पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर IAS सर्विस कैडर की केन्द्र में डेपुटेशन के लिए नियमों में संशोधन का विरोध जता दिया है। गहलोत ने पीएम को लिखे पत्र में कहा है कि संशोधन के बाद केन्द्र सरकार संबंधित अधिकारी और राज्य सरकार की सहमति के बिना ही अफसरों को केन्द्र में डेपुटेशन पर बुला सकेगी। IAS सर्विस को जन कल्याण, संघवाद की भावना ध्यान में रखकर बनाया गया था। संशोधन से उन टारगेट को हासिल करने की राज्यों की कोशिशों को ठेस लगेगी।
बिना डर और निष्ठा से काम नहीं कर पाएंगे अफसर
गहलोत ने कहा है कि प्रतिनियुक्ति नियमों में प्रस्तावित संशोधन सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है। इस फैसले से सरदार पटेल की ओर से ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ बताई गई सेवाएं भविष्य में कमजोर होंगी। गहलोत ने संशोधन रोकने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा इस संशोधन से केंद्र और राज्य सरकारों के लिए तय संवैधानिक क्षेत्राधिकार का उल्लंघन होगा। राज्य में पोस्टेड IAS में निर्भय होकर और निष्ठा के साथ काम करने की भावना में कमी आएगी। गहलोत ने अपने पत्र में देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की ओर से 10 अक्टूबर, 1949 को संविधान सभा में IAS सेवा पर हुई बहस के दौरान दिए वक्तव्य का उदाहरण दिया। उसमें उन्हें बिना किसी डर, पक्षपात के अपनी राय रखने की पैरवी की गई थी। इसके बिना भारत अखंड नहीं होने की बात भी कही गई।
राज्यों को अधिकारियों की कमी का सामना करना पड़ेगा गहलोत ने कहा है कि IAS नियमों में संशोधन को लेकर 20 दिसम्बर, 2021 को केन्द्र सरकार की ओर से पत्र के जरिए राज्यों से सलाह मांगी गई थी। प्रस्ताव पर सलाह लेने के प्रोसेस के दौरान ही केन्द्र सरकार ने दोबारा एकतरफा संशोधन प्रस्तावित कर 12 जनवरी, 2022 को दोबारा सलाह मांग ली है। यह प्रस्तावित संशोधन अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की डेपुटेशन पोस्टिंग मामले में केंद्र और राज्यों के बीच मौजूदा माहौल को प्रभावित करता है। प्रदेशों को योजनाओं के इम्प्लीमेंटेशन, नीति-बनाने और मॉनिटरिंग में अफसरों की कमी का सामना राज्यों को करना पड़ेगा। गहलोत ने प्रधानमंत्री से व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर प्रस्तावित संशोधनों पर रोक लगाने की मांग की है।
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