राइट टू हेल्थ बिल (RTH)। इस बिल के जरिए राज्य सरकार जनता को सेहत का अधिकार देना चाहती है, लेकिन ये बिल ही जनता की सेहत पर भारी पड़ रहा है। वजह- करीब 2 सप्ताह से प्रदेश के हजारों डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं और मरीज इलाज के लिए एक से दूसरे अस्पताल में चक्कर काटने को मजबूर।
डॉक्टर्स जहां बिल को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं वहीं सरकार भी अपने कदम पीछे लेने के मूड में नहीं है। ऐसे में प्रदेश के हर व्यक्ति के जेहन में सिर्फ यही सवाल है कि जनता को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाले इस बिल का डॉक्टर्स क्यों विरोध कर रहे हैं? अगर बिल वाकई में इतना गलत है तो सरकार इसे लागू करने पर क्यों अड़ी हुई है? एक सवाल ये है कि विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को क्यों नहीं घेर पा रहा है? भास्कर ने मामले को लेकर हेल्थ मिनिस्टर परसादीलाल मीणा और डॉक्टर्स से बात की।
एक्सप्लेनर में जानिए राइट टू हेल्थ बिल से जुड़े उन सभी सवालों के जवाब जो आप जानना चाहते हैं..
बिल का मकसद : पैसों की वजह से किसी का इलाज न रुके
बिल को हेल्थ सेक्टर में क्रांतिकारी कदम बताया जा रहा है। सरकार की मानें तो बिल का मकसद प्रदेश के हर व्यक्ति को हेल्थ का अधिकार मुहैया कराना है। यानी कोई भी व्यक्ति पैसे की वजह से इलाज के लिए परेशान न हो। मोटे तौर पर यह बिल इमरजेंसी के दौरान हर व्यक्ति को बिना फीस और पुलिस की रिपोर्ट का इंतजार किए बगैर इलाज किए जाने की बात करता है। इस पर होने वाले खर्च का पैसा अगर व्यक्ति नहीं दे सकता है तो सरकार भरेगी। इसके अलावा बिल मरीजों को कई तरह की हेल्थ सुविधाएं देता है।
किस स्टेज पर है बिल ?
फिलहाल यह बिल विधानसभा से पारित हुआ है। विधानसभा से पारित होने के बाद यह बिल अब राज्यपाल के पास है। बिल राज्यपाल से मंजूरी के बाद एक्ट बन जाएगा और उसके बाद इसके सभी नियम डिफाइन किए जाएंगे। उसके बाद यह प्रदेश में लागू हो जाएगा।
हेल्थ मिनिस्टर बोले : मांगों को रूल्स में डालेंगे, बस बिल वापस लेने की मांग न करें
भास्कर ने इस पूरे मसले पर डॉक्टरों की मांगों और उनकी चिंताओं को लेकर हेल्थ महकमे के मुखिया परसादी लाल मीणा से बात की। पढ़िए उनका क्या है कहना…
भास्कर : सरकार डॉक्टर्स की बात क्यों नहीं सुन रही ?
परसादी लाल : हम इनकी मांगों को रूल्स में डालेंगे। इसके अलावा उनकी कोई बात हो तो चीफ सेक्रेटरी को अधिकृत कर रखा है। हमने कब मना किया है, जब चाहें सीएस से बात सकते हैं। बस बिल को वापस लेने की बात न करें। अगर बिल वापस लेने की बात है तो फिर कोई बात ही नहीं करनी है। डाॅक्टर्स को ये कहने का अधिकार है क्या?
भास्कर : इस वजह से मरीजों को परेशानी हो रही है, उसका क्या ?
परसादी लाल : सरकारी डॉक्टर काम पर आ गए, रेजिडेंट आ गए। महात्मा गांधी जैसे बड़े अस्पताल काम कर रहे हैं। कोई अचानक काम छोड़कर जाता है तो थोड़ी परेशानी होती है। हमने तो इनसे अपील भी की है कि काम पर आओ। हम आरयूएचएस में एक्स्ट्रा बेड लगवा देंगे। 300 बेड कोविड के समय के लगे हुए हैं। हम ट्रांसफर कर रहे हैं वहां। छोटे शहरों में ऐसी कोई असुविधा नहीं। समस्या जयपुर की ही है।
भास्कर : डॉक्टर्स कह रहे हैं कि सरकार ने उनके साथ धोखा किया ?
परसादी लाल : इन्होंने जो कहा, सीएस को कहा, कमेटी को कहा, ऐसी एक भी चीज नहीं कह सकते कि हमारी बात नहीं मानी सरकार ने। पहले 3 साल से कैसे काम कर रहे थे चिरंजीवी में। सरकार बिल लेकर आई है, जनता का राइट है इलाज कराना। जनता को राइट दे रहे हैं, इसमें इन्हें क्या दिक्कत है?
भास्कर : सब कुछ फ्री हो गया, ऐसा प्रचार क्यों किया जा रहा है?
परसादी लाल : प्राइवेट इमरजेंसी का सरकार पेमेंट करेगी, किसी ने कोई प्रचार नहीं किया। अभी एक्ट ही नहीं आया, राज्यपाल से आएगा, रूल्स बनेंगे, फिर लागू होगा एक्ट। शादी हुई है, फिर बच्चा होगा। अभी लागू थोड़ी हो गया। इनकी बात को कोई नहीं मानता। जनता भी नहीं मानेगी इनकी बात को।
भास्कर : डॉक्टर्स कह रहे इससे झगड़े होंगे, लोग कन्फ्यूज होंगे?
परसादी लाल : आम आदमी इनसे होशियार है। आम आदमी कोई कमजोर है क्या इनसे? ये कुछ भी कहे, इनके कहने का कोई नहीं मानता। कोई औचित्य नहीं इनके कहने का। ये जो चाह रहे हैं जरूरी है क्या, वो करें हम। इन्होंने स्ट्राइक कर लिया, सब कोशिश कर ली। पहले कर दिया उसका ही ये नाजायज फायदा उठा रहे हैं। ग्रीवेंस कमेटी में इनके दो मेंबर रखे, हर जिले में दो-दो प्रतिनिधि रख दिए। इससे ज्यादा क्या कर सकती है सरकार? पहले किसी सरकार ने किया कभी। सिर्फ डॉक्टर्स मेंबर रखे हैं।
भास्कर : डॉक्टर्स का आरोप है कि पैसा समय पर नहीं आता?
परसादी लाल : जो पैकेज है उसी से ही चलेगा काम। रोलबैक का कोई सवाल ही नहीं है। डब्ल्यूएचओ की ओथ क्या है। आप ओथ का पालन कर रहे हैं क्या? चिकित्सक का धर्म है कि किसी को इलाज करने से मना नहीं कर सकता। इनको धर्म याद नहीं क्या अपना? इलाज करने से मना कर सकते हैं क्या? डॉक्टर अपने धर्म का पालन करें।
भास्कर : बिल वापस लेने की मांग है, उसका क्या करेंगे?
परसादी लाल : सीनियर नेता गुलाबचंद कटारिया के कहने से हमने सलेक्ट कमेटी को बिल दिया। वहां जो राय बनी उसी को पास करा देने की बात हुई। सारी डिबेट हो चुकी थी। आमूलचूल परिवर्तन कर दिया गया है बिल में। सारी इनकी बात मानी है। रोलबैक का तो सवाल ही नहीं उठता।
भास्कर : सरकारी ढांचा मजबूत करने को कह रहे डॉक्टर्स?
परसादी लाल : हम अपना इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाएंगे। इतने नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। संसाधन बढ़ेंगे हमारे। 2 साल में सारे संसाधन बन जाएंगे। जनता को इनके भरोसे थोड़े ही छोड़ेंगे।
10 मुद्दे जिन्हें लेकर डॉक्टर्स जता रहे विरोध
भास्कर ने मामले में प्राइवेट हॉस्पिटल एंड नर्सिंग होम सोसायटी के सेक्रेटरी डॉ. विजय कपूर से भी बात की। पढ़िए उनका क्या है कहना…
भास्कर : बिल को लेकर आपकी क्या आपत्तियां हैं?
डॉ. कपूर : सरकार चिरंजीवी योजना में 20-25 साल के एक्सपीरियंस्ड डॉक्टर सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टर को 135 रुपए कन्सलटेशन फीस दे रही है। 135 रुपए में एक प्लम्बर भी नहीं मिलेगा। चिरंजीवी में हम क्वालिटी सर्विस दे रहे हैं। डॉक्टर को एक पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, इक्विपमेंट, स्टाफ, बहुत कुछ चाहिए। हमें सेवा के साथ-साथ अपने परिवार भी चलाने हैं। मंत्री, नेताओं को 5-5 पेंशन मिल रही, ब्यूरोक्रेट्स को जितनी सैलरी मिल रही है, उससे आधी सैलरी हमें दे दीजिए, हमारे अस्पतालों को ले लीजिए, हम 24 घंटे सेवा करने को तैयार हैं।
भास्कर : विरोध लोगों की जान की कीमत पर क्यों?
डॉ. कपूर : वाटर कैनन, फीमेल डॉक्टर्स के साथ मारपीट, सरकार के कान पर जूं तक नहीं रैंग रही। ऐसा क्या तरीका हो सकता है जो हम अपनाएं। डॉक्टर्स को भी परेशानी है। हमारी कोर कमेटी के मेंबर डॉ. रामेदव की दोहिती की डेथ हो गई, उनकी दोहिती को ट्रीटमेंट नहीं मिल पाया। हमारे सीनियर कलीग ने कहा कि मेरी सास क्रिटिकल है, कीमोथैरेपी चल रही है, दुर्लभजी में ट्रीटमेंट चल रहा है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था करा दें, मेरी आंखों में आंसू आ गए। मैंने कहा मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा। हम भी जनता हैं, हम भी भुगत रहे हैं।
डॉ. राकेश पारीक : बिल लागू हुआ तो रास्ते पर आ जाएंगे
डायबैटोलॉजिस्ट डॉ. राकेश पारीक का कहना है कि किसी भी हॉस्पिटल में रोजाना 70 प्रतिशत से ज्यादा एडमिशन इमरजेंसी से होते हैं। सरकार ने जिस तरह से प्रचार किया है, हर आदमी हर चीज के लिए आकर अस्पताल में लड़ाई करेगा। कहेगा-ये मेरा राइट है, मुझे फ्री में भर्ती करिए। वो बिल पढ़कर नहीं आएगा, न ही आप उसको बिल पढ़ा सकते हो। हम अपने एम्पलॉयज को सेलरी तक नहीं दे पाएंगे।
डॉ. रमेश जोशी : बिल अच्छा, लेकिन कई चीजें इंप्रूव करने की जरूरत
रिटायर्ड डिप्टी सुप्रीटेंडेंट डॉ. रमेश जोशी का कहना है कि प्राइवेट वाले अक्सर अपने कदम इसलिए पीछे खींच लेते हैं कि पैसा टाइम पर आता नहीं है। पेमेंट में कई सारी अड़चनें डाल दी जाती हैं। कई सारे रूल्स रेगुलेशन लगाकर पैसा रोक लिया जाता है। वो चीजें इम्प्रूव करने की जरूरत है। इलेक्शन के कारण यह जल्दबाजी में लागू कर दिया गया। डॉक्टर्स और सरकार के प्रतिनिधियों को बैठकर डिस्कशन करना था। प्रीमियम हॉस्पिटल की सेवाएं लेनी होती है तो प्रीमियम पेमेंट भी देना होता है। उस पेमेंट में काफी कटौती कर दी गई है। उस पर ध्यान देना चाहिए।
ड्राफ्ट बनने के साथ ही शुरू हो गया था विवाद
राइट टू हेल्थ बिल का ड्राफ्ट जैसे ही सरकार ने तैयार किया, तभी से इसे लेकर डॉक्टर्स में असंतोष शुरू हो गया था। मार्च 2022 में यह राइट टू हेल्थ का ड्राफ्ट सामने आया था।
राजस्थान में 55 हजार से ज्यादा डॉक्टर्स, 2400 प्राइवेट हॉस्पिटल
राजस्थान में सरकारी, प्राइवेट मिलाकर 55 हजार से ज्यादा डॉक्टर्स हैं। सैकड़ों सरकारी अस्पतालों के अलावा 2400 से ज्यादा प्राइवेट अस्पताल हैं। इनमें जयपुर में ही कम से कम 500 से 600 अस्पताल हैं।
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गहलोत बोले- डॉक्टर्स के बीच चार-पांच गद्दार
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आरएसएस की लॉबी डॉक्टरों को बर्बाद कर रही है। उनको गुमराह कर रही है। गहलोत शनिवार को कोटा में एयरपोर्ट पर मीडिया से बात कर रहे थे।
गहलोत ने कहा- डॉक्टरों को अहम छोड़ना चाहिए। कुछ लोगों ने गलतफहमी पैदा की है। डॉक्टरों की चीफ सेक्रेटरी और फाइनेंस सेक्रेटरी से खुलकर बात हुई। जो सुझाव दिए वो सब मान लिए। उसके बाद भी डॉक्टरों में चार-पांच गद्दार लोग थे। उन्होंने एतराज जताया। वो RSS से जुड़े थे। (पूरी खबर पढ़ें)
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