मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के सियासी बवाल और सचिन पायलट से सियासी खींचतान से जुड़े सवाल पर सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया। जब गहलोत से सचिन पायलट से तालमेल की कमी, पायलट की नाराजगी और खड़गे से मुलाकात पर पूछा तो कहा कि- अगली बार जब वे आएं तो उनसे पूछना। हमारे से ज्यादा महत्व रहेगा। गहलोत सूरत में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
गुजरात चुनावों के बीच कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेताओं और विधायकों के सवाल पर गहलोत ने कहा- यह हमारे लिए कोई चिंता का विषय नहीं है। हम तो अब भी कहते हैं आने वाले का भी स्वागत है, जाने वाले का भी स्वागत है।
कांग्रेस इतना बड़ा संगठन है। आज 135 साल हो गए, कांग्रेस ने देश को आजादी दिलाई। हर गांव कस्बे में आपको कांग्रेस मिलेगी। आज जो सत्ता में बैठे हैं। ये लोग तो अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे।
कांग्रेस का गलत पर्सेप्शन बनाया गया
गहलोत ने गुजरात चुनावों में आप पार्टी के असर और कांग्रेस, बीजेपी को नुकसान के सवाल पर कहा कि हम तो आम आदमी पार्टी को कुछ गिनते नहीं हैं। हम तो यह कह रहे हैं कि हमने जो वादे किए थे। जो काम किया है, उसे देख लीजिए।
इनके वादे और काम देख लीजिए। इसके बाद तुलना करके वोट दे दीजिए। गुजरात में जानबूझकर कांग्रेस को लेकर गलत पर्सेप्शन बनाया गया।
गांधी के फोटो हटाने वालों को गुजरात में घुसने क्यों दिया?
गहलोत ने आप पार्टी और केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा। गहलोत ने कहा- आप पार्टी को आपने गुजरात में घुसने क्यों दिया? जिस गांधी के कारण आज देश की पहचान है। पूरी दुनिया में मान सम्मान है। पहली बार किसी राजनीतिक पार्टी ने गांधी की तस्वीर हटाने की हिम्मत की है।
गुजरात वाले तो कभी इन्हें स्वीकार नहीं करेंगे। पंजाब में इन्होंने सरकार बनते ही गांधी की तस्वीर हटा दी। ये इस तरह के लोग हैं। जनता इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगी।
नोटों पर लक्ष्मी, गणेश की फोटो लगाने के अरविंद केजरीवाल के बयान पर गहलोत ने कहा- सामान नहीं होता है तो ऐसे मुद्दे ही लेकर आते है। कोई लालू यादव, मुलायम सिंह के फोटो लगाने की मांग भी कर रहे हैं। यह क्या राजनीति है। डेमोक्रेसी में प्रोग्राम पॉलिसी की बात होती है।
गुजरात में गहलोत के पायलट पर बोलने से बचने के सियासी मायने
सीएम अशोक गहलोत के सचिन पायलट से खींचतान को लेकर जवाब देने से बचने के सियासी मायने हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद अब राजस्थान के सियासी विवाद पर फैसला बाकी है। गहलोत की चुप्पी को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
25 सितंबर को गहलोत खेमे के विधायकों के विधायक दल की बैठक के बहिष्कार के बाद से पायलट ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है।
हालांकि गहलोत सभाओं में इस मुद्दे पर कई बार बयान दे चुके हैं लेकिन अब गुजरात में गहलोत पायलट पर बोलने से बच रहे हैं।
गुजरात चुनाव में गहलोत सीनियर पर्यवेक्षक हैं, इस नाते वे कोई विवाद नहीं चाहते। पायलट के मुद्दे को ज्यादा हवा देने से गुजरात में कांग्रेस को नुकसान होता है, इसलिए इस पर सधा हुआ जवाब देने या चुप रहने की रणनीति पर ही चल रहे हैं। 31 अक्टूबर को पायलट भी गुजरात चुनाव के लिए प्रचार में उतर रहे हैं।
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष पद संभालने के बाद अब राजस्थान को लेकर लंबित फैसलों पर एक्शन होने के आसार बन रहे हैं। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने 27 अक्टूबर को खड़गे से मुलाकात कर लंबी चर्चा की है। खड़गे के अध्यक्ष का चार्ज संभालने के बाद पायलट ने पहली बार उनसे मुलाकात की है। खड़गे से पायलट की मुलाकात के सियासी मायने हैं। (पढ़ें पूरी खबर)
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