अलवर जिले में 16 साल की नाबालिग अल्पसंख्यक समुदाय की मूक-बधिर बच्ची पर यौन हमले के मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने राजस्थान सरकार से रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर गहलोत सरकार से जवाब मांगे हैं। आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने अल्पसंख्यक समुदाय की लड़की के खिलाफ यौन हिंसा के मामले से जुड़ी खबरों का संज्ञान लेते हुए एक्शन लिया है। राजस्थान के मुख्य सचिव को 24 जनवरी तक मामले पर रिपोर्ट देने को कहा है।
अल्पसंख्यक आयोग ने गहलोत सरकार से पूछे सवाल
अल्पसंख्यक आयोग ने गहलोत सरकार से कई सवाल पूछे हैं। ‘’इस मामले के आरोपियों को गिरफ्तार किया गया या नहीं ? अगर गिरफ्तारी हुई है, तो किन धाराओं के तहत हुई है? अगर गिरफ्तारी नहीं हुई, तो अब तक क्या कार्रवाई की गई ? आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?'' जैसे सवाल सरकार से पूछे गए हैं।
अलवर पुलिस के बयान के बाद गरमाई सियासत
अलवर एसपी ने शुक्रवार को बताया कि लड़की की मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार या यौन उत्पीड़न की पुष्टि नहीं हुई है। जबकि पुलिस ने शुरुआती जांच में आशंका जतायी थी कि यह बलात्कार का मामला हो सकता है, लेकिन मेडिकल रिपोर्ट आने पर ही इसके स्पष्ट होने की बात कही थी। हालांकि सरकार की ओर से मंत्री पीड़ित बच्ची के परिजनों से मिले। आर्थिक सहायता भी दी। लेकिन पुलिस और अलवर कलेक्टर के साथ सरकार को बीजेपी ने मामले पर घेरा है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सम्बित पात्रा के बाद शहजाद पूनावाला ने भी आरोप लगाया है कि राजस्थान पुलिस और राज्य सरकार मामले को छिपाने में लगी है। लड़की हूँ लड़ सकती हूँ का नारा यूपी में देने वाली कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले पर बीजेपी नेताओं से मुलाकात तक नहीं की। जबकि बीजेपी नेता खुद चलकर सवाईमाधोपुर उनके पास गए।
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