपी ने ऐसी लगभग 50 सीटें तय की हैं।

इन सीटों को अपने कब्जे में करने के लिए बीजेपी ने तीन अलग-अलग मापदंड रखे हैं। इन मापदंडों के आधार पर ही बीजेपी इन सीटों के लिए अपनी रणनीति तैयार करेगी।

ये सीटें लगातार बीजेपी के लिए बनी हुई है चुनौती

ये वो सीटें हैं जहां पिछले तीन में से कम से कम दो चुनाव बीजेपी हारी है। इनमें नवलगढ़, दातां-रामगढ़, सादुलपुर, खेतड़ी, लालसोट, सिकराय, राजगढ़, गंगानगर, फतेहपुर, बस्सी, खींवसर, वल्लभनगर, रायसिंह नगर, लूणकरनसर, नोखा, सूरजगढ़, मंडावा, आमेर, नसीराबाद, मांडलगढ़, बागीदौरा, सांचोर, बाड़मेर, सरदारपुरा, सापोटरा, करौली, टोडाभीम, राजाखेड़ा, बाड़ी, डीग-कुम्हेर, बानसूर, कोटपूतली, लक्ष्मणगढ़, झुंझूनु, सरदारशहर, कोलायत और हिंडौली सीटें बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।

इसके अलावा भी कुछ सीटें हैं जहां बीजेपी कमजोर रही है या बेहद कम मार्जिन से जीतती है। ऐसी सीटों को भी पार्टी ने ज्यादा फोकस वाली सीटों में शामिल किया है। इस तरह से लगभग 50 सीटों के लिए बीजेपी खुद को मजबूत करने की तैयारी में है।

कुछ सीटें हैं जहां बीजेपी कमजोर रही है या बेहद कम मार्जिन से जीतती है। ऐसी सीटों को भी पार्टी ने ज्यादा फोकस वाली सीटों में शामिल किया है।
कुछ सीटें हैं जहां बीजेपी कमजोर रही है या बेहद कम मार्जिन से जीतती है। ऐसी सीटों को भी पार्टी ने ज्यादा फोकस वाली सीटों में शामिल किया है।

सीएम गहलोत-प्रदेशाध्यक्ष सहित कई मंत्रियों की सीटें परेशानी का कारण

राजस्थान में कई सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस की पकड़ बेहद मजबूत है। इनमें सीएम अशोक गहलोत सहित कई मंत्रियों की सीटें हैं जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। इनमें सीएम अशोक गहलोत की सरदारपुरा सीट बड़ी चुनौती है। गहलोत यहां से लगातार जीत रहे हैं।

इसके अलावा लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी बीजेपी के लिए परेशानी हैं। वे भी यहां से लगातार जीत रहे हैं। बागीदौरा से मंत्री महेंद्रजीत मालवीय, सपोटरा से मंत्री रमेश मीणा, डीग-कुम्हेर से मंत्री विश्वेंद्र सिंह, बानसूर से मंत्री शकुंतला रावत, कोटपुतली से मंत्री डॉ. राजेंद्र यादव, झुंझुनूं से मंत्री बृजेंद्र ओला, कोलायत से मंत्री भंवर सिंह भाटी, हिंडौली से अशोक चांदना की सीट है। इसके अलावा सरदारशहर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भंवरलाल शर्मा भी लगातार चुनाव जीतते रहे। हाल ही में उपचुनाव में भी उनके बेटे अनिल शर्मा ने जीत हासिल की।

भाजपा इन सीटों पर वर्किंग कमेटी सहित प्रमुख 20 नेताओं को उतारेगी

बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कमजोर सीटों पर अपनाई जाने वाली वर्किंग का खाका लगभग तैयार हो चुका है। अब लिस्ट बन रही है कि कौन सा नेता किस विधानसभा क्षेत्र में जाएगा।

इसके लिए बीजेपी की वर्किंग कमेटी के तमाम सदस्य, संगठन से जुड़े प्रमुख नेता, पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारी श्रेणी के प्रमुख लगभग 20 नेता इन विधानसभा क्षेत्रों में जाएंगे।

इसमें हर नेता को लगभग 2 विधानसभा क्षेत्र में जाकर लगभग 3 दिन रुकना होगा। वहां रुककर ये नेता विधानसभा का फीडबैक जुटाएंगे।

संगठन की रिपोर्ट, सोशल-पॉलिटिकल एंगल देखेंगे

इस तैयारी के लिए जाने वाले प्रमुख नेता उस सम्बन्धित विधानसभा की नब्ज टटोलेंगे। जिस विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी कमजोर है, वहां संगठन को परखेंगे।

संगठन क्यों कमजोर है, इसकी जानकारी जुटाएंगे। इसके अलावा उन विधानसभा सीटों से जुड़ा सोशल और पॉलिटिकल एंगल भी देखा जाएगा।

विधानसभा की सोशल इंजीनियरिंग पर भी नेता फोकस्ड रहेंगे। इसमें विधानसभा क्षेत्र का जातिगत गणित, वहां चुनाव जीत रहे स्थानीय नेताओं की पकड़ सहित अन्य कारणों को लेकर रिपोर्ट तैयार करेंगे और संगठन को देंगे।

चुनावी वर्ष में संगठन को और मजबूत करने के लिए बीजेपी कई स्तरों पर काम शुरू कर दिया है। बीजेपी के प्रमुख नेताओं को यह टास्क दिया गया है।
चुनावी वर्ष में संगठन को और मजबूत करने के लिए बीजेपी कई स्तरों पर काम शुरू कर दिया है। बीजेपी के प्रमुख नेताओं को यह टास्क दिया गया है।

​​​​​पुराने नेताओं से मिलेंगे, हर नेता 3 मंडलों में जाएगा

इसके अलावा चुनावी वर्ष में संगठन को और मजबूत करने के लिए बीजेपी कई स्तरों पर काम शुरू कर दिया है। बीजेपी के प्रमुख नेताओं को यह टास्क दिया गया है कि वे पार्टी के उन पुराने नेताओं और पुराने कार्यकर्ताओं से मिलेंगे जो अब एक्टिव पॉलिटिक्स में नहीं है।

इसी तरह हर प्रमुख नेता को 3-3 मंडलों में जाने को भी कहा गया है। ऐसे में नेताओं ने मंडलों में जाना शुरू कर दिया है। इस तरह से मंडलों को पार्टी मजबूत करेगी।

राजस्थान की सह-प्रभारी विजया रहाटकर का कहना है कि पार्टी के जो नेता हैं वो पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ हमेशा सम्पर्क में रहते हैं।

अब हम इसे और मजबूत करेंगे। इसके अलावा हर प्रमुख नेता 3 मंडलों में जाएगा। मैंने तो मंडलों में जाना शुरू भी कर दिया है।

इसके अलावा चाहे विधानसभा हो या बूथ जहां अच्छे हैं वहां हम और मजबूत होंगे। वहीं, जहां हम कमजोर हैं वहां हम खुद को बेहतर बनाने में लगे हैं।

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