करवा चौथ के मौके पर दैनिक भास्कर तीन महिलाओं की ऐसी ही दास्तां लेकर आया है। इन्होंने अपने बिछडे़ हुए सुहाग को फिर से पाने के लिए तलाश में दिन-रात एक कर दिए। उन्हें खोजकर ही दम लिया। इनमें नेपाल बॉर्डर पर बसे सीतामढ़ी की 28 साल की सीता देवी, फरीदाबाद की 85 साल की जनकरानी और झांसी की 52 साल जय कुंवर हैं। संयोग से इन तीनों की अपने पति से मुलाकात भरतपुर के अपना घर आश्रम में इसी महीने हुई। इन महिलाओं का कहना है कि जब से वे लापता हुए तो हर त्योहार का उत्साह ही खत्म हो गया। लेकिन, अब वे मिल गए हैं तो यह करवा चौथ उनके लिए सबसे खास रहेगी। पढ़िए... तीनों जोड़ों के बिछुड़ने और फिर मिलने की संघर्ष भरी कहानियां।
डेढ़ साल में ही सीता ने खोज लिए अपने राम...
भरतपुर से करीब 930 किलोमीटर दूर नेपाल बॉर्डर स्थित सीतामढ़ी की सीता देवी ने भरतपुर का नाम भी नहीं सुना था। पेशे से मजदूर पति रामस्वरूप मानसिक रूप से बीमार हैं। आर्थिक दिक्कत की वजह से उसका ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा था। डेढ़ साल पहले वह अचानक लापता हो गया। सीता देवी के लिए यह बड़ा आघात था। आर्थिक मजबूरी होते हुए पति को तलाशती रही, हार नहीं मानी। वह शहर-शहर भटकती रही।
आखिर सोशल मीडिया के जरिए उसे भरतपुर के अपना घर में सुहाग मिल ही गया। यहां आकर पति को देखा तो खुशी के आंसू छलक आए। रुलाई फूट पड़ी। बोली- डेढ़ साल में हर पूर्णिमा की रात प्रार्थना करती थी कि मुझे मेरा चंद्रमा कब दिखेगा। लेकिन, यह करवा चौथ मेरे लिए बहुत खास है। अपना घर ने रामस्वरूप को जुलाई, 2020 में गाजियाबाद से रेस्क्यू किया था।
चौखट पर होने वाली हर आहट से लगता था कि वे लौट आए हैंः जनकरानी
फरीदाबाद में रहने वाली 85 साल की जनक रानी के लिए 87 साल के पति एमएस चावला का 7 माह पहले अचानक गुम हो जाना बड़ा सदमा था। बच्चे भी 6 महीने की अथक कोशिश में पिता को नहीं खोज पाए। थक-हार कर अपने काम-धंधे में लग गए। लेकिन, जनकरानी ने हार नहीं मानी। बोलीं- चौखट पर होने वाली हर आहट से ऐसा लगता था कि वे घर लौट आए हैं। हर बार निराशा होती।
सुबह अखबार, टीवी और फेसबुक-वॉट्सएप पर उन्हें ही ढूंढती रहती कि शायद उनका फोटो दिख जाए। वे मानसिक रूप से बीमार थे। बुढ़ापे और बीमारी की वजह से ज्यादा चिंता रहती थी। दिन-रात माता रानी से प्रार्थना करती कि हे मां जीते-जी एक बार उनसे मिला दो। जनक रानी ने कहा कि मातारानी ने मेरी सुन ली। मुझे अब जीने की वजह मिल गई है। अपना घर आश्रम ने एमएस चावला को अगस्त, 2021 में हरिद्वार से रेस्क्यू किया था।
मेरा सुहाग लापता क्या हुआ, 8 महीने में व्रत-त्योहार सब छूट गए थेः जयकंवर
हरियाणा के पलवल में 55 साल के देवीलाल पेशे से कारीगर हैं। मानसिक रूप से बीमार होने के कारण 8 महीने पहले अचानक गुम हो गए। जाहिर है पत्नी जयकंवर के लिए यह वज्राघात था। झांसी के मऊरानीपुर की रहने वाली जयकुंवर बताती हैं कि हम पलवल से आ रहे थे तभी वे बस से उतरकर कहीं चले गए। हमने समझा कि पानी अथवा खाने-पीने का सामान लेने गए होंगे। लेकिन, लौटकर नहीं आए। हमने वहीं से तलाश शुरू की। इन 8 महीनों में उन्हें कहां नहीं ढूंढा। जो जहां बताता वहीं जाती। मेरे व्रत-त्योहार सब छूट गए।
कुछ दिन पहले NGO से जुडे़ एक स्वयंसेवक से बताया कि एक बार भरतपुर के अपना घर आश्रम में भी ट्राई कर लो। आश्रम की हेल्पलाइन पर फोन करके जानकारी ली, तब मेरा उनसे मिलन हो पाया है। करवा चौथ से पहले वे मिल गए हैं तो सब अच्छा हो जाएगा। अपना घर ने जुलाई, 2021 में देवीलाल को अंबाला से रेस्क्यू किया था।
अपील..अपना कोई बिछुड़ा है तो अपना घर में जरूर तलाशें
अगर आपका कोई प्रियजन बिछुड गया है। उसे अपनाघर आश्रम में एक बार जरूर तलाशें। फेसबुक पेज missing apna ghar पर देशभर से रेस्क्यू किए गए आवासियों की प्रोफाइल अपलोड है। 2000 से संचालित अपना घर की प्रशासनिक अधिकारी बबीता गुलाटी का दावा है कि अब तक 22000 लोगों को उनके परिजन से मिलवाया जा चुका है। संस्थापक अध्यक्ष डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में इस समय 3780 आवासी हैं। मानसिक बीमार होने से वे अपना पता भी नहीं बता पाते हैं। नेपाल समेत 47 जगहों पर आश्रम हैं। इनमें 21 राजस्थान, 12 यूपी, 4 एमपी, 2 दिल्ली, 3 गुजरात और 2 पश्चिम बंगाल में हैं।
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