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पार्टी पर पकड़ के लिए फिर आमने-सामने होंगे गहलोत-पायलट:कांग्रेस में अगले महीने 1 लाख कार्यकर्ताओं को मिलेंगे पद, पहली बार आधे पद युवाओं को

जयपुर7 महीने पहले
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मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस की कमान संभालने के साथ ही अगले महीने से राजस्थान में पार्टी संगठन में बड़ी संख्या में लंबित नियुक्तियों का रास्ता साफ होगा। नवंबर में राजस्थान कांग्रेस में जिला-ब्लॉक और प्रदेश स्तर पर खाली पड़े पदों को भरने का सिलसिला शुरू होगा।

इस बार आधे पद युवाओं को मिलेंगे। राजस्थान कांग्रेस में होने वाली नियुक्तियों से आगे की सियासत भी तय हो जाएगी। इन नियुक्तियों के जरिए पार्टी पर पकड़ बनाने के लिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच जोर आजमाइश होगी।

26 अक्टूबर को मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रस अध्यक्ष का पद संभालने के साथ ही राजस्थान में संगठनात्मक नियुक्तियों के लिए नए सिरे से एक्सरसाइज शुरू होगी। ढाई साल से खाली चल रहे जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के पदों के अलावा इस बार हर 25 बूथ पर एक मंडल बनेंगे।

राजस्थान कांग्रेस में एक मोटे अनुमान के अनुसार चुनावी साल से पहले एक लाख नेताओं को किसी न किसी रूप में संगठन में पद मिलेंगे। टॉप टू बॉटम ये नियुक्तियां होंगी। यही कांग्रेस की चुनावी टीम होगी।

सबसे पहले जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्तियां होंगी
कांग्रेस में अभी सभी 400 ब्लॉक अध्यक्षों के पद खाली हैं। केवल 13 जिलाध्यक्ष ही अभी काम कर रहे हैं, बाकी जिले खाली हैं। ऐसे में सबसे पहले जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों के पदों पर नियुक्तियां होंगी। इसके बाद मंडल और बूथ कमेटियों में भी बड़ी संख्या में नेताओं को एडजस्ट किया जाएगा।

इन नियुक्तियों में विधायकों की राय को तवज्जो मिलना तय माना जा रहा है। जिलाध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षोंके पैनल पहले ही भेजे जा चुके हैंं। अब नए अध्यक्ष की मंजूरी के बाद इन्हें जारी किया जाएगा।

गहलोत-पायलट खेमों की खींचतान में खाली रहा संगठन
सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय जुलाई 2020 में कांग्रेस के टॉप टू बॉटम सभी पदाधिकारियों को हटा दिया था, सभी अग्रिम संगठन सहित जिला-ब्लॉक कार्यकारिणी भी भंग कर दी गई थीं। तब से प्रदेश कार्यकारिणी को छोड़ पूरा संगठन ही बिना पदाधिकारियों के चल रहा है।

सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमों के बीच खींचतान के कारण पिछले ढाई साल से ये पद खाली पड़े हैं। चुनावी साल से पहले संगठन के खाली पदों को अब भरना जरूरी हो गया है।

पिछली कार्यकारिणी में सचिन पायलट खेमे के नेताओं की संख्या ज्यादा थी।
पिछली कार्यकारिणी में सचिन पायलट खेमे के नेताओं की संख्या ज्यादा थी।

नई नियुक्तियों से तय होगा गहलोत-पायलट में किसकी पार्टी पर पकड़
कांग्रेस में टॉप टू बॉटम करीब एक लाख पदों पर होने वाली नियुक्तियों में खेमेबंदी की नई सियासत और खींचतान शुरू होने के आसार हैं। पिछली कार्यकारिणी में सचिन पायलट खेमे के नेताओं की संख्या ज्यादा थी। कांग्रेस सरकार बनने के बाद से लेकर साल 2020 तक पायलट ही प्रदेशाध्यक्ष थे, इसलिए कार्यकारिणी और पूरे संगठन में उनके खेमे के नेता ज्यादा थे।

पायलट खेमे की बगावत के कारण कार्यकारिणी भंग हो गई। अब सचिन पायलट और अशोक गहलोत खेमों के बीच संगठन में पदाधिकारी बनाने के लिए नए सिरे से जोर आजमाइश होना तय माना जा रहा है। कांग्रेस संगठन में करीब एक लाख पदाधिकारियों में से गहलोत और पायलट खुद के नेताओं को जितनी जगह दिलवा पाएंगे, इसी से पार्टी पर पकड़ तय होगी।

इस बार आधे पदाधिकारी 50 साल से कम उम्र के होंगे
इस बार संगठन की सभी नियुक्तियों में ब्लॉक से लेकर प्रदेश लेवल तक 50 फीसदी पदाधिकारी 50 साल से कम उम्र के होंगे। इससे युवा नेताओं को पार्टी में पद मिलेंगे। पार्टी के पदों में SC-ST, ओबीसी और माइनोरिटी को भी भागीदारी देने के लिए आरक्षण का प्रावधान लागू होगा।

उदयपुर चिंतन शिविर में 90 से 180 दिन में सभी खाली पदों पर नियुक्तियां करने का फैसला हुआ था।
उदयपुर चिंतन शिविर में 90 से 180 दिन में सभी खाली पदों पर नियुक्तियां करने का फैसला हुआ था।

नवंबर आखिर तक नियुक्तियों की डेडलाइन
कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में हुए फैसले के मुताबिक 90 से 180 दिन में सभी खाली पदों पर नियुक्तियां करना तय हुआ था। नवंबर में यह डेडलाइन पूरी हो रही है। ऐसे में अब नए साल से पहले कांग्रेस की नियुक्तियों का काम पूरा करना है। उदयपुर डिक्लेरेशन के मुताबिक हर राज्य में पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी का गठन करने का फैसला हुआ था। राजस्थान में भी यह कमेटी बनेगी।

पहली बार बीजेपी की तर्ज पर कांग्रेस में मंडल बनेंगे
कांग्रेस में उदयपुर चिंतन शिविर में हुए फैसले के अनुसार बूथ और ब्लॉक के बीच में एक मंडल यूनिट बनेगी। अब तक बीजेपी में ही मंडल है, हालांकि ये मंडल कांग्रेस के ब्लॉक लेवल के हैं। कांग्रेस में 20 से 25 बूथ पर एक मंडल बनेगा। प्रदेश में कुल 52 हजार पोलिंग बूथ हैं।

प्रदेश भर में 2000 से ज्यादा मंडल अध्यक्ष बनेंगे। हर मंडल में आठ से 10 नेताओं की कार्यकारिणी होगी। मंडल अध्यक्ष और कार्यकारिणी को मिलाकर 20 हजार नेताओं को मंडल स्तर पर पद मिलेंगे।

जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष पर सबसे ज्यादा निगाह
ब्लॉक अध्यक्ष के पद को लेकर सबसे ज्यादा खींचतान रही है। जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष टिकटों पर पैनल तय करने में शुरुआती फीडबैक देते हैं, इसलिए विधायक और हारे हुए विधायक उम्मीदवार अपने-अपने गुट के लोगों को ​ब्लॉक अध्यक्ष बनाना चाहते हैं।

अब तक कांग्रेस में तय फार्मूला रहा है कि हर विधानसभा सीट के दो में से एक ब्लॉक पर विधायक के गुट का ब्लॉक अध्यक्ष और दूसरे ब्लॉक पर अन्य नेता की पसंद का ब्लॉक अध्यक्ष बनाते रहे हैं।

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प्रदेश में गहलोत सरकार पर आए सियासी संकट के बाद और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले अब कांग्रेस संगठन व सरकार दोनों में सक्रियता बढ़ गई है। सरकार जनता के लिए बड़ी घोषणाएं कर रही है, संगठन प्रदेश में आने वाली राहुल की यात्रा की तैयारियों में जुटा है। इसी बीच सरकार कार्यकर्ताओं को सियासी नियुक्तियों का तोहफा भी दे रही है। (पूरी खबर पढ़ें)