मंडे स्पेशलराजस्थान के सबसे बड़े ब्लैकमेल कांड का ‘बदलापुर:दादी याद दिलाती रही कैसे तुम्हारे पिता को मारा, बेटे ने 30 साल इंतजार कर बदला लिया

जयपुर4 महीने पहलेलेखक: मनीष व्यास/भरत मूलचंदानी
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7 जनवरी 2023 के दिन पुष्कर का एक रिसोर्ट अचानक गोलियों के शोर से गूंज उठा। यहां एक हिस्ट्रीशीटर और पूर्व नेता सवाई सिंह की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। गोलियों का शोर जैसे ही थमा रिसोर्ट के बाहर जमा भीड़ से एक आवाज गूंजती हुई सुनाई दी…. 'हमने बाप की मौत का बदला ले लिया।'

ठीक 30 साल 4 महीने पहले अजमेर के जेएलएन अस्पताल में भर्ती एक लोकल अखबार के संपादक मदन सिंह की हत्या भी इसी तरीके से की गई थी। बदला लेने वाली ये आवाज उसी मदन सिंह के बेटे सूर्यप्रताप सिंह की थी। जिसका मर्डर हुआ, वो शख्स था मदनसिंह हत्याकांड में बरी हो चुका आरोपी सवाई सिंह।

दैनिक भास्कर ने इन्वेस्टिगेशन किया तो सामने आया कि इस हत्याकांड का लिंक 90 के दशक में हुए देश के सबसे बड़े ब्लैकमेलिंग कांड से जुड़ा है। इसी स्कैंडल को अपने अखबर में एक्सपोज करने वाले पत्रकार की हत्या हुई तो उसके बेटों ने पुष्कर में हुए इस ‘बदलापुर’ की स्क्रिप्ट लिखनी शुरू कर दी थी।

आखिर 30 साल पहले एक लोकल अखबार के संपादक ने ऐसा क्या छाप दिया था कि उसकी हत्या हो गई ? अभी भी उस मर्डर के बदले की आग क्यों सुलग रही है ? ऐसा क्या है कि सवाई सिंह को मारने वाले हत्यारों के परिजन इसे अभी बदले की शुरुआत ही बता रहे हैं ?

मंडे स्पेशल स्टोरी में सिलसिलेवार पढ़िए-इन्हीं के सवालों के जवाब…

शर्मसार करने वाला स्कैंडल
साल 1992, अप्रैल-मई का महीना। अजमेर के एक नामी गर्ल्स कॉलेज की हाई प्रोफाइल स्टूडेंट्स की न्यूड तस्वीरें अचानक से शहर में सर्कुलेट होनी शुरू हुईं। इसके बाद एक-दो नहीं, बल्कि 100 से ज्यादा छात्राओं की तस्वीरें वायरल हो गईं। राजस्थान में ब्लैकमेलिंग का ऐसा स्कैंडल हुआ था, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया।

यह 1992 के एक अखबार की कटिंग। ब्लैकमेलिंग कांड से जुड़ी खबरों ने देशभर में तहलका मचा दिया था।
यह 1992 के एक अखबार की कटिंग। ब्लैकमेलिंग कांड से जुड़ी खबरों ने देशभर में तहलका मचा दिया था।

इस ट्रैप की शिकार लड़कियों में से कुछ लड़कियां अपने साथ हुई ज्यादतियां सहन नहीं कर पाई और पुलिस के साथ ही तब अजमेर में लोकल अखबार चला रहे कुछ पत्रकारों और संपादकों तक पहुंचकर पूरी आपबीती बता दी। मदनसिंह तब ऐसे ही एक अखबार 'लहरों की बरखा' के संपादक थे।

ये अखबार ब्लैक एन्ड व्हाइट और हैंड मन्युअल ऑफसेट से पब्लिश होता था। उन्होंने अखबार में इस स्कैंडल से जुडी खबरों की सीरीज छापनी शुरू कर दी। इन सीरीज में मदनसिंह ने पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ शहर के कई बड़े सफेदपोश लोगों को एक्सपोज करके रख दिया था।

76 एपिसोड में एक्सपोज कर चुके थे पूरा कांड
मदनसिंह की पत्नी आशा कंवर ने बताया कि 4 सितंबर 1992 का दिन था। इसी दिन उनके पति मदनसिंह ने अपने अखबार में अजमेर ब्लैकमेलिंग स्कैंडल की 76वीं किस्त प्रकाशित की थी। इसके साथ ही ये एलान कर दिया था कि अब वो अगली कड़ी कलर प्रिंट में छापेंगे और कई बड़े नामों का खुलासा करेंगे।

इसी दिन रात के 10 बजे मदनसिंह अपने स्कूटर में पेट्रोल भरवाने घर से निकले। तभी श्रीनगर रोड पर एंबेसडर कार सवार कुछ लोगों ने फायरिंग कर दी। हमले में गंभीर रूप से घायल हुए मदन सिंह ने वहां पास से गुजर रहे एक नाले में छलांग लगाकर अपनी जान बचाई थी।

पत्रकार मदन सिंह की फैमिली फोटो: 4 सितंबर 1992 को मदन सिंह पर पहली बार फायरिंग हुई। इस घटना से शहरभर में आक्रोश था।
पत्रकार मदन सिंह की फैमिली फोटो: 4 सितंबर 1992 को मदन सिंह पर पहली बार फायरिंग हुई। इस घटना से शहरभर में आक्रोश था।

घायल मदन सिंह को पुलिस सुरक्षा के साथ JLN हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। कई दिन तक इलाज चला। इसके सात दिन बाद 11 सितंबर को अचानक वहीं हॉस्पिटल के वार्ड में रात के अंधेरे में चेहरे को कंबल से ढककर 4-5 लोग वहां आते हैं और बेड पर सो रहे मदन सिंह पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। उन्हें कुल 5 गोलियां लगती हैं। इस हमले के 3 दिन बाद इलाज के दौरान मदन सिंह की मौत हो जाती है।

अस्पताल में हुए इस गोलीकांड की इकलौती प्रत्यक्षदर्शी मदन सिंह की मां घीसी कंवर थीं। उनकी रिपोर्ट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, पूर्व पार्षद सवाई सिंह, नरेंद्र सिंह सहित अन्य लोगों के खिलाफ 302 का मुकदमा दर्ज हुआ। आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, लेकिन एक-एक कर सभी आरोपी जमानत पर छूटते गए।

बदले की आग में झुलसते बेटे बने अपराधी
पिता मदनसिंह की मौत के समय उसके दो बेटों में से धर्मप्रताप 8 साल और सूर्यप्रताप 7 साल का था। वो बदले की आग में जल रहे थे। घर में उनकी दादी भी हर पल उन्हें यही बताती रहीं कि आरोपियों ने कैसे उनके पिता को दर्दनाक मौत दी थी। वहीं, पुलिस की लापरवाही और गवाहों के लगातार बदलने से आरोपियों पर कानूनी शिकंजा भी कम होने लग गया था।

मदन सिंह की मौत के बाद की तस्वीर : पिता की पार्थिव देह के आगे खड़ा सबसे बड़ा बेटा धर्मप्रताप (8 साल) और छोटा बेटा सूर्यप्रताप (7 साल)।
मदन सिंह की मौत के बाद की तस्वीर : पिता की पार्थिव देह के आगे खड़ा सबसे बड़ा बेटा धर्मप्रताप (8 साल) और छोटा बेटा सूर्यप्रताप (7 साल)।

10 साल पहले थी आरोपियों को मारने की साजिश
सूर्यप्रताप जैसे ही 18 साल का हुआ तो उसने अपने भाई के साथ मिलकर पिता की हत्या के ही एक आरोपी शिवहरे पर घात लगाकर हमला किया और उसके हाथ पैर तोड़ दिए थे। इस हमले में गंभीर रूप से घायल और बेकार हुए शिवहरे की बाद में मौत भी हो गई थी। इसके 10 साल बाद दोनों भाइयों ने मिलकर अजमेर की रीजनल कॉलेज के सामने एक रेस्टोरेंट के बाहर पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल और सवाईसिंह पर फायरिंग की, लेकिन दोनों बच गए। मामले में दोनों भाई गिरफ्तार हुए और जमानत पर रिहा भी हो गए।

सभी आरोपी हुए बरी, हाईकोर्ट में भी नहीं हुई सुनवाई
पत्रकार मदन सिंह हत्याकांड में कानूनी रूप से जुड़े हुए एडवोकेट अजय प्रताप वर्मा ने बताया कि ये पूरा मामला दो अलग-अलग केस से शुरू हुआ था। स्कूटर सवार मदनसिंह पर जो हमला हुआ वो अलवर गेट थाने में दर्ज था और हॉस्पिटल में हुए हमले के मामले को सदर कोतवाली (अब कोतवाली) में दर्ज किया गया था। बाद में दोनों केस को जॉइंट कर इन्वेस्टिगेशन की गई। मामले में सामने आया था कि दोनों हमले में घायल मदनसिंह के हिप्स में सेप्टिक नहीं भरने और लगातार मवाद आ जाने से बाद में उसकी मौत हो गई थी।

तब के अखबारों में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस को घटनास्थल से बंदूक का बट टूटा मिला था। इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि टूटी बंदूक स्थानीय निवासी सुधीर शिवहरे की थी। हालांकि ये तथ्य कोर्ट में साबित नहीं हो पाया था।
तब के अखबारों में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस को घटनास्थल से बंदूक का बट टूटा मिला था। इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि टूटी बंदूक स्थानीय निवासी सुधीर शिवहरे की थी। हालांकि ये तथ्य कोर्ट में साबित नहीं हो पाया था।

मदनसिंह पर हुए दूसरे हमले में उनकी मां घीसी बाई आई विटनेस थीं। कोर्ट में उनके बयानों को काफी कांट्रडिक्ट्री बताया गया। इसी केस में बाद में हाईकोर्ट ने तत्कालीन सेशन जज को घटना की जगह का साइट विजिट कर पूरा सीन दोबारा से रिक्रिएट करने के निर्देश दिए थे। ऐसे में तत्कालीन सेशन जज डी सी वलेला के साथ केस से जुड़े एडवोकेट्स भी JLN हॉस्पिटल के उसी वार्ड में पहुंचे, जहां मदनसिंह पर दुबारा फायरिंग की गई थी।

सेशन जज के साइट विजिट करने के दौरान वार्ड में मदनसिंह के पलंग पर सोने और खंभे के पीछे से गोलियां चलाने और डॉक्टर राजकुमार जयपाल के बोलने वाली जगह का पूरा सीन रिक्रिएट किया गया। इसके बाद इस रिक्रिएशन के सारे डायरेक्शन हाईकोर्ट को भेजे गए। इसी के आधार पर ये माना गया कि चश्मदीद घीसी बाई की बताई गई जगह खंभे के पीछे से पलंग पर सो रहे मदनसिंह को गोलियां मारना संभव नहीं था। वहीं, जयपाल की प्रेजेंस भी बयानों में विरोधाभासी हो गई। इसी आधार पर सभी आरोपी अजमेर फास्ट ट्रैक कोर्ट से बरी हो गए। साल 2004 से अब इसी आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील पेंडिंग है।

बेटे की शादी के कार्ड बांट रहा था सवाई सिंह, तभी मार दी गोली
हिस्ट्रीशीटर सवाई सिंह के बेटे सूर्यदेव सिंह की 15 जनवरी को शादी होनी है। 16 जनवरी को स्नेहभोज का आयोजन होना था। ऐसे में वो इसके कार्ड बांट रहा था। सवाई सिंह, हरिसिंह और अपने एक दोस्त दिनेश तिवाड़ी के साथ कार्ड बांटने ही नागौर के पीह गांव गए हुए थे। वापस आते समय वो पुष्कर के समीप बांसेली स्थित एक रिसोर्ट के लॉन में बैठ गए थे।

सवाई सिंह के बेटे की शादी का कार्ड बंट चुके थे। 15 जनवरी की रात ही सूर्यदेव की शादी संपन्न हुई है।
सवाई सिंह के बेटे की शादी का कार्ड बंट चुके थे। 15 जनवरी की रात ही सूर्यदेव की शादी संपन्न हुई है।

तभी वहां तीन-चार लोग आए और उन्होंने पीछे से सवाई सिंह को गोलियां मार दी। एक गोली दिनेश के पेट में भी लगी। एक आरोपी जिसने हेलमेट पहना था उसने अपना हेलमेट खोलकर कहा- हमने अपने बाप मदनसिंह की मौत का बदला ले लिया है। इसके बाद वो चिल्लाने लग गया। बाकी आरोपी वहां से भाग गए। घायल सवाई और दिनेश को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां सवाई को डेड घोषित कर दिया गया और दिनेश को ट्रीटमेंट दिया गया।

हत्यारोपी सूर्यप्रताप की पत्नी बोली- फक्र है पति पर, बाप की मौत का बदला लिया
सवाई सिंह की मौत के तुरंत बाद सूर्यप्रताप की पत्नी नीमा शेखावत मीडिया के सामने आई और बोली कि उन्हें फक्र है अपने पति सूर्यप्रताप पर कि वो अपने मरे बाप की मौत का बदला ले रहे हैं। उसने कहा कि अगर उसके ससुर मदनसिंह की ह्त्या के मामले में पुलिस अपना काम सही से करती और उन्हें न्याय दिलाती तो आज उसके पति और जेठ अपराधी नहीं बनते। अब तो वो खुद और उनके परिजन तक नहीं जानते है कि बदले की ये आग कब बुझेगी ? हालांकि उन्होंने बाद में ये भी कहा कि पुलिस उनके पति और जेठ को झूठा फंसा रही है। वहीं, उसके ससुर मदनसिंह के हत्यारों की सुरक्षा कर रही है।

पुलिस ने किया खुलासा- शार्पशूटर्स से करवाया सवाई सिंह का मर्डर
अजमेर एसपी चुनाराम जाट ने बताया कि सूर्य प्रताप ने अजमेर के बदमाश आकाश सोनी से कॉन्टेक्ट कर अपने पिता मदन सिंह की मौत का बदला लेने के लिए शूटर्स मांगे। इस पर आकाश के बुलावे पर भरतपुर के शूटर कपिल और विकास अजमेर पहुंचे और सूर्य प्रताप सिंह से मिले। सूर्य प्रताप ने दोनों के अजमेर मे ही रुकने की व्यवस्था की। इसके बाद सूर्यप्रताप ने अपने भाई धर्मप्रताप सिंह व विनय प्रताप सिंह के साथ दोनों शूटर्स को शहर की जानकारी दी।

पुलिस के अनुसार आरोपी सूर्यप्रताप सिंह के खिलाफ आर्म्स एक्ट, जमीनों पर अवैध कब्जा और मारपीट आदि के 11 मुकदमे दर्ज हैं, जबकि उसके भाई धर्मप्रताप सिंह पर 7 प्रकरण दर्ज हैं।
पुलिस के अनुसार आरोपी सूर्यप्रताप सिंह के खिलाफ आर्म्स एक्ट, जमीनों पर अवैध कब्जा और मारपीट आदि के 11 मुकदमे दर्ज हैं, जबकि उसके भाई धर्मप्रताप सिंह पर 7 प्रकरण दर्ज हैं।

टारगेट सवाई सिंह की फोटो भी दिखाई। इसके बाद 7 जनवरी को पुष्कर मे युवराज रिसॉर्ट बांसेली मे सवाई सिंह के जाने की खबर उसकी रेकी कर रहे विनय प्रताप सिंह से मिलते ही सुर्यप्रताप के साथ दोनों शूटर्स कपिल और विकास वहां पहुंचे और सवाई सिंह को गोलियां मार दी। हमले के बाद शूटर्स वहां से भाग गए, लेकिन सूर्यप्रताप वहीं रुका रहा और पकड़ा गया। फिलहाल मामले में पुलिस ने दोनों शार्प शूटर्स कपिल, विकास और रेकी करने वाले विनय प्रताप और सूर्यप्रताप को गिरफ्तार कर लिया है। एक आरोपी धर्मप्रताप की तलाश की जा रही है।

डॉक्टर जयपाल और अन्य लोगों को मिली पुलिस सुरक्षा
हिस्ट्रीशीटर सवाईसिंह की दिनदहाड़े हत्या के बाद से पुलिस भी सतर्क हो गई है। 30 साल पुराने पत्रकार मदनसिंह हत्याकांड से लिंक आने के बाद तब के आरोपी पूर्व विधायक डॉक्टर जयपाल सहित बाकी अन्य लोगों की भी पुलिस सुरक्षा बढ़ाई गई है। हमले के तुरंत बाद ही डॉक्टर जयपाल के घर के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई।

7 जनवरी 2023 को पूर्व पार्षद की रिसोर्ट में हत्या।

मामले में सामने आया है कि बदले की आग में झुलस रहे मदनसिंह के बेटे सूर्यप्रताप ने ही दो भाड़े के शूटर्स और अपने भाइयों और एक दोस्त के सहारे सवाईसिंह के मर्डर को अंजाम दिया। सूर्यप्रताप सिंह को मौके से ही पकड़ लिया गया। वहीं अब तक दो शूटर्स, एक डीलर व रैकी करने वाले आरोपी सहित कुल 5 आरोपियों को भी पकड़ लिया गया है।

मृतक सवाई सिंह हिस्ट्रीशीटर है, उसके खिलाफ 22 मुकदमे दर्ज हैं। जिनमें 5 मुकदमे जानलेवा हमले के हैं। 1 प्रकरण हत्या का और शेष 16 प्रकरण लूट, चोरी, अवैध हथियार, मारपीट आदि के दर्ज हैं।
मृतक सवाई सिंह हिस्ट्रीशीटर है, उसके खिलाफ 22 मुकदमे दर्ज हैं। जिनमें 5 मुकदमे जानलेवा हमले के हैं। 1 प्रकरण हत्या का और शेष 16 प्रकरण लूट, चोरी, अवैध हथियार, मारपीट आदि के दर्ज हैं।

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