जातियों में बंटी राजस्थान की राजनीति में खुद को प्रभावी ढंग से पेश करने को लेकर बीजेपी अपनी रणनीति बदलती हुई नजर आ रही है। यहां हिंदुत्व के बजाय पार्टी लोक-देवताओं पर ज्यादा फोकस्ड नजर आ रही है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने मालासेरी में अपने भाषण में बीजेपी का गुर्जरों के साथ गहरा नाता बताकर राजस्थान में सियासी पारा एक बार फिर चढ़ा दिया। राजस्थान की वर्तमान सियासी स्थिति पर नजर डालें तो गुर्जरों में पैठ को लेकर बीजेपी अभी तक काफी पीछे नजर आती है।
राजस्थान विधानसभा में 8 गुर्जर विधायक हैं, मगर इनमें से एक भी बीजेपी का नहीं। ऐसे में गुर्जरों को बीजेपी से जोड़ने के लिए पीएम माेदी ने पार्टी के चुनाव निशान और देवनारायण का नाता जोड़ा।पीएम ने सभा में कहा कि देवनारायण का अवतरण कमल के फूल पर हुआ था। वहीं हम तो पैदाइशी कमल के साथ हैं। हमारा-आपका नाता कुछ गहरा है।
बता दें कि बीजेपी का चुनाव चिन्ह भी कमल ही है। ऐसे में यह साफ है कि इस बात से पीएम गुर्जर समाज को बीजेपी के साथ जोड़ना चाह रहे थे। ऐसा ही कुछ बीजेपी के तमाम नेताओं की अप्रोच में नजर आया। मालासेरी के कार्यक्रम में बीजेपी का पूरा फोकस भी गुर्जर समाज पर ही था।
राजस्थान में पीएम का लोक-देवताओं और महापुरूषों पर फोकस
मानगढ़ के पिछले दौरे पर भी पीएम मोदी ने गोविंद गिरी सहित अन्य आदिवासी हस्तियों को लेकर यह बात कही थी कि इतिहास में इन्हें सम्मान अब तक नहीं मिला है। मगर अब इन महापुरुषों के योगदान काे आगे लाया जा रहा है।
ठीक इसी तरह मालासेरी में भी अपने भाषण में पीएम मोदी ने विजय सिंह पथिक, रामप्यारी गुर्जर और पन्नाधाय सहित अन्य गुर्जर विभूतियों का नाम लेते हुए इनका देश और संस्कृति के लिए योगदान की बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसे अनगिनत सेनानियों को इतिहास में वो स्थान नहीं मिल पाया जो मिलना चाहिए था। मोदी ने कहा कि अब उनके योगदान को लोगों को बताया जा रहा है।
इसी तरह पीएम ने मालासेरी के भाषण में रामदेवजी, तेजाजी, गोगाजी, पाबूजी सहित अनेक लोक-देवताओं का भी जिक्र किया। ऐसे में यह तय है कि राजस्थान में बीजेपी ने हिंदुत्व के बजाय लोक-देवताओं, स्थानीय महापुरुषों पर फोकस करने पर जोर दिया है।
बता दें कि पिछले साल बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी रामदेवरा से 11 किमी की पदयात्रा की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में बीजेपी की ओर से लोक-देवताओं और उनसे जुड़े स्थलों पर और भी कार्यकम हो सकते हैं।
प्रधानमंत्री अलग-अलग समाजों को साधने में जुटे
राजस्थान में पिछले तीन महीने में पीएम का यह दूसरा दौरा था। इससे पहले 1 नवम्बर को पीएम बांसवाड़ा के मानगढ़ पहुंचे थे। अपने पिछले दो दौरों में पीएम ने राजस्थान की राजनीति में अहम जगह रखने वाले समुदायों को साधने की कोशिश की है। इससे पहले मानगढ़ पहुंचकर पीएम ने आदिवासियों के बीच कार्यक्रम किया था। यहां उन्होंने गोविंद गिरी के बलिदान और आदिवासियों की संस्कृति पर बात की थी।
राजस्थान में आदिवासी बाहुल्य सीटों पर नजर डालें तो 25 सीटें तो एसटी रिजर्व सीटें हैं। इसके अलावा भी लगभग 10 ऐसी सीटें और हैं जहां आदिवासी वोट बैंक प्रभावी रहता है। इनमें उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, बारां, सिरोही की सीटें शामिल हैं।
आदिवासी भी परम्परागत रूप से कांग्रेस का वोट बैंक था। ऐसे में आने वाले चुनावों में आदिवासियों को बीजेपी के साथ और मजबूती से जोड़ने की दिशा में उस कार्यक्रम को देखा गया था।
इसी तरह वर्तमान में मुख्यत: सचिन पायलट के होने से गुर्जर समाज पूरी तरह से राजस्थान में कांग्रेस की ओर झुका हुआ नजर आता है। हाल ही में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी इसका असर देखने को मिला। ऐसे में उसी को ध्यान में रखते हुए मालासेरी कार्यक्रम किया गया। राजस्थान में 15 सीटों पर गुर्जर निर्णायक भूमिका में होते हैं।
इसके अलावा लगभग 55 सीटों पर गुर्जर अपने वोट से परिणाम प्रभावित करते हैं।
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भीलवाड़ा के मालासेरी डूंगरी में सभा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में पिछले 4 महीने में अपना तीसरा दौरा किया। इससे पहले आबूरोड के मानपुर और बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम के दौरे पर मोदी राजस्थान आए थे। मगर इस दौरे पर बीजेपी और पीएमओ ने रणनीतिक रूप से कांग्रेस को पूरी तरह से अलग रखा और कांग्रेस के नेताओं को अलग रखने के लिए भाजपा नेताओं ने भी कार्यक्रम से दूरी बनाई। (पूरी खबर पढ़ें)
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