सीएम अशोक गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफों पर विवाद गहराता जा रहा है। विधानसभा सचिव की तरफ से हाईकोर्ट में पेश जवाब में मर्जी से इस्तीफे नहीं देने का जिक्र करने पर कांग्रेस की अंदरूनी सियासत फिर गरमाने लगी है।
अब सचिन पायलट समर्थक कांग्रेस विधायक और पूर्व स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत ने दबाव में दिए गए इस्तीफों की घटना पर सवाल उठाते हुए हाईकमान से जांच करवाने की मांग की है।
दबाव में इस्तीफों के सवाल पर शेखावत ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि किसका दबाव था, लेकिन एफिडेविएट दिया है कि दबाव था तो यह जांच का विषय है और इसकी जांच होनी चाहिए।
जिस तरह की बातें उठ रही हैं, वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हैं। मैं हाईकमान में विश्वास रखता हूं और मुझे कांग्रेस के बड़े नेताओं पर भरोसा है कि वे सब देखकर आगे कदम उठाएंगे।'
उन्होंने कहा कि विधायकों के इस्तीफे के प्रकरण को लेकर जो घटनाक्रम चला है, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जिन विधायकों ने इस्तीफे दिए थे, अब कहा जा रहा है कि मर्जी से नहीं दिए।
जिस तरह का घटनाक्रम चला, उससे सबको तकलीफ हुई है। हाईकमान इसका संज्ञान लेगा, जांच की बात हो रही है। जो हुआ ऐसा, मैंने पहले कभी नहीं देखा।
पिछले 50 साल से मैं भी राजनीति कर रहा हूं, ऐसा कभी नहीं देखा। कांग्रेस की यह परंपरा नहीं रही है।
विधानसभा स्पीकर को मर्जी से ही इस्तीफे दिए जाते हैं
शेखावत ने कहा, विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे तो मर्जी से दिए जाते हैं। दूसरी बात इस्तीफे पर फैसला करना स्पीकर के विवेक पर निर्भर है, स्पीकर जो फैसला करे, वह फाइनल होता है।
अब तक इस तरह के मामले कोर्ट में नहीं गए। कोर्ट और विधानसभा दोनों की अपनी-अपनी मर्यादा है। अपने दायरे में रहकर बात होती है। जहां तक दबाव का सवाल है, किसका दबाव था, कहा गया है कि दबाव था तो यह जांच से ही पता लग सकता है।
बीजेपी का षड्यंत्र कामयाब नहीं होगा, बीजेपी का तो एक विधायक इस्तीफा देने वालों में
शेखावत ने कहा, बीजेपी का तो खुद का एक सदस्य कांग्रेस विधायकों के साथ इस्तीफा दे रहा हैं। बीजेपी तो राजनीतिक षड्यंत्र करके कामयाब नहीं हो सकेगी। अब पार्टी को नुकसान वाली चीज इसलिए नहीं रही कि सब सेटल हो गया।
इस्तीफे होते तो सरकार गिर जाती
पार्टी को होने वाले नुकसान के सवाल पर शेखावत ने कहा कि अब जो होना था, वह सब होकर सेटल हो गया। अब सरकार कैसे बने, इस पर काम करने की जरूरत है।
मैं यह मानता हूं कि सदन में जो चुनकर आता है वह खुद के विवेक से काम करता है। नियमों में यह प्रावधान है कि दबाव या प्रलोभन कोई दे तो उसके लिए अलग प्रावधान है।
हाईकोर्ट में विधानसभा सचिव के जवाब से कांग्रेस में विवाद
उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफों पर फैसला नहीं होने पर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने जब जवाब मांगा तो स्पीकर के जवाब से पहले ही 30 दिसंबर से लेकर 10 जनवरी के बीच 81 विधायकों ने इस्तीफे वापस ले लिए।
विधायकों के इस्तीफे वापस लेने के बाद हाईकोर्ट में विधानसभा सचिव ने जवाब दिया। इस जवाब में लिखा गया कि विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया था, इसलिए इन्हें मंजूर नहीं किया।
इसे दबाव में इस्तीफे देने का नरेटिव बना। विधानसभा सचिव के जवाब में यह खुलासा भी हुआ था कि 81 विधायकों में से 5 विधायकों ने इस्तीफों की फोटोकॉपी स्पीकर को दी थी। बीजेपी से निष्कासित विधायक शोभारानी कुशवाह का नाम भी इस्तीफा देने वालों में था।
पायलट खेमे ने चुप्पी तोड़ी
विधानसभा सचिव के हाईकोर्ट में दिए गए जवाब के बाद सचिन पायलट खेमे ने पहली बार चुप्पी तोड़ी है। दीपेंद्र सिंह शेखावत इस पूरे एपिसोड में पहली बार बोले हैं।
पायलट खेमे के विधायकों ने इस बार हाईकोर्ट के जवाब में हुए खुलासे पर कुछ नहीं कहा था, लेकिन अब दीपेंद्र सिंह शेखावत के बयान को इसकी शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। आगे अब यह विवाद ओर गहराने के आसार बन गए हैं।
इधर, 6 मंत्री-विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में 25 सितंबर को कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के इस्तीफों के मामले में विवाद गहराता जा रहा है।
हाईकोर्ट में मामला ले जाने के बाद अब विधानसभा में विशेषाधिकार हनन के मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच वार-पलटवार शुरू हो गया है।
अब बीजेपी ने इस्तीफों के लिए दबाव बनाने का आधार बनाकर कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ विधानसभा सचिव को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।
25 सितंबर को स्पीकर के सामने पेश होकर बाकी विधायकों के इस्तीफे सौंपने वाले छह मंत्री-विधायकों पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया है।
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी बजट 10 फरवरी को पेश करेंगे। गहलोत ने पहले 8 फरवरी को बजट पेश करने की घोषणा की थी, लेकिन अब विधानसभा की कार्य सलाहकार समिति की बैठक में बजट पेश करने की तारीख बदली गई है। वहीं, 3 से 9 फरवरी तक विधानसभा सदन की छुट्टी रहेगी। सीएम गहलोत 16 फरवरी को बजट बहस का जवाब देंगे। (यहां पढ़ें पूरी खबर)
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