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डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (डीजीजीआई) ने प्रदेश में फर्जी इनवॉइस रैकेट का पर्दाफाश करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने 4 साल में 1004 करोड़ के फर्जी इनवॉइस बनाकर 146 करोड़ की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) क्लेम कर पैसा उठा लिया। अभी शुरुआती जांच में यह आंकड़ा सामने आया है, डीजीजीआई की जांच पूरी होने पर यह राशि और बढ़ सकती है। डीजीजीआई ने गिरोह के मास्टरमाइंड जयपुर निवासी विष्णु गर्ग सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार होने वालों में दो कर्मचारी महेंद्र सैनी,बद्रीलाल माली और हैदराबाद के फर्म संचालक प्रदीप दयानी, सीए भगवान सहाय शामिल हैं।
डीजीजीआई से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक खुफिया जानकारी मिलने के बाद गिरोह के मास्टरमाइंड विष्णु गर्ग की फर्मों की जांच शुरु की तो फर्जीवाड़े की परतें खुलनी शुरु हो गई। जांच में खुलासा हुआ कि विष्णु गर्ग ने माल की सप्लाई किए बिना ही नकली चालानों को जारी किया और इस तरह के चालान पर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ उठाया है। 25 अलग-अलग फर्म बनाकर फर्जी बिल जारी किए जा रहे थे। डीजीजीआई ने गर्ग के घर और फर्मों की तलाश लेकर फर्जीवाड़े के दस्तावेज जब्त किए हैं।
विष्णु गर्ग ने 200 फर्मों को चालान जारी किए, ये फर्म राजस्थान, मध्यप्रदेश और तेलंगाना सहित अन्य राज्यों में हैं। इनमें टिम्बर, स्क्रैप, प्लाईवुड और गोल्ड के फर्जी बिल जारी किए गए। अब तक की जांच में पता चला है कि इन फर्मों को माल की सप्लाई की ही नहीं, केवल फर्जी चालान के आधार पर आईटीसी क्लेम के लिए बनाया गया था। विष्णु गर्ग ने अब तक कुल राशि रु 4.05 करोड़ जमा किए हैं। इस पूरे प्रकरण में किसी भी फर्म ने कोई माल किसी को नहीं बेचा, केवल इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए फर्जी बिल बनाए गए थे। डीजीजीआई इससे पहले भी फर्जी चालान से आईटीसी उठाने के मामलों में कार्रवाई कर चुकी है।
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