कटरीना कैफ को लेकर विवादित बयान देने और सरकार से नाराजगी को लेकर चर्चित सैनिक कल्याण राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) राजेंद्र गुढ़ा के तेवर नरम हो गए हैं। गुढ़ा ने बुधवार को प्रदेश प्रभारी अजय माकन और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मुलाकात के बाद सरकारी गाड़ी वापस ले ली है। माकन से मुलाकात के बाद गुढ़ा सरकारी गाड़ी से अपने क्षेत्र में गए। पहले नाराजगी दिखाते हुए गुढ़ा ने सरकारी गाड़ी लौटा दी थी। जबकि इससे पहले झुंझुनूं में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि माकन बुला रहे हैं लेकिन भाई गया नहीं।
बुधवार को अजय माकन के सामने गुढ़ा ने बसपा से कांग्रेस में आने वाले अन्य पांच विधायकों को भी सम्मानजनक पद देने की मांग उठाई। हालांकि अभी सचिवालय में जाकर उन्होंने राज्य मंत्री का चार्ज नहीं संभाला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही वे चार्ज भी संभाल लेंगे।
इसके पीछे तय रणनीति बताई जा रही है। बसपा से कांग्रेस में आने वाले सभी छहों विधायक मंत्री पद या इसके बराबर पद की उम्मीद में थे। गुढ़ा अकेले मंत्री बन गए और बाकी पांच के हाथ सिर्फ इंतजार और आश्वासन आया। बचे हुए पांच विधायकों को विश्वास में बनाए रखने के लिए ही गुढ़ा ने मंत्री पद का चार्ज नहीं लिया है। बसपा से कांग्रेस में आने वाले विधायकों में लाखन सिंह मीणा को डांग विकास बोर्ड और वाजिब अली को मेवात विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है। दीपचंद खैरिया, रामकेश मीणा और जोगिंद्र सिंह अवाना को भी संसदीय सचिव या दूसरा कोई पद दिया जा सकता है।
सार्वजनिक रूप से कही थी माकन-गहलोत के बुलाने की बात
मंत्री गुढ़ा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में दिए भाषण में कहा था कि उन्हें अजय माकन और अशोक गहलोत बुला रहे हैं, लेकिन मैं आज कल करके टाल रहा हूं। इस भाषण के कुछ समय बाद ही उन्होंने जयपुर आकर प्रभारी अजय माकन से मुलाकात कर ली।
रमेश मीणा के अधीन राज्य मंत्री बनने पर आपत्ति का सियासी फैक्ट
राजेंद्र गुढ़ा ने रमेश मीणा के अंडर में पंचायतीराज राज्य मंत्री बनने पर पहले की सीनियरिटी का हवाला देकर आपत्ति जताई। गुढ़ा ने बयान में कहा था कि पहली बार जब बसपा से जीते तब बसपा विधायक दल का नेता मैं था और रमेश मीणा विधायक थे।
इस सियासी सीनियरिटी के तर्क के बीच फैक्ट कुछ अलग कहानी कहते हैं। रमेश मीणा इस बार तीसरी बार के विधायक हैं और लगातार तीन बार से जीत रहे हैं। गुढ़ा दूसरी बार के विधायक हैं। 2018 में बसपा के टिकट पर छह विधायक जीते तो लाखन सिंह विधायक दल के नेता थे। गुढ़ा ने पहली बार के विधायक लाखन सिंह को विधायक दल का नेता माना था। ऐसे में सियासी सीनियरिटी का तर्क यहां मजबूत नहीं रह गया।
चार्ज नहीं संभालने के पीछे सियासी रणनीति
बताया जाता है कि गुढ़ा एक तय रणनीति के तहत संसदीय सचिवों और राजनीतिक नियुक्तियों की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं। इन नियुक्तियों के बाद ही चार्ज संभालने की रणनीति है ताकि यह मैसेज दिया जा सके कि वे साथी विधायकों को छोड़कर नहीं गए। अभी गुढ़ा अपने निर्वाचन क्षेत्र में रोज स्वागत कार्यक्रमों में शामिल हाे रहे हैं।
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