प्रशासन गांवों के संग अभियान में पट्टा देने की सुस्त रफ्तार से मुख्यमंत्री अफसरों से नाराज हैं। क्योंकि जो प्रोग्रेस और स्पीड की उम्मीद की जा रही थी, उस रफ्तार से ग्रामीणों की जन समस्याओं का निपटारा नहीं हो पा रहा है। पट्टे देने के अभियान की स्पीड धीमी पड़ गई है। टारगेट 10 लाख पट्टों का आधा भी पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने प्रशासन गांवों के संग अभियान को ज्यादा कारगर बनाने और ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के लिए मंत्री समूह की कमेटी बनाई है। रेवेन्यू मंत्री रामलाल जाट कमेटी कॉर्निनेटर नियुक्त किए गए हैं। स्वास्थ्य व आबकारी मंत्री परसादीलाल मीणा, कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शाले मोहम्मद और आपदा राहत मंत्री गोविन्द राम मेघवाल कमेटी के मेम्बर बनाए गए हैं।
रेवेन्यू डिपार्टमेंट को बनाया नोडल
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर कैबिनेट सचिवालय ने मंत्री समूह कमेटी के आदेश निकाले हैं। राज्य सरकार के प्रशासन गांवों के संग अभियान की अब तक की प्रोग्रेस को यह कमेटी रिव्यू करेगी। साथ ही अभियान में आने वाली समस्याओं का सरकार की पॉलिसी लेवल पर समाधान भी निकालेगी। रेवेन्यू को कमेटी का नोडल डिपार्टमेंट बनाया गया है। इस कमेटी से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रेग्युलर फीडबैक और प्रोग्रेस रिपोर्ट लेंगे।
क्यों पड़ी मंत्री समूह कमेटी बनाने की जरूरत
सरकार 10 लाख पट्टे देने का टारगेट लेकर चल रही है। लेकिन अब तक आधे भी पट्टे नहीं बंट पाए हैं। सरकारी अफसर नियम कायदों में लोगों को उलझा रहे हैं।अफसर पट्टे देने के नियमों के एक-एक शब्द की पालना करवाते हुए अपने हाथ-पैर बचाते हुए पूरी खानापूर्ति करके ही पट्टे जारी करने की बात कह रहे हैं। इसलिए पॉलिसी लेवल पर फैसले लेने के लिए मंत्रियों का समूह बनाया गया है। कई जनसमस्याएं ऐसी हैं जिनके लिए सरकार ही फैसला ले सकती है। डवलपमेंट के कामों और पानी,बिजली,सड़क,सिंचाई जैसे मुद्दों पर स्थानीय विधायकों की भी राय लेकर मंत्री फैसला लेंगे। जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री से चर्चा कर एक्शन लिया जाएगा।
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