सत्ताधारी पार्टी में भले ही रिपीट का नारा दिया जा रहा हो, लेकिन सत्ता का सुख ले रहे कुछ नेताओं का विश्वास डगमगा रहा है।
दिल्ली से लेकर जयपुर तक कुछ सत्ताधारियों के जल्द पाला बदलने की चर्चाएं जोरों पर है। तीन सत्ताधारी नेताओं की दिल्ली में सियासी मुलाकात को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
दिल्ली की मुलाकात को डिकोड करने की कोशिश की जा रही है। दावा तो यहां तक है कि पीएम के राजस्थान दौरे के वक्त भी कुछ नेता पाला बदल सकते हैं, फिलहाल अटकलें जोरों पर हैं।
जिन नेताओं के बारे में चर्चाएं थीं, उनके समर्थक भी दबी जुबान में अब पाला बदलने की संभावनाओं से इनकार नहीं कर रहे। जब ग्राउंड से आवाजें आनी लग जाए तो समझ जाना चाहिए कुछ तो है।
अफसरों को रिटायरमेंट से एक दिन पहले ही अगली नियुक्ति
सत्ताधारी पार्टी के युवा नेता ने कार्यकर्ताओं की जगह अफसरों पर रिटायरमेंट के बाद मेहरबानी दिखाने पर तल्ख तेवर दिखाए तो कई वंचित नेताओं को सुनकर अच्छा लगा।
क्योंकि बात घायल की गति घायल जाने वाली थी। कई वंचितों ने पड़ताल शुरू की तो युवा नेता के आरोपों से आगे की बात निकल गई।
पिछले दिनों हुई कुछ अफसरों की नियुक्तियों के मामलों की भी चर्चा होने लगी। इन अफसरों को तो रिटायरमेंट के एक दिन पहले ही अगली नियुक्ति मिल गई।
वह भी अगले दो से तीन साल के लिए। रसूख हो तो ऐसे। राजनीतिक नियुक्तियां मिलने में हर कोई इतना भाग्यशाली कहां होता है? अब जो वंचित हैं, उनकी हार्ट बर्निंग स्वाभाविक है।
मारवाड़ की एक सीट से करंटदार-भगवाधारी पर दांव
विपक्षी पार्टी के लिए चुनौती बनी मारवाड़ की एक सीट पर इस बार नया प्रयोग करने की तैयारी में है। क्रांतिकारी नेता से गठबंधन टूटने के बाद अब आगे अकेले दम पर चुनाव लड़ने की रणनीति है। क्रांतिकारी नेता के हावभाव जैसे ही एक तेजतर्रार भगवाधारी पर विपक्षी पार्टी दांव खेल सकती है।
दो सीटों पर पहले से भगवाधारी हैं, तीसरे में तैयारी है। जिन भगवाधारी का नाम चर्चा में हैं, सोशल मीडिया पर उनका किसी को धक्के देकर बाहर निकालने का कहते हुए एक वीडियो खूब चल रहा है।
भगवाधारी अगर करंटधारी हो तो सोने पर सुहागा माना जाता है, फिलहाल यह एक विचार है। इस प्रयोग की संभावना ने कई नेताओं को चौकन्ना कर दिया है।
सामाजिक भोज से नाराज होकर क्यों गए भगवा पार्टी के युवा नेता ?
सामाजिक राजनीति के सहारे मुख्य धारा की राजनीति में आने को बेताब नेताओं के कारण कई बार सब उलटा पुलटा हो जाता है।
पिछले दिनों बुद्धिजीवी समाज का एक कार्यक्रम और भोज रखा गया। इस दौरान दूसरे समाज से ताल्लुकात रखने वाले विपक्षी पार्टी के एक युवा नेता भी पहुंच गए।
सियासी रसूख वाले परिवार से संबंध रखने वाले युवा नेता को मंच पर देख कुछ सामाजिक नेता भड़क गए। विजातीय नेता को बुलाने पर मौके पर ही भड़क गए और भला बुरा कहने लगे। यह बात युवा नेता ने सुन ली तो वे बिना भोज के ही चले गए।
बड़े अफसर ने घूसखोर महिला अफसर की शिकायतों को क्यों दबाया?
प्रदेश की एक बड़ी जांच एजेंसी में महिला घूसखोर अफसर के पकड़े जाने पर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। घूसखोर महिला अफसर पर एक बड़े अफसर का हाथ होने की शिकायत अब सत्ता के बड़े घर तक पहुंच गई है।
घूसखोर महिला अफसर के खिलाफ लंबे समय से शिकायतें आ रही थीं, सत्ता के बड़े घर तक भी शिकायतें गईं थी तो जांच के आदेश दिए गए थे।
अब शिकायत कितने ही बड़े स्तर पर हो, जांच के आदेश तो उसी संस्था को दिए गए, जहां अफसर काम कर रही थी।
हर बार बड़े अफसर ने शिकायतों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। अब कुछ व्हिसल ब्लोअर्स ने शिकायत ऊपर तक पहुंचाई है।
केंद्रीय मंत्री के आरोपों के बाद बड़े अफसर का कॉन्फिलिक्ट मैनेजमेंट
समझदार अफसर उसे ही माना जाता है, जो हर हालात को एडजस्ट कर लें, इसे कॉन्फिलिक्ट मैनेजमेंट भी कहा जाता है।
एक केंद्रीय मंत्री ने सरकार के एक महकमे में घोटालों के आरोप लगाए। अब महकमे पर आरोप लगाए तो उसके बड़े अफसर को भी लपेटा।
केंद्रीय मंत्री के तल्ख तेवरों के बीच कुछ दिन बाद ही पानी से जुड़ी एक बैठक में बड़े अफसर राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुए पहुंच गए।
आरोप लगाने वाले मंत्रीजी से अलग से मुलाकात भी कर ली, बताया जाता है कि बड़े अफसर ने मंत्रीजी के सामने अपना पक्ष रख दिया है। बड़े अफसर उस मुलाकात के बाद से आश्वस्त दिख रहे हैं।
इलेस्ट्रेशन : संजय डिमरी
वॉइस ओवर: प्रोड्यूसर राहुल बंसल
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