राजस्थान सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत केन्द्र सरकार से अपने 40 हजार करोड़ रुपए मांगने के लिए कानूनी लड़ाई की तैयारी में है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में उच्चाधिकारियों के समक्ष अपनी मंशा प्रकट कर दी है।
जल्द ही वित्त व विधि विभाग के स्तर पर इसका प्रकरण (केस) तैयार किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि बजट सत्र खत्म होते ही इस मुद्दे को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
केंद्रीय वित्त सचिव का बड़ा बयान
इसी बीच केन्द्र सरकार के वित्त सचिव टी. वी. सोमनाथन ने गुरुवार को दिल्ली में राजस्थान सहित छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड व पंजाब सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि ओपीएस की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। उन्होंने ही इसे लागू किया है, तो उन्हें ही खर्चा वहन करना पड़ेगा।
आने वाले दिनों में ओपीएस राज्य सरकारों के लिए भारी मुसीबत बनेगी। राज्य सरकारों को सावचेत रहने की जरूरत है। ऐसे में राज्य सरकारों को अपना वित्तीय इंतजाम अभी से करना चाहिए। सोमनाथन के कार्यालय की ओर से इस संबंध में जल्द ही एक विस्तृत लिखित जानकारी भी राज्यों को भेजी जाएगी।
बजट में केंद्र ने ओपीएस को लेकर नहीं की घोषणा
एक फरवरी को जब केन्द्र का बजट आया था, तो राजस्थान के सीएम गहलोत सहित हिमाचल, पंजाब, छत्तीसगढ़ व झारखंड की सरकारों को भी इंतजार था कि शायद ओपीएस को लेकर कोई घोषणा केन्द्र सरकार कर दे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
इससे पहले राजस्थान सरकार केन्द्र को ओपीएस के लिए पत्र भी लिख चुकी और सीएम गहलोत पीएम नरेंद्र मोदी से मांग भी कर चुके हैं। मांग मंजूर ना होते देख अब सीएम सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
केन्द्र सरकार मानी तो राजस्थान को मिल सकते हैं 40 हजार करोड़
राजस्थान सरकार को ओपीएस के तहत केन्द्र सरकार से करीब 40,000 करोड़ रुपए मिल सकते हैं अगर केन्द्र सरकार उसकी मांग मान ले तो। यह वो पैसा है, जो केन्द्र व तमाम राज्य सरकारों के बीच 2003 में हुए समझौते के तहत केन्द्र सरकार ने शेयर मार्केट में लगाया है।
हालांकि उस वक्त जो समझौता हुआ था, उस पर तत्कालीन सीएम के रूप में खुद गहलोत की रजामंदी थी। केन्द्र में उस वक्त भाजपा की एनडीए सरकार थी और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। जब यह समझौता लागू हुआ तब अप्रेल-2004 के बाद राजस्थान में भाजपा की सरकार हो गई और केन्द्र में प्रधानमंत्री बने कांग्रेस के मनमोहन सिंह।
करीब डेढ़ महीने पहले मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ओपीएस लागू करने वाले सभी राज्यों को पत्र लिखकर एनपीएस के तहत जमा पैसा लौटाने से मना कर दिया है। सीतारमण के अनुसार यह पैसा निवेश में लगाया जा चुका है। वापस निकालकर राज्य सरकारों को नहीं दिया जा सकता। समझौता पूरे देश में लागू हुआ था। ऐसे में कोई राज्य सरकार चाहे तो ओपीएस दे सकती है, लेकिन इसकी व्यवस्था उसे खुद ही करनी होगी।
सीएम गहलोत ने बजट भाषण मार्च-2022 में जताई थी आशंका
मुख्यमंत्री गहलोत ने पिछले बजट में कहा था कि केन्द्र सरकार एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) जो एक अप्रेल 2004 से पूरे देश में लागू हुई है, उसके तहत कर्मचारियों की भविष्य निधि का पैसा शेयर बाजार में निवेश करती है। हम अपने कर्मचारियों का भविष्य शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के भरोसे नहीं छोड़ सकते।
सीएम गहलोत ने राज्यपाल के अभिभाषण के जवाब में (बजट सत्र) 2 फरवरी-2023 में विधानसभा में बोला मेरी आशंका सही साबित हुई
सीएम गहलोत ने 2 फरवरी को विधानसभा में बोला कि जैसा मैंने अपने बजट भाषण (2022) में कहा था कि कर्मचारियों का भविष्य शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। आज देख लीजिए शेयर बाजार की क्या स्थिति है। सब धड़ाम से नीचे गिर गया है। ऐसे में केन्द्र सरकार को हमारे कर्मचारियों का पैसा (एनपीएस वाला) लौटा देना चाहिए, ताकि हम आसानी से कमर्चारियों को ओपीएस का लाभ दे सकें।
देश के अर्थ-वित्त विशेषज्ञ बता चुके हैं ओपीएस को खतरनाक
वित्त मंत्रालय के सचिव टी. वी. सोमनाथन से पहले बीते दो महीनों में नीति आयोग के वाइस चैयरमेन सुमन बेरी (वर्तमान), केन्द्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह (वर्तमान), रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर एन. रघुराम (कांग्रेस सरकार), योजना आयोग के पूर्व वाइस चैयरमेन मोंटेक सिंह आहलुवालिया (कांग्रेस सरकार), कैग के पूर्व महानिदेशक राजीव महर्षि (भाजपा सरकार) ओल्ड पेंशन स्कीम को देश की आर्थिक-वित्तीय स्थिति के लिए अपने बयानों, साक्षात्कारों, लेखों में खतरनाक बता चुके हैं।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर एन. रघुराम ने तो राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के तहत राहुल गांधी के साथ एक एक्सक्लूसिव वीडियो टॉक भी विभिन्न आर्थिक-वित्तीय मुद्दों पर की थी। उस टॉक के 3-4 दिन बाद ही रघुराम ने मीडिया को दिए साक्षात्कार में ओपीएस को लागू करना खतरनाक वित्तीय कदम बताया था।
4 लाख 50 हजार कर्मचारी हो रहे हैं सीधे प्रभावित
राज्य सरकार के विभागों में करीब सात लाख 50 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनमें से लगभग तीन लाख कर्मचारी एक अप्रेल-2004 से पहले नियुक्ति पाए हुए हैं। इनके लिए पहले से ही ओपीएस ही लागू है। एक अप्रेल 2004 के बाद से नियुक्ति पाए हुए लगभग 4 लाख 50 हजार कर्मचारी हैं, जिनके लिए एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) लागू है। इन्हीं 4 लाख 50 हजार कर्मचारियों के लिए सीएम गहलोत ने मार्च-2022 के बजट में ओपीएस (ओल्ड पेंशन स्कीम) लागू करने की घोषणा की थी।
इनके अलावा सरकार के विभिन्न बोर्ड, निगम, कॉर्पोरेशन, मंडल आदि में करीब एक लाख कर्मचारी कार्यरत हैं, जो फिलहाल ओपीएस से वंचित हैं। इन्हें ओपीएस देने की मांग को लेकर गत दिनों कर्मचारी संगठनों ने मांग पत्र सीएम गहलोत को सौंपे हैं।
राहुल गांधी कर चुके हैं ओपीएस के लिए सीएम गहलोत की तारीफ
विभिन्न वित्त अर्थ विशेषज्ञों की राय के बावजूद सीएम गहलोत कई बार कई मंचों पर से पीएम मोदी से पूरे देश में ओपीएस लागू करने की मांग कर चुके हैं। गहलोत का दावा है कि आज नहीं तो कल पीएम मोदी को देश भर में ओपीएस लागू करनी ही पड़ेगी। उधर राहुल गांधी भी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कई बार ओपीएस को लेकर गहलोत सरकार की तारीफ कर चुके हैं।
कांग्रेस ने 2022 में सम्पन्न गुजरात, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश के चुनावों में ओपीएस लागू करने का वादा भी किया था।
यह भी पढ़ें
राजस्थान में BJP अपने पुराने नेताओं को क्यों ढूंढ रही?:कभी न जीत पाई सीटों के लिए नई रणनीति, गहलोत-डोटासरा बने चुनौती
राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को बीजेपी अब रणनीतिक रूप से मजबूत करने जा रही है। चुनाव में महज 10 माह का समय बचा है। इस लिहाज से बीजेपी ने उन सीटों को फोकस करके अपनी तैयारी शुरू कर दी है जहां वह पिछले तीन चुनावों में ज्यादा सफल नहीं हुई है। राजस्थान में बीजेपी ने ऐसी लगभग 50 सीटें तय की हैं। इन सीटों को अपने कब्जे में करने के लिए बीजेपी ने तीन अलग-अलग मापदंड रखे हैं। इन मापदंडों के आधार पर ही बीजेपी इन सीटों के लिए अपनी रणनीति तैयार करेगी। (पूरी खबर पढ़ें)
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.