पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने कल शाम चे ग्वेरा के कॉट वाला ट्वीट करते हुए इशारों में वेणुगोपाल की चेतावनी पर तंज कसा। आज सुबह हरीश चौधरी ने वह ट्वीट ही डिलीट कर दिया। हरीश चौधरी ने किसी का नाम नहीं लिखा था, लेकिन जिस तरह संघर्ष से डरने वालों का कब्र से उदाहरण दिया जा रहा था, वह सियासी हलकों में वेणुगोपाल की चेतावनी पर ही तंज माना जा रहा था। इसकी सियासी हलकों में चर्चाएं होने से विवाद के आसार बन गए थे, इसलिए आज वह ट्वीट ही डिलीट कर दिया।
हरीश चौधरी ने मशहूर क्रांतिकारी चे ग्वेरा के क्वोट को ट्वीट करते हुए तंज कसा । उन्होंने लिखा था - मैंने कब्रिस्तान में उन लोगों की भी कब्रें देखी हैं, जिन्होंने इसलिए संघर्ष नहीं किया कि कहीं वे मारे नहीं जाएं।
भारत जोड़ो यात्रा की कमेटी की मंगलवार को हुई बैठक में संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बयानबाजी करने वाले नेताओं पर नाराजगी जताई थी। वेणुगोपाल ने बयानबाजी करने वाले नेताओं को सख्त लहजे में चेतावनी दी थी कि अगर अब किसी ने अपने ही नेताओं के खिलाफ मीडिया में बयान दिए तो उस नेता को 24 घंटे में पद से हटा दिया जाएगा।
इस बैठक में हरीश चौधरी ने वेणुगोपाल की सलाह पर सवाल किया था कि जिस पार्टी नेता को कुछ बात कहनी होगी तो वह कैसे कहेगा? इस पर वेणुगोपाल ने हरीश चौधरी को फटकारने वाले लहजे में कहा था कि जब आप जैसे जिम्मेदार नेता ही इस तरह करेंगे तो कैसे चलेगा।
वेणुगोपाल पर तंज भी और जवाब भी
हरीश चौधरी ने वेणुगोपाल की सलाह के अगले ही दिन बुधवार को बाड़मेर में एक कार्यक्रम के दौरान ओबीसी मुद्दे पर भी बयान देकर जवाब दे दिया है। हरीश चौधरी ने कहा- ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर वन मंत्री हेमाराम चौधरी इस्तीफा देने वाले थे, लेकिन मेरे रिक्वेस्ट करने पर उन्होंने इरादा बदल दिया।
पिछली कैबिनेट मीटिंग में ओबीसी आरक्षण मुद्दे को डेफर करने के बाद कैबिनेट के मंत्रियों से मुलाकात की थी। मंत्री हेमाराम चौधरी इसी मुद्दे को लेकर मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले थे, लेकिन मेरे रिक्वेस्ट करने पर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। हरीश चौधरी बाड़मेर में स्वागत कार्यक्रम में बोल रहे थे।
हेमाराम चौधरी की जरूरत कैबिनेट में है
हरीश चौधरी ने कहा- हम लोगों के संरक्षक मंत्री हेमाराम चौधरी ने मुझसे कहा कि हरीश ओबीसी मुद्दे पर आपका फैसला हो सकता है, मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे दूं। तब मैंने कहा कि यह गलती नहीं करनी है। मैंने रोका कि आपको इस्तीफा नहीं देना है। आपके इस्तीफे से हम लोगों को मदद नहीं मिलेगी।
जहां पर यह निर्णय होना है, वहां पर हमारी आवाज कम हो जाएगी। जो कलम पर हाथ इस्तीफे के थे उसको रोकने का अगर कोई गुनहगार था तो वह हरीश चौधरी है। मंत्री हेमाराम चौधरी की जरूरत कैबिनेट मीटिंग में है। इससे पहले कैबिनेट मीटिंग में डेफर होने की एक वजह यह भी है कि मजबूत पैरवी करने वाला कोई नहीं था।
सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था
हरीश चौधरी ने बीजेपी राज के सर्कुलर को वापस लेने और ओबीसी आरक्षण की विसंगति दूर करने को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। पिछले सप्ताह ही कैबिनेट ने ओबीसी आरक्षण की विसंगति दूर करने के फैसले को मंजूरी दी थी। इससे पहले जब पिछली कैबिनेट में इसका एजेंडा डेफर कर दिया था तो हरीश चौधरी ने सीएम अशोक गहलोत पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए तल्खी वाले बयान दिए थे।
हरीश चौधरी ने सीएम अशोक गहलोत को ट्वीट कर कई सवाल खड़े किए थे। इस मुद्दे पर मंत्री प्रतापसिंह खाचरिवास ने भी चौधरी के बयान पर पलटवार किया था। बाद में खाचरियावास ने सफाई दी थी। इस मुद्दे पर खूब विवाद हुआ था। ओबीसी आरक्षण की विसंगति वाला प्रावधान बदलने के कैबिनेट के फैसले के बाद हरीश चौधरी पहली बार बाड़मेर दौरे पर थे, जहां कई जगहों पर उनके स्वागत कार्यक्रम रखे गए। इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
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