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राजस्थान बीजेपी के लिए कोर ग्रुप का गठन कर दिया गया है, कोर ग्रुप में 12 सदस्य और 4 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने कोर ग्रुप के गठन के आदेश और सूची जारी की है। बीजेपी कोर ग्रुप में पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को शामिल करके पिछले कई दिनों से चल रही सियासी चर्चाओं पर विराम लगा दिया है। कोर ग्रुप में सभी वर्गों को साधने की कवायद की गई है। बीजेपी के लिए कमजोर पूर्वी राजस्थान से किसी मीणा नेता को जगह नहीं दी गई है। किसी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष को भी कोर ग्रुप में नहीं लिया है।
बीजेपी कोर ग्रुप में ये नेता शामिल
प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपख गुलाबचंद कटारिया, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे, राज्यसभा सांसद ओमप्रकाश माथुर, प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, अर्जुन मेघवाल, कैलाश चौधरी, प्रदेश उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, लोकसभा सांसद सीपी जोशी और कनकमल कटारा ।
कोर ग्रुप के 4 विशेष आंमत्रित सदस्य
राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भारती बेन शियाल और राष्ट्रीय सचिव अल्कासिंह गुर्जर।
कोर ग्रुप के जरिए सभी वर्गों को साधने की कवायद
बीजेपी के कोर ग्रुप के जरिए लगभग सभी प्रमुख वर्गों को साधने का प्रयास किया गया है। कोर ग्रुप में 3 राजपूत, दो जाट,एक वैश्य, एक ब्राहृमण, एक गुर्जर, एक यादव, एक माली, एक दलित और एक आदिवासी को जगह दी गई है।
बीजेपी के लिए कमजोर पूर्वी राजस्थान से किरोड़ी जसकौर सहित किसी नेता को जगह नहीं, बागड़ के आदिवासी नेता को जगह
कोर ग्रुप में पूर्वी राजस्थान से किसी मीणा नेता को जगह नहीं मिली है, इसकी जगह आदिवासी नेता कनकमल कटारा को जगह दी गई है। पूर्वी राजस्थान से बांदीकुई से पूर्व विधायक रहीं और अब राष्ट्रीय सचिव अल्का सिंह को जरूर विशेष आंमत्रित सदस्य बनाया गया है। पूर्वी राजस्थान अभी बीजेपी के लिए कमजारे कड़ी है,वहां से किसी मीणा नेता को जगह नहीं देकर जरूर चौंकाया है। पूर्वी राजस्थान से जसकौर मीणा और किरोड़ीलाल मीणा दावेदार थे लेकिन दोनों के बीच सियासी अनबन रही है।
किसी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष को भी जगह नहीं आउट
कोर ग्रुप में किसी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष को जगह नहीं दी गई है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी,अशोक परनामी कोर ग्रुप के दावेदार थे लेकिन उन्हें जगह नहीं दी गई।
काेर ग्रुप के जरिए सियासी संतुलन बनाने की कवायद :
राजनीतिक प्रेक्षकों के मुताबिक कोर ग्रुप में परस्पर विरोधी खेमों के नेताओं को जगह देकर एक सियासी संतुलन साधने की कवायद की गई है। हर माह बैठक करने का फरमान भी है ताकि इन नेताओं के बीच ज्यादा कम्युनिकेशन गैप नहीं रहे और नियमित अंतराल पर मुलाकात से गंभीर मतभेद पैदा होने जैसे हालात न बनें।
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