राजस्थान के अगले विधानसभा चुनावों में करीब 17 लाख दिव्यांग और 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग लोग घर बैठे मतदान कर सकेंगे। प्रदेश का निर्वाचन विभाग इसकी तैयारी कर रहा है। विभाग ने हाल ही सम्पन्न हुए सरदार शहर, धरियावद, राजसमंद, सुजानगढ़ और वल्लभनगर विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में एक प्रयोग करके देखा था।
निर्वाचन विभाग का वह प्रयोग सफल रहा। ऐसे में अब विभाग दिसंबर-2023 में होने वाले चुनावों में इसे प्रदेश की सभी 200 सीटों पर यह व्यवस्था लागू करेगा। पूरे प्रदेश में करीब 11 लाख 30 हजार दिव्यांग और 5 लाख 70 हजार बुजुर्ग मतदाता (80 वर्ष से अधिक आयु वाले) हैं।
प्रदेश के निर्वाचन विभाग ने इसकी जानकारी केन्द्रीय निर्वाचन आयोग को भी भेज दी है। राजस्थान में यह पहली बार होने जा रहा है।
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) और विभाग के प्रमुख शासन सचिव प्रवीण गुप्ता ने शुक्रवार को दैनिक भास्कर को बताया कि मतदान प्रतिशत आम तौर पर 60 से 70 प्रतिशत के बीच अटका रहता है। मतदान नहीं करने वालों में सर्वाधिक संख्या उन लोगों की रहती है, जो वृद्धावस्था की शारीरिक कमजोरी, गंभीर बीमारी के चलते मतदान केन्द्र तक आ-जा नहींं पाते।
दिव्यांग मतदाता भी अक्सर भीड़ भर मतदान केन्द्रों तक आने-जाने से बचते हैं। इस तरह से वे अपने मतदान के अधिकार का उपयोग तक नहीं कर पाते हैं। हमारी कोशिश है कि इन 20 लाख मतदाताओं को घर बैठे मतदान की सुविधा दी जाए, ताकि मतदान का प्रतिशत भी बढ़े।
लोकतंत्र में अधिकतम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित हो और सभी लोग अपने अधिकार का उपयोग कर सकें। उप चुनावों में हमने इसका पायलट प्रयोग किया था, जो सफल रहा। अब इसे सभी 200 विधानसभा सीटों पर लागू करेंगे।
कैसे करवाएंगे घर बैठे मतदान
किन्हें मिलेगा सर्वाधिक फायदा
जो मतदाता नेत्र या कानों से संबंधित रोग-दुर्घटना के चलते दिव्यांग हैं। वे वोट डालने मतदान केन्द्र पर नहीं जाते हैं। ऐसे ही जो दिव्यांग चलने-फिरने में असमर्थ हैं, वे भी मतदान केन्द्र पर जाकर वोट डालने से बचते हैं। अब ऐसे नागरिकों को भी यह महसूस हो सकेगा कि लोकतंत्र में उनकी भी अन्य नागरिकों के समान भूमिका है।
इन पर भी कर रहा है निर्वाचन विभाग विचार
विभाग यह भी विचार कर रहा है कि 80 वर्ष के बजाए 75 वर्ष की आयु वाले बुजुर्गों को भी यह सुविधा घर बैठे दी जाए। हाल ही विभाग ने 100 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं का घर जाकर उनका अभिनंदन भी किया है। तब उनके परिजनों से जो फीडबैक प्राप्त हुआ, उस में यह भी विचार आया कि घर बैठे मतदान कराने की सुविधा 80 वर्ष के बजाए 75 वर्ष की आयु से ही दी जाए।
विभाग दिव्यांगों के अलावा अस्पतालों में गंभीर रोगों से ग्रस्त होकर भर्ती चल रहे मरीजों, नव प्रसुताओं, गर्भवती मतदाताओं के लिए भी अस्पतालों में ही या किसी तरह के ऑनलाइन माध्यम से मतदान की सुविधा देने पर भी विचार कर रहा है। इसके लिए बहुत से ऐप और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है ताकि इस वर्ग को भी मतदान का अधिकार मिल सके।
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