राजस्थान विधानसभा के आगामी बजट सत्र में सरकार और विपक्ष में बड़ा टकराव हो सकता है। CM अशोक गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफों काे लेकर सियासी विवाद होना तय माना जा रहा है। असल में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों पर स्पीकर के फैसले से पहले उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर अब गहलोत के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया है।
लोढ़ा ने विधानसभा सचिव को राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया है। संयम लोढ़ा ने 24 जनवरी को सदन में इस मुद्दे को उठाने की अनुमति मांगी है।
संयम लोढ़ा ने तर्क दिया है कि 81 विधायकों के इस्तीफों का मामला विधानसभा स्पीकर के पास लंबित था, उस पर कोई फैसला नहीं किया गया था। बीजेपी विधायक दल के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने इस्तीफों पर स्पीकर के फैसले से पहले ही एक दिसंबर 2022 को जनहित याचिका दायर कर दी। यह स्पीकर की अवमानना तो है ही विधायकों के विशेषाधिकार का हनन है। संयम लोढ़ा ने 24 जनवरी को विधानसभा में विशेष अधिकार हनन का प्रस्ताव उठाने की अनुमति मांगी है।
राठौड़ का पलटवार, कोर्ट में पेंडिंग मामले की सदन में चर्चा नहीं होती
संयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर राठौड़ ने पलटवार किया है। राठौड़ ने ट्वीट किया- मुख्यमंत्री के घोषित सलाहकार को बधाई। उन्हें 91 विधायकों के इस्तीफों के कोर्ट में डेढ़ महीने से विचाराधीन मामले का अब ध्यान तो आया। विधानसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 53 में स्पष्ट प्रावधान है कि जो मामला कोर्ट में विचाराधीन हो उन पर सदन में विचार नहीं किया जा सकता।
लोढ़ा का जवाब- स्पीकर के फैसले से पहले कोर्ट जाना स्पीकर की खुली अवमानना
राठौड़ के पलटवार के बाद संयम लोढ़ा ने जवाबी हमला बोला। लोढ़ा ने राठौड़ के ट्वीट के जवाब में लिखा- विद्वान उप नेता जी, काश यह ज्ञान आपको पहले हुआ होता कि अध्यक्ष के सामने जो मामला विचाराधीन है, उसके फेसले से पहले उसे हाईकोर्ट में ले जाना विधानसभा स्पीकर की खुली अवमानना है।
25 सितंबर को गहलोत समर्थक विधायकों ने दिए थे इस्तीफे
25 सितंबर 2022 को गहलोत समर्थक विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के साथ ही सचिन पायलट को सीएम बनाने का विरोध करते हुए रात में स्पीकर के बंगले पर जाकर इस्तीफे सौंपे थे। उन इस्तीफों पर जब कोई फैसला नहीं हुआ तो पहले बीजेपी नेताओं ने स्पीकर के यहां ज्ञापन दिए। बाद में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।
हाईकोर्ट ने उस याचिका के आधार पर विधानसभा सचिवालय से जवाब मांगा था। याचिका के बीच ही पिछले महीने सभी विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए। पिछले शुक्रवार को ही हाईकोर्ट ने नए सिरे से हलफनामा और इस्तीफों पर स्पीकर के फैसले का पूरा रिकॉर्ड मांगा है। 30 जनवरी को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई है।
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव स्वीकार हुआ तो नया विवाद
संयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर अब स्पीकर को फैसला करना है। यह प्रस्ताव खारिज होता है या इसे उठाने की अनुमति मिलती है, इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। अगर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव स्वीकार होता है तो सदन में पूरे इस्तीफे प्रकरण पर चर्चा होगी । साथ ही विधानसभा और कोर्ट के टकराव का मुद्दा भी उठेगा। आमतौर पर यह व्यवस्था है कि कोर्ट में पेंडिंग मामले की विधानसभा सदन में चर्चा नहीं होती है, लेकिन इस मुद्दे पर अभी पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। इसमें स्पीकर और विधायकों के अधिकारों का मुद्दा उठाया गया है।
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'विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर ने क्या टिप्पणी की?
सीएम अशोक गहलोत खेमे से जुड़े कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों पर हाईकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर से पूरा रिकॉर्ड मांगा है। दो दिन पहले हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई में हलफनामे के साथ विधायकों के इस्तीफे, स्पीकर के फैसले और उन पर स्पीकर की टिप्पणी का पूरा रिकॉर्ड पेश करने को कहा है। सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की पीआईएल पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। पूरी खबर पढ़ें
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