नेताजी की आपत्तिजनक सीडी:अफसर की शादीशुदा महिला से दूसरी शादी; सस्पेंस-किसने चढ़ाई दरगाह में चादर

जयपुर4 महीने पहलेलेखक: गोवर्धन चौधरी
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राजनीति में मानव सुलभ कमजोरियों की चपेट में आकर कई नेता अक्सर गलतियां कर बैठते हैं। एक नेताजी की ऐसी ही गलतियाें की सीडी बन गई है। अब जब किसी नेता की सीडी बन जाए तो बात बाहर फूटना स्वाभाविक है। नेताजी की सीडी के बारे में एक सोशल मीडिया ग्रुप में चर्चा होने लगी।

इस ग्रुप में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष से लेकर कैडर के कई ताकतवर नेता और कार्यकर्ता जुड़े हुए थे। ग्रुप में नेताजी की सीडी को लेकर गर्मागरम बहस होने लगी। बहस में नेताजी की सीडी से संगठन को होने वाले नुकसान और तमाम तरह की निगेटिव बातें होने लगी।

जब मामला ज्यादा बढ़ा तो पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ग्रुप से लेफ्ट कर गए। अध्यक्ष तो शर्म के मारे ग्रुप से लेफ्ट कर गए, लेकिन नेताजी को सीडी की चर्चा से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा, अब दिल्ली ही कुछ करे तो अलग बात है।

अफसर की दूसरी शादी का बवाल सरकार तक पहुंचा, लेटर लीक
एक अफसर का पहली पत्नी के रहते बिना तलाक लिए शादीशुदा महिला से दूसरी शादी करने का मुद्दा सत्ता के गलियारों में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। महिला के पति ने प्रदेश के मुखिया से लेकर हर बड़े अफसर तक शिकायत की है। जिम्मेदार पद पर बैठे अफसर के बारे में पूरे सबूत मुखिया तक पहुंचाए गए हैं।

दूसरी शादी के फोटो तो हैं ही, अफसर के पास बेहिसाब पैसा होने के सबूत भी हैं। महिला के पति ने लेटर में जो सबूत दिए हैं, वे आंख खोलने वाले हैं। बड़े स्तर पर शिकायत पहुंचने के बाद सरकार के विभाग एक्टिव हुए हैं।

अफसर के सियासी रसूख हैं, इसलिए साल भर पहले मामला दर्ज करवाया, लेकिन मामला नक्कारखाने में तूती की तरह दब गया। इस बार मामला काफी ऊपर तक पहुंच गया है, इसलिए एक्शन का इंतजार है। अफसर के जवान बेटा है, ऐसे में हर कोई इस कदम पर हैरान है।

आईएएस का नोस्टेलजिया : जूनियर अफसर के लिए ठेकेदार को फोन
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सरकार के कई महकमे ऐसे हैं जिनका मोह कभी नहीं छूटता। सत्ता के गलियारों में दखल रखने वाले एक अफसर के साथ भी ऐसा ही है। अफसर बहुत पहले शहरी मामलों वाले निगम में थे, वहां से तबादला हुए कई साल बीत गए लेकिन उनकी दिलचस्पी अब भी बरकरार है।

पिछले दिनों उन्होंने एक ठेकेदार को ही सीधा फोन लगा दिया और एक जूनियर अफसर से सहयोग करने का आग्रह कर दिया। जिस वक्त फोन आया उस वक्त ठेकेदार किसी दूसरे अफसर के पास बैठे थे, इससे बात लीक हो गई। अब शहरी मामलों के निगम में आईएएस का फोन टॉकिंग पॉइंट बना हुआ है, क्योंकि ऐसा बहुत कम होता है कि पुराने जूनियर की मदद करने के लिए इस तरह कोई फोन करता हो।

सीमावर्ती जिले के नेताजी की सत्ताधारी पार्टी में घर वापसी की तैयारी

सियासत में कब कौन कहां चला जाए, यह समीकरणों और देश, काल परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कभी मौजूदा प्रदेश मुखिया के खिलाफ हरावल दस्ते में शामिल रहे और फिर भगवा पार्टी में जाकर सांसद बने नेताजी के विचार अब बदल गए हैं। टिकट नहीं मिलने के बाद भगवा पार्टी से नेताजी का मोहभंग हो गया है।

प्रदेश के मुखिया के बारे में भी उनके विचार बदल गए हैं। नेताजी सत्ताधारी पार्टी में आने को तैयार बताए जा रहे हैं लेकिन टिकट की गारंटी के साथ। नेताजी की घर वापसी सीमावर्ती दो जिलों की सियासत को गर्माएगी।

प्रदेश के मुखिया के पूर्व धुर विरोधी नेता को मौजूदा धुर विरोधियों को साधने में इस्तेमाल किया जा सकता है। अब राजनीति में कब कौन दुश्मन दोस्त बन जाए और दोस्त दुश्मन, यह कहना मुश्किल है। इसीलिए कहा जाता है कि सियासत में संबंध इतने भी नहीं बिगाड़ें कि कभी सामने आएं तो नजरें भी न मिला सकें। राजस्थानी में इसके लिए एक कहावत भी है- कुएं से कुआं नहीं मिलता लेकिन आदमी से आदमी मिल जाता है।

संगठन के मुखिया एयरपोर्ट के अंदर क्यों नहीं गए?
सत्ताधारी पार्टी में एक परिपाटी सी बन गई है कि प्रदेश प्रभारी जब भी आते हैं तो संगठन के मुखिया अगवानी के लिए जाते हैं। हाल ही प्रभारी राजधानी आए तो संगठन के मुखिया एयरपोर्ट पर अगवानी को पहुंचे। संगठन मुखिया के साथ में उनके नजदीकी नेताओं की भी अच्छी तादाद थी।

गणतंत्र दिवस की वजह से एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी ज्यादा टाइट थी तो संगठन मुखिया के साथ आए नेताओं को अंदर नहीं जाने दिया। जब नजदीकी नेताओं को अंदर नहीं जाने दिया तो संगठन मुखिया भी नहीं गए। प्रदेश प्रभारी को एयरपोर्ट के पॉर्च से ही रिसीव किया।

नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि प्रभारी को हर बार रिसीव करने की परिपाटी निभाने की जरूरत ही क्या है? पहले ऐसे भी नेता हुए हैं जो एक बार भी अगवानी को नहीं गए। अब संगठन मुखिया के सामने दुविधा अलग है, रिसीव करने जाएं तो भी बात बनती है और न जाएं तो भी , इसलिए हरबार अगवानी की परंपरा कायम रखे हुए हैं।

अध्यक्ष और पूर्व अध्यक्ष में ही सस्पेंस
सत्ताधारी पार्टी की तरफ से हर साल अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह पर चादर पेश की जाती है। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं में चादर को लेकर जबर्दस्त कंफ्यूजन चर्चा का विषय बना हुआ है। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने सोनिया गांधी की तरफ से चादर पेश करने का लिखित बयान जारी किया।

प्रदेश के मुखिया से लेकर संगठन मुखिया और प्रभारी के दौरे के कार्यक्रम भी जारी हो गए। चादर लेकर दिल्ली से आए पार्टी नेता का बयान कुछ और ही था। दिलली से आए युवा नेता ने सार्वजनिक रूप से कहा कि कांग्रेस में चादर प्रतीकातमक रूप से अध्यक्ष की तरफ से पेश होती है। सोनिया गांधी के बाद मल्ल्किार्जुन खड़गे अध्यक्ष बन गए लेकिन चादर चढ़ाने के मामले में बयानों से कंफ्यूजन हो ही गया।

इलेस्ट्रेशन : संजय डिमरी

वॉइस ओवर: प्रोड्यूसर राहुल बंसल

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