8 गुर्जर विधायकों के बावजूद मंदिर की कांग्रेस से दूरी:न CM को बुलाया, न पायलट को; ‌वसुंधरा भी नहीं पहुंची, सिर्फ गुर्जरों पर फोकस

जयपुर2 महीने पहलेलेखक: निखिल शर्मा
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मालासेरी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। उन्हें देखने के लिए लोगों में होड़ रही।

भीलवाड़ा के मालासेरी डूंगरी में सभा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में पिछले 4 महीने में अपना तीसरा दौरा किया।

इससे पहले आबूरोड के मानपुर और बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम के दौरे पर मोदी राजस्थान आए थे। मगर इस दौरे पर बीजेपी और पीएमओ ने रणनीतिक रूप से कांग्रेस को पूरी तरह से अलग रखा और कांग्रेस के नेताओं को अलग रखने के लिए भाजपा नेताओं ने भी कार्यक्रम से दूरी बनाई।

गुर्जर समाज में बीजेपी को स्थापित करने और अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कार्यक्रम का फोकस पूरी तरह बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी पर ही रखा गया।

यही वजह रही कि आधिकारिक कार्यक्रम होने के बावजूद राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत को आमंत्रित नहीं किया गया।

गुर्जरों के आराध्य स्थल मालासेरी डूंगरी में पहली बार कोई प्रधानमंत्री पहुंचे।
गुर्जरों के आराध्य स्थल मालासेरी डूंगरी में पहली बार कोई प्रधानमंत्री पहुंचे।

वहीं, दूसरी ओर गुर्जर समाज के राजस्थान में सबसे कद्दावर नेता होने के बावजूद सचिन पायलट को भी आमंत्रित नहीं किया गया।

कार्यक्रम में न कोई प्रदेश सरकार का मंत्री नजर आया, न ही कोई गुर्जर कांग्रेसी विधायक। यहां तक कि देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष जोगिंदर अवाना भी दिखाई नहीं दिए।

भगवान देवनारायण से बताया गहरा नाता

मालासेरी डूंगरी में उनके दर्शन के बाद मोदी ने गुर्जरों से कहा कि आपका और हमारा गहरा नाता है। भगवान देवनारायण का जन्म कमल पर हुआ है और हमारी तो पैदाइश ही कमल से है। उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि देवनारायण के जन्म का 1111वां वर्ष और भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिली है।

जी-20 के लोगो में दुनिया को कमल पर बैठाया है। उन्होंने कहा कि देश और संस्कृति की रक्षा में गुर्जर समाज ने प्रहरी की भूमिका निभाई। गुर्जर समाज के क्रांतिवीर भूप सिंह गुर्जर (विजय सिंह पथिक) के नेतृत्व में बिजौलिया किसान आंदोलन हुआ। इसके अलावा धनसी जी, जोगराज जी जैसे योद्धा रहे जिन्होंने देश के लिए जीवन दे दिया।

पीएम का कार्यक्रम मिल गया, इसलिए सीएम को नहीं बुलाया : मंदिर पुजारी
इस बारे में जब मंदिर के पुजारी हेमराज पोसवाल से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारे साल में दो बड़े कार्यक्रम होते हैं। राष्ट्रीय स्तर का होने के कारण हमने पीएम को आमंत्रण दिया। हेमराज पोसवाल ने कहा कि हमने राज्यपाल को आमंत्रित किया। सीएम को बुलाने का था, मगर पीएमओ से कार्यक्रम मिल गया तो सीएम को आमंत्रित नहीं किया।

उन्होंने कहा- हम नहीं चाहते कि मंदिर पर कोई राजनीति हो। हमने कार्यक्रम की शुरुआत में देवनारायण बोर्ड के अध्यक्ष जोगिंदर अवाना को बुलाया था। हमारा मकसद मंदिर का विकास है। राज्यपाल को और केंद्रीय मंत्रियों को भी बुलावा भेजा था। सचिन पायलट को पिछले कार्यक्रम में हमने बुलाया था, इस बार नहीं बुलाया।

पीएम की इस सभा को राजस्थान में गुर्जर वोट बैंक को साधने के रूप में देखा जा रहा है।
पीएम की इस सभा को राजस्थान में गुर्जर वोट बैंक को साधने के रूप में देखा जा रहा है।

दरअसल, पीएम मोदी के कार्यक्रम को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया ताकि यह कार्यक्रम पूरी तरह देवनारायण मंदिर विकास समिति का लगे। मगर देश के संस्कृति मंत्रालय ने भी इसमें पूरा सहयोग किया। यही वजह रही कि संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पिछले लगभग दो सप्ताह से इस कार्यक्रम की तैयारियों में लगे रहे।

कार्यक्रम के बोर्ड बैनर पर भी आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव और जी-20 का लोगो भी मौजूद था।

बीजेपी नेताओं ने मंदिर के कार्यक्रम के रूप में किया प्रोजेक्ट
दूसरी तरफ, बीजेपी के नेताओं ने इसे पूरी तरह देवनारायण मंदिर समिति के कार्यक्रम के तौर पर प्रोजेक्ट किया। प्रधानमंत्री ने खुद भी भाषण में कहा कि ये सरकारी कार्यक्रम नहीं हैं। ये पूरी तरह समाज की भक्ति का कार्यक्रम है। सियासी जानकारों का मानना है कि अगर कार्यक्रम पीएमओ का होता या संस्कृति मंत्रालय ही करता तो आधिकारिक प्रोटोकॉल के नाते सीएम अशोक गहलोत को भी बुलाना पड़ता।

देवनारायण भगवान के 1111वें अवतरण दिवस के लिए मालासेरी मंदिर विकास समिति ने पीएम मोदी को आमंत्रित किया था।
देवनारायण भगवान के 1111वें अवतरण दिवस के लिए मालासेरी मंदिर विकास समिति ने पीएम मोदी को आमंत्रित किया था।

विशेष बुलावे पर भी नहीं आईं वसुंधरा
इधर, मंदिर समिति और स्थानीय विधायक की ओर से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को खास न्योता दिया गया। मगर इसके बावजूद वसुंधरा राजे नहीं पहुंची। वसुंधरा राजे ने अपनी पिछली सरकार में मंदिर के लिए लगभग 4.5 करोड़ की लागत से पैनोरमा बनवाया था।

ऐसे में इसके चलते राजे को लेकर यहां लोगों में विशेष लगाव है। मगर वसुंधरा राजे नहीं आईं। जानकारों का कहना है कि बीजेपी इसे समाज विशेष के कार्यक्रम के रूप में ही प्रोजेक्ट करना चाहती थी। इसी वजह से बीजेपी इसमें सीधे तौर पर शामिल नहीं हुई और वसुंधरा ने भी दूरी बनाई। यही वजह है कि अन्य नेताओं को नहीं बुलाया गया।

न केंद्रीय मंत्री आए, न राज्यपाल, संगठन भी पूरा नहीं
गुर्जर समाज में पकड़ बनाने के लिए कार्यक्रमों को पूरी तरह गुर्जर समाज पर फोकस्ड रखा गया। यही वजह रही कि कई केंद्रीय मंत्रियों को आमंत्रण देने के बावजूद वे नहीं आए। संस्कृति मंत्री होने के नाते सिर्फ अर्जुन राम मेघवाल मौजूद रहे। आम तौर पर प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में बीजेपी के तमाम प्रमुख नेता होते हैं। संगठन के तौर पर प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया मौजूद थे। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, भीलवाड़ा सांसद सुभाष बहेड़िया, दीया कुमारी, भागीरथ चौधरी और सुखबीर सिंह जौनपुरिया मौजूद रहे।

मालासेरी डूंगरी के कार्यक्रम को मैनेज करने में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का सबसे बड़ा रोल रहा।
मालासेरी डूंगरी के कार्यक्रम को मैनेज करने में केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल का सबसे बड़ा रोल रहा।

कांग्रेस में विवाद, कंट्रोवर्सी नहीं चाहती थी बीजेपी
कार्यक्रम में नेताओं को बुलाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं और जानकारों का कहना है कि कांग्रेस में सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान है। ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती थी कि किसी भी तरह की कोई कंट्रोवर्सी हो। सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद खुलकर सामने आ चुके हैं। ऐसे में इसी विवाद से बचने के लिए भी कांग्रेस को पूरी तरह से कार्यक्रम से दूर रखा गया।

भाजपा क्यों कर रही है गुर्जरों पर फोकस...
गुर्जर वोटरों का सचिन पायलट की ओर झुकाव पिछले चुनाव में साफ देखा गया था। पिछले चुनाव में पायलट की मुख्यमंत्री पद पर दमदार दावेदारी थी। इसी का नतीजा था कि BJP ने 9 गुर्जर नेताओं को टिकट दिए थे, पर इसमें से कोई नहीं जीता था। कांग्रेस ने 12 गुर्जर नेताओं को टिकट दिए थे। इसमें से 8 ने जीत दर्ज की थी।

पिछले चुनावों के परिणाम ने ये साफ कर दिया था कि सचिन फैक्टर कितना प्रभावशाली है। यही वजह है कि इस बार बीजेपी कोई चांस नहीं लेना चाहती। गुर्जर वोटरों को जोड़ने के प्रयास में पार्टी जुट गई है। सचिन को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना, बीजेपी के लिए बड़ा मुद्दा है। इसी का प्रचार कर बीजेपी के नेता गुर्जर वोटर्स को अपने पक्ष में करने की तैयारी कर रहे हैं।

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भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आसींद यात्रा के जरिए गुर्जर समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश तो की। लेकिन वहां मोदी द्वारा किसी तरह की कोई बड़ी घोषणा नहीं करने के बाद अब यह सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या भाजपा के प्रति अब भी गुर्जर समाज आकर्षित हो सकेगा। पीएम मोदी की यात्रा से पहले राजनीतिक और सामाजिक हलकों में यह चर्चा लगातार हो रही थी कि वे वहां कोई धार्मिक कॉरिडोर की घोषणा करेंगे। इससे पहले भाजपा ने इस तरह का फोकस आदिवासियों और ओबीसी समुदाय की तरफ किया था, जिससे उसे राजनीतिक सफलता मिली। (पूरी खबर पढ़ें)

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