सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद जब अशोक गहलोत लौटकर आए तो कैमरे पर उनकी ये तस्वीरें सियासत की भी कहानी कह रहीं थीं। प्रेस काॅन्फ्रेंस से पहले तस्वीरों में गहलोत थोड़े असहज नजर आ रहे थे, इसी से कयासों का दौर गर्म हो गया, हालांकि बाद में उनकी कई तस्वीरें आईं, जिसमें उनका हाव-भाव आत्मविश्वास से भरपूर था। सियासी सवालों के जवाब ढूंढने से पहले इन तस्वीरों पर गौर करें....
राजस्थान में चल रहे सियासी बवाल के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मिलकर माफी मांगी है। गहलोत ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए गांधी परिवार और कांग्रेस के प्रति निष्ठा जताई है। इस बवाल की जिम्मेदारी लेते हुए गहलोत ने इसके बाद बने माहौल में अध्यक्ष का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।
अध्यक्ष पद की दौड़ में बाहर होने से फिलहाल गहलोत की सीएम की कुर्सी कुछ समय के लिए बच गई है। गहलोत ने सीएम बने रहने का फैसला सोनिया गांधी पर छोड़कर सियासी अटकलें लगाने का अवसर दे दिया है।
सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाद गहलोत ने जिस तरह घटना की जिम्मेदारी ली है, उससे कई सियासी सवाल भी खड़े हो गए हैं।
तीन सवालों में पढ़िए, आखिर इस पूरी घटना के क्या मायने हैं?
अशोक गहलोत ने किस बारे में क्या बोला और इसके मायने...
50 साल से मैंने कांग्रेस के वफादार सिपाही की तरह काम किया
गहलोत ने कहा- पिछले 50 साल से मैंने कांग्रेस के वफादार सिपाही की तरह काम किया है। इंदिरा गांधी से लेकर बाद में राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और सोनिया गांधी तक मैंने कांग्रेस के वफादर सिपाही के रूप में काम किया। केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और सोनिया जी के आशीर्वाद से तीसरी बार सीएम बना। राहुल जी ने फैसला किया, तमाम समय को मैं भूल नहीं सकता।
मायने क्या?: गहलोत ने इसमें बताने की कोशिश की कि वे गांधी परिवार और कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं। हर हालात में पार्टी के साथ खड़े रहेंगे। सीएम पद उनकी महत्वाकांक्षा नहीं है।
सोनिया के बारे में कहा- सोनिया जी से मैंने सॉरी फील किया है, माफी मांगी है
नया मुख्यमंत्री चुनने का फैसला कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ने के लिए बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत खेमे के विधायकों ने बहिष्कार करते हुए सचिन पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस घटना पर अब सीएम ने माफी मांगी।
मायने क्या - गहलोत ने विधायक दल के बहिष्कार में उनकी भूमिका से साफ इनकार करते हुए जिस तरह से जिम्मेदारी ली है, उससे यह क्लियर हो गया है कि उन्होंने हाईकमान के तेवर को समझते हुए हर हाल में पार्टी के साथ खड़े होने की बात कही है।
गहलोत ने कहा कि फैसला करते वक्त एक लाइन का प्रस्ताव पारित करने का हमेशा कायदा रहा है। दुर्भाग्य से उस वक्त ऐसी स्थिति बन गई कि वह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया, क्योंकि मैं सीएलपी लीडर हूं, वहां पर, मुख्यमंत्री हूं। मैं उस प्रस्ताव को पास नहीं करवा पाया। कारण चाहे जो भी रहे हों। इस बात का दुख मुझे हमेशा जिंदगी भर रहेगा।
मायने क्या :- गहलोत ने ये बताने का प्रयास किया है कि वे कभी भी पार्टी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विधायकों की भावना के आगे कुछ नहीं कर सकते। बगावत करने वाले लोग समर्थन नहीं दे रहे हैं तो उनके खिलाफ भी नहीं जा सकते।
फ्यूचर प्रेसिडेंट के बारे में, गहलोत बोले- अब इस माहौल में चुनाव नहीं लड़ूंगा
गहलोत ने कहा- इस घटना ने कई तरह के मैसेज दे दिए। मेरी मोरल रेस्पॉन्सिबिलिटी थी कि विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित होता। मैंने तय किया है कि अब इस माहौल में चुनाव नहीं लड़ूंगा।
राजस्थान सीएम के बारे में- सीएम का फैसला सोनिया गांधी करेंगी
मुख्यमंत्री बने रहने के सवाल पर गहलोत ने कहा- यह फैसला मैं नहीं करूंगा। यह फैसला सोनिया गांधी करेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष करेगा।
अब जानते हैं कि क्या गहलोत जो चाहते थे, वही किया? :
हां, कुछ हद तक सफल, लेकिन सियासी संशय
सियासी हलकों में एक आम धारणा है कि अशोक गहलोत राजस्थान सीएम का पद नहीं छोड़ना चाहते थे। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने पर उन्हें नामांकन से पहले राजस्थान सीएम का पद छोड़ना पड़ता। यह उनके खेमे के विधायक नहीं चाहते थे।
राहुल गांधी ने नॉन गांधी अध्यक्ष का फॉर्मूला दिया। गहलोत के पास नामांकन दाखिल करने के अलावा कोई चारा नहीं था। एक व्यक्ति एक पद की वजह से उन्हें पद छोड़ना पड़ता। नया सीएम चुनने के लिए रविवार को जयपुर में विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया। इस घटना के बाद गहलोत कुछ समय के लिए सीएम पद बचाने में सफल हो गए हैं, लेकिन उन पर सवाल जरूर उठने शुरू हो गए हैं। हालांकि अभी ये कहना जल्दी होगी कि वे कितने दिन सीएम रहेंगे?
और माफीनामा लीक के मायने क्या? सिर्फ हाईकमान का मान रखा?:
गहलोत जब सोनिया गांधी से मिलने जा रहे थे तो उनके हाथ में माफीनामे के पॉइंट लिखा हुआ कागज था। यह कागज कैमरों में आ गया। गहलोत ने सोनिया को जो माफीनामा दिया, उसके पॉइंट सामने लाने के पीछे सोची समझी रणनीति बताई जा रही है। हालांकि माफीनामा क्लियर नहीं है और गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी माफी की बात कही। हालांकि इस माफीनामे से यह मैसेज जरूर देने का प्रयास किया गया कि वे कांग्रेस हाईकमान का आदेश मानते हैं और सम्मान करते हैं।
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