ऊर्जा महकमे के एक लेटर ने दिल्ली से जयपुर तक तहलका मचा दिया है। लेटर में सामान्य जानकारी ही मांगी थी, लेकिन गलत जवाब ने इसे लेटर बम बना दिया। दरअसल, केंद्र की एक योजना के सिलसिले में प्रदेश के ऊर्जा महकमे से जानकारी मांगी थी। महकमे ने जवाब भेज दिया कि प्रदेश में एक भी किसान का बिजली कनेक्शन बकाया नहीं है, जबकि हकीकत ठीक उलट है। लाखों एग्रीकल्चर कनेक्शन अब भी पेंडिंग है। पहली बार केंद्रीय मंत्री बने मारवाड़ के एक नेता ने प्रदेश के मुखिया से एक वर्चुअल कार्यक्रम में सार्वजनिक रूप से ऐसा लेटर लिखने वाले अफसर पर कार्रवाई की मांग कर दी। इस कारस्तानी को सुनकर प्रदेश के मुखिया भी अवाक रह गए। अब जांच के आदेश दे दिए हैं, जल्द ही इस मामले में किसी न किसी की बली तय है।
5 विधायक और ढाई साल की सियासी वेटिंग
सरकार बचाने में सबसे पहले आगे आने वाले छह में से पांच विधायक ढाई साल से सत्ता सुख की वेटिंग में हैं। अंदरखाने नाराजगी है, लेकिन सियासी मजबूरियों के कारण खुलकर अपना दर्द बयान भी नहीं कर सकते। कुछ नजदीकी लोगों के सामने जरूर नाराजगी जाहिर की है। नाराजगी का लेवल बढ़ भी सकता है, क्योंकि दल बदलकर सरकार को मजबूती देने वाले इतनी लंबी वेटिंग में शायद ही कभी रहे हों। पिछले दिनों एक विधायक ने अपनी पहले वाली पार्टी की अध्यक्ष को जिस अंदाज में जन्मदिन की बधाई दी, उसने नई चर्चाओं को जन्म दे दिया।
सरकार के खास अफसर सेंट्रल डेपुटेशन के जुगाड़ में
सरकार के एक खास अफसर लंबे समय से सेंट्रल डेपुटेशन के लिए टोह ले रहे हैं। कई अफसर पहले से ही इंपैन्लमेंट होने के बावजूद पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में ये खास अफसर अपने साथियों के अनुभव को देखते हुए पहले सब कुछ पुख्ता कर लेना चाहते हैं। पीएमओ में भी एक अफसर से मिलने की कोशिश की लेकिन बात बनी नहीं। इन्हें जब भी समय मिलता है सेंट्रल डेपुटेशन के लिए कोशिश जरूर करते हैं। हालांकि दिल्ली के मिजाज को देखकर तो जानकार यही बता रहे हैं कि कोशिश करने वालों की तो हार ही होती है।
सेहत महकमे के ‘पुराने लोग’ जमे रहने के जतन में
सेहत महकमे में तबादले के वायरस से लंबे समय से जमे कई अफसरों की सेहत खराब होने वाली है। कोरोना कमजोर पड़ने के बाद बड़े बदलाव होने तय हैं। कई के खिलाफ गड़बड़ियों की भारी शिकायतें हैं। नए मंत्री पुरानी गड़बड़ियां अपने सिर कतई नहीं लेंगे, यह साफ कह दिया गया है। गड़बड़ियों के सबूत सही जगह पहुंच गए हैं। महकमे में पुराने सिस्टम के लोग जमे रहने के जतन में लगे हैं, लेकिन संकेत दे दिए हैं कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
जिलाध्यक्ष की दावेदारी को लेकर मंत्री-विधायक में ठनी
सत्ताधारी पार्टी जयपुर में दो जिलाध्यक्ष बनाएगी, लेकिन इस फैसले से लड़ाई कम होने के बजाय बढ़ गई है। हैरिटेज क्षेत्र के जिलाध्यक्ष को लेकर मंत्री-विधायक आमने सामने हैं। प्रदेश के मुखिया के खास माने जाने वाले मंत्री अपने खास को जिलाध्यक्ष बनाना चाहते हैं। वहीं एक अल्पसंख्यक विधायक भी हैरिटेज जिलाध्यक्ष की दावेदारी में एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। इसमें उन्हें मुखिया के खास मंत्री के सभी विरोधियों का भी साथ मिल रहा है। हैरिटेज नगर निगम में पार्षदों के विरोध से लेकर कर्बला विवाद के पीछे जिलाध्यक्ष की लड़ाई ही असली वजह बताई जा रही है।
कई अफसर पॉजिटिव, ग्लास सेफ्टी शीट की क्वालिटी पर सवाल
सचिवालय में मंत्रियों से लेकर अफसरों ने कोरोना से बचने के लिए टेबल पर ग्लास सेफ्टी शीट लगवा रखी हैं। कोरोना की पहली लहर के बाद से ही सब ने यह सेफ्टी कवच धारण कर लिया था। सचिवालय में 150 से ज्यादातर अफसर कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। ग्लास सेफ्टी शीट की खरीद और भुगतान को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। ग्लास सेफ्टी शीट की खरीद को किस हेड में दिखाया जाए, इस पर अलग से माथापच्ची चल रही है। क्वालिटी और सेफ्टी अलग से सवालों के घेरे में है।
विपक्षी पार्टी में यूपी चुनाव से आएगा टर्निंग पॉइंट
प्रदेश में विपक्षी पार्टी में फैसलों के लिहाज से आने वाले कुछ महीने अहम साबित होने वाले हैं। यूपी चुनाव के नतीजे राजस्थान में विपक्षी पार्टी के सीएम कैंडिडेट्स का भाग्य तय करेंगे। मार्च तक शांति के आसार हैं, इसके बाद टर्निंग पांइट आ सकता है। सीएम इन वेटिंग चल रहे दर्जन भर नेता फिलहाल वेट एंड वॉच की मुद्रा में हैं।
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