कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सब्र रखने में खुद के साथ सचिन पायलट का उदाहरण दिया है। इससे नई सियासी चर्चाएं छिड़ गई हैं। राहुल गांधी ने कहा- ईडी के अफसरों ने मुझसे आखिरी दिन पूछा कि आपने सब सवालों के जवाब दिए, इतना पेशेंस कहां से आता है? मैंने कहा- यह तो नहीं बता सकता।
राहुल ने कहा- जानते हो, पेशेंस कहां से आया? कांग्रेस पार्टी में 2004 से काम कर रहा हूं। पेशेंस नहीं आएगा तो क्या आएगा? इस बात को कांग्रेस का हर नेता समझता है। देखो सचिन पायलट जी बैठे हुए हैं। सिद्धारमैया बैठे हैं, रणदीप बैठे हैं, सब पेशेंस से बैठे हैं। ये हमारी जो पार्टी है, यह हमें थकने नहीं देती है। यह रोज पेशेंस सिखाती है। राहुल गांधी बुधवार को दिल्ली में एआईसीसी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। एआईसीसी में राजस्थान सहित देश भर के नेताओं की मौजूदगी में राहुल गांधी का सब्र रखने के मामले में सचिन पायलट का नाम लेना कांग्रेस की अंदरुनी सियासत के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है।
जुलाई 2020 के बाद से पायलट बिना पद के
सचिन पायलट जुलाई 2020 के बाद से बिना पद के काम कर रहे हैं। 14 जुलाई 2020 को सचिन पायलट को डिप्टी सीएम और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष से हटा दिया गया था। उनके साथ उनके समर्थक नेताओं और विधायकों को पदों से हटाया गया था। अगस्त 2020 में ही सुलह होने के बाद पायलट खेमे की मांगों को लेकर तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी।
पायलट खेमे की मांगों के आधार पर कांग्रेस ने नवंबर में मंत्रिमंडल फेरबदल में उनके समर्थकों को कैबिनेट में जगह दी। राजनीतिक नियुक्तियों में भी पायलट समर्थकों को जगह मिली। समर्थकों को सत्ता और संगठन में जगह मिल गई, लेकिन खुद पायलट अब भी केवल विधायक ही हैं और उनकी भूमिका तय होनी है।
राहुल के बयान से पायलट को लेकर नैरेटिव बदला
राहुल गांधी के ताजा बयान से सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस के भीतर सियासी नैरेटिव बदला है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस में पेशेंस रखने में खुद के साथ सचिन पायलट का नाम जोड़कर उन्हें तवज्जो दी है। देश भर के नेताओं के बीच इसे मैसेज देने की सियासत से जोड़कर देखा जा रहा है। राहुल गांधी के इस बयान से अब एक बार फिर उनकी अगली भूमिका को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
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