राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर (कश्मीर) में पूरी हुई। राजस्थान से जब यह यात्रा गुजर रही थी तब कांग्रेस के सबसे बड़े अभियान- हाथ से हाथ जोड़ो- की शुरुआत हुई। लेकिन 26 जनवरी से शुरू हुए इस अभियान को राजस्थान में ही कांग्रेस विधायक और बड़े नेता तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
कांग्रेस सरकार और पार्टी 10 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है। लेकिन राहुल गांधी का यह अभियान प्रदेश में रस्म अदायगी बनकर रह गया है।
जयपुर (संभाग) में 29 जनवरी और अजमेर (संभाग) में 27 जनवरी को कांग्रेस के सम्मेलन हुए। इन दोनों सम्मेलनों में पार्टी के कई बड़े नेता शामिल नहीं हुए। दोनों जगहों पर कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने नसीहतें तो खूब दीं, लेकिन नेताओं पर फिलहाल कोई असर होता नहीं दिख रहा।
अब आगे 5 सम्मेलन सीएम अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जोधपुर सहित उदयपुर, बीकानेर, कोटा व भरतपुर संभाग में भी होने वाले हैं।
जयपुर संभाग में जयपुर, सीकर, झुन्झुनूं, दौसा, अलवर के करीब 35 विधायक आते हैं। लेकिन जयपुर में 29 जनवरी को हुए सम्मेलन में केवल 15 विधायक ही शामिल हुए। 20 विधायक गैर हाजिर रहे। उधर 27 जनवरी को अजमेर संभाग में हुए सम्मेलन में भी लगभग आधे विधायक शामिल हुए। इस संभाग में टोंक से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और केकड़ी से पूर्व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा विधायक हैं, लेकिन वे दोनों अजमेर सम्मेलन में नहीं आए।
बड़ी बात ये है कि 27 और 29 जनवरी को जब कांग्रेस सम्मेलन हुए तब सचिन पायलट और रघु शर्मा राजस्थान में ही थे, उस वक्त विधानसभा भी नहीं चल रही थी। ऐसे में दोनों बड़े नेताओं का सम्मेलन में शामिल न होना अनुशासनहीनता की ओर इशारा करता है।
कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सोमवार को दैनिक भास्कर को बताया कि दोनों सम्मेलनों में हमने कहा कि कोई नेता खुद को संगठन से बड़ा न समझे। आगे भी जिन संभाग मुख्यालयों पर सम्मेलन होने हैं, उनमें सभी को गंभीरता से भाग लेने को कहा जा रहा है।
जयपुर और अजमेर के सम्मेलनों में जो विधायक या पदाधिकारी शामिल नहीं हुए उनसे कारण बताने को कह दिया गया है। इसके लिए बाकायदा गैर हाजिर रहे सदस्यों को मैसेज भेजा गया है। रंघावा ने कहा कि अगर सम्मेलन में शामिल नहीं होने का कोई वाजिब कारण हमें मिला तो ठीक है, अन्यथा ऐसे नेताओं को नोटिस दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा- हाथ से हाथ जोड़ो सबसे महत्वपूर्ण अभियान है। इसे गंभीरता से न लेना अपने आप में अनुशासनहीनता ही है।
इन सम्मेलनों में ये शिकायतें आईं थीं सामने
रंधावा की धमक अभी तक जमी नहीं
राजस्थान में कांग्रेस के दो पूर्व राष्ट्रीय प्रभारी अविनाश पांडे और अजय माकन पार्टी में गुटबाजी और अनुशासनहीनता दूर नहीं कर पाए थे। माकन तो गुटबाजी और कथित अनुशासनहीनता करने वाले मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने के चलते पद ही छोड़ गए।
तीनों नेताओं के खिलाफ अब तक भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि पार्टी ने कोई कार्रवाई की है या नहीं। राजस्थान प्रभारी के पद पर सुखजिंदर सिंह रंधावा की नियुक्ति 6 दिसंबर 2022 को हुई थी, दो महीने के बाद कांग्रेस पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि उनके नाम की धमक अभी तक जम नहीं पाई है।
हाथ से हाथ जोड़ो अभियान में रंधावा के साथ प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी थे, इसके बावजूद बड़ी संख्या में विधायकों का नहीं आना यह बताता है कि उन्हें किसी का डर नहीं है।
रंधावा ने नसीहतें तो दीं, लेकिन कितनी असरकारी साबित होंगी यह अगले सम्मेलन में पता चलेगा
सम्मेलनों में रंधावा ने कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों को नसीहतें दी कि जो मंत्री अपने बंगलों के दरवाजे बंद रखते हैं, उनके बंगलों के दरवाजे सदा के लिए बंद कर दिए जाएंगे। संगठन से बड़ा समझने वालों को जल्द ही उनका कद दिखला दिया जाएगा।
उन्होंने कहा- सभी को मिल जुलकर कांग्रेस को मजबूत करना है और सरकार को रिपीट करना है। जो विधायक सम्मेलन में नहीं आए हैं, उन्हें कारण स्पष्ट करना ही होगा। अब यह सब नसीहतें कितनी कारगर होंगी, यह अगले सम्मेलन में पता चल ही जाएगा।
क्या होगा सीएम के मिशन-156 और रंधावा के मिशन-200 का
सीएम अशोक गहलोत ने 26 जनवरी को जयपुर में एसएमएस स्टेडियम के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से मिशन-156 में जुटने का आह्वान किया था। गहलोत ने कहा था कि जिस तरह से वर्ष 1998 में कांग्रेस ने 200 में 156 सीटें हासिल की थी, उसी तरह से इस बार सरकार रिपीट करते हुए 156 सीटें हासिल करनी है।
उधर रंधावा ने जयपुर और अजमेर संभाग के सम्मेलनों में 156 से आगे बढ़ते हुए सभी 200 सीटें जीतने की बात कही है। दोनों ही दावे महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जिस तरह से हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के पहले दोनों सम्मेलनों में जमीनी हकीकत सामने आई है, वो इन दोनों मिशन के लिए चुनौती साबित होगी।
अब विधायक हो जाएंगे ज्यादा व्यस्त
अभी विधानसभा में करीब महीने भर बजट सत्र चलने की संभावना है। 8 फरवरी को बजट आएगा। सत्र खत्म होने तक विधायकों की व्यस्तता सदन में रहेगी और सत्र खत्म होने के बाद करीब 9 महीने (आचार संहिता को छोड़कर सिर्फ 7 महीने ही) रह जाएंगे चुनाव में।
ऐसे में विधायकों की व्यस्तता बजट घोषणाओं और फ्लैगशिप योजनाओं को जनता के बीच फील्ड तक पहुंचाने में रहेगी। ऐसे में आशंका अब इस बात की भी जताई जा रही है, कि इन परिस्थितियों में कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ो अभियान को गति मिलना कैसे संभव हो पाएगा ?
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महारानी कॉलेज में छात्रसंघ कार्यालय उद्घाटन के दौरान हुए थप्पड़कांड के बाद हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट का एक फरमान चर्चा में है। प्रदेशभर में इस फरमान का विरोध भी हो रहा है। आदेश के मुताबिक अब छात्र नेता को कार्यालय उद्घाटन करने से पहले वहां के स्थानीय विधायक से परमिशन लेनी होगी। राजस्थान के सभी यूनिवर्सिटीज और उनसे संबद्ध कॉलेज के लिए यह आदेश लागू होगा।
उच्च शिक्षा के इस आदेश के बाद छात्र नेताओं और पॉलिटिकल पार्टी की छात्र इकाई ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है। वहीं, मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों ने भी इसे सरकार की तानाशाही बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह का तुगलकी फरमान आम छात्रों के खिलाफ है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। (पूरी खबर पढ़ें)
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