देश का संविधान बनाने वाली संविधान सभा में राजस्थान के 12 नेताओं में से 6 ने मुखर होकर सुझाव दिए थे। संविधान सभा की बहस में ही राजस्थान कांग्रेस के आगे के विवाद का बीज पड़ गया था।
माउंट आबू और सिरोही को गुजरात में मिलाने का माणिक्यलाल वर्मा और जयनारायण व्यास ने संविधान सभा में खुलकर विरोध किया था, जिसके चलते सरदार पटेल नाराज हो गए थे।
पटेल की इस नाराजगी के कारण आगे चलकर इन दोनों नेताओं के खिलाफ रियासती मंत्रालय ने जांच करवाई थी।
दोनों नेताओं के खिलाफ घोटाले के आरोप में मुकदमे तक चले थे। माणिक्यलाल वर्मा और व्यास बरी हुए थे, लेकिन इन बहसों से ही कांग्रेस में फूट की शुरुआत हो गई थी।
संविधान सभा में माणिक्यलाल वर्मा ने खुलकर पटेल के आइडिया का विरोध किया था। उस समय संविधान सभा के मेंबर हीरालाल शास्त्री को पटेल का नजदीकी माना जाता था, जबकि माणिक्यलाल वर्मा और जयनारायण व्यास उनकी पसंदीदा लिस्ट में नहीं माने जाते थे।
राजनीति के जानकारों के मुताबिक उस समय पर सरदार पटेल और पंडित नेहरू के पसंदीदा नेताओं के हिसाब से राजस्थान में भी टॉप टू बॉटम नेताओं के गुट बने थे।
माणिक्यलाल वर्मा ने सरदार पटेल के सिरोही, माउंट आबू को गुजरात में मिलाने के आइडिया के साथ केंद्र राज्य संबंधों, रियासती मंत्रालय से जुड़े मुद्दों पर खुलकर सरदार पटेल के खिलाफ राय रखी थी। माणिक्यलाल वर्मा राजाओं के कड़े आलोचक थे।
संविधान को सजाने में सीकर के कृपाल सिंह शेखावत ने किया था सहयोग
भारतीय संविधान की मूल कॉपी में 22 चित्र बनाए गए हैं, ये चित्र शांति निकेतन के मशहूर चित्रकार नंदलाल बसु ने बनाए थे।
नंदलाल बसु के शिष्य कृपाल सिंह शेखावत ने संविधान की चित्रकारी में सहयोग किया था। आगे चलकर कृपाल सिंह शेखावत बहुत मशहूर चित्रकार हुए।
उन्होंने ब्लू पॉट्री पेंटिंग में शानदार काम किया था। कृपाल सिंह शेखावत सीकर जिले के मउ गांव के रहने वाले थे। उन्हें कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किे लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। 2008 में उनका निधन हुआ था।
भरतपुर के बाबू राजबहादुर संविधान सभा में सबसे ज्यादा बोलने वाले राजस्थानी
राजस्थान के 12 प्रतिनिधियों में भरतपुर के स्वतंत्रता सेनानी बाबू राजबहादुर सबसे ज्यादा बोलने वाले प्रतिनिधि थे।
बाबू राजबहादुर ने लगभग हर बैठक में खुलकर अपनी बात रखी। रियासतों में बेगारी प्रथा खत्म करवाने में उनका बड़ा योगदान रहा है। आगे चलकर बाबू राजबहादुर भरतपुर से सांसद भी बने थे।
संविधान सभा में राजस्थान के 12 प्रतिनिधि थे
संविधान सभा में राजस्थान से 12 प्रतिनिधि थे, जिनमें 11 प्रतिनिधि रियासतों से और एक अजमेर मेरवाड़ा से थे। जयपुर रियासत से सबसे ज्यादा तीन प्रतिनिधि थे।
संविधान सभा में जयपुर से वी.टी. कृष्णामाचारी, हीरालाल शास्त्री,सरदार सिंह खेतड़ी संविधान सभा के मेंबर थे।
जोधपुर से जयनारायण व्यास, उदयपुर से माणिक्यलाल वर्मा और बलवंत सिंह मेहता, कोटा से लेफ्टिनेंट कर्नल दलेल सिंह, बीकानेर से जसवंत सिंह, शाहपुरा भीलवाड़ा से गोकुल लाल असावा, भरतपुर से बाबू राजबहादुर, अलवर से रामचंद्र उपाध्याय और अजमेर मेरवाड़ा से मुकुट बिहारी लाल भार्गव संविधान सभा मेंबर थे।
पटेल समर्थक हीरालाल शास्त्री ने की थी केंद्र को मजबूत बनाने की पैरवी
केंद्र-राज्य संबंधों और अधिकारों को लेकर संविधान सभा की बहस में राजस्थान के प्रतिनिधियों ने भी सुझाव दिए थे।
सरदार पटेल के समर्थक और जयपुर से संविधान सभा के मेंबर हीरालाल शास्त्री ने संविधान सभा में कहा था कि केंद्र सरकार के पास पर्याप्त ताकत और शक्तियां होनी चाहिए।
केंद्र सरकार को हर हाल में मजबूत करना चाहिए। केंद्र सरकार कमजोर होगी तो देश में शांति नहीं होगी। देश में शांति बनाए रखना सबसे बड़ा काम है।
बाबू राजबहादुर ने किया था कटाक्ष
भरतपुर से प्रतिनिधि बाबू राजबहादुर ने संविधान सभा की बैठकों में बेगारी प्रथा को खत्म करने, जनता को अधिकार देने और रियासतों में राजाओं के अत्याचारों पर खुलकर बात रखी थी।
बाबू राजबहादुर ने बिना पैसे दिए लोगों से काम लेने की प्रथा बंद करवाने पर संविधान सभा में तल्ख अंदाज में बात रखी थी।
उन्होंने कहा था- हमारे इलाके में राजा और राजकुमार कड़ाके की ठंड में बतख का शिकार करते हैं, उस सर्दी में कमर तक पानी में लोग खड़े रहते हैं।
उन्हें कोई पैसा नहीं दिया जाता, यह बेगार प्रथा बंद होनी चाहिए। देश को आजादी मिल गई लेकिन राजाओं की गुलामी से मुक्ति नहीं मिल है। लोग हमसे पूछते हैं ऐसी आजादी का क्या मतलब?
बीकानेर के प्रतिनिधि ने की थी राजाओं की पैरवी
बीकानेर के प्रतिनिधि जसवंत सिंह ने संविधान सभा की बहस में जागीरदारों और राजाओं का पक्ष लेते हुए कहा था कि जागीरदार सबसे पहले भारतीय हैं।
मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यदि हमारे प्रश्न को सरदार पटेल जैसे किसी प्रतिष्ठित नेता द्वारा चतुराई से हल किया जाता है तो मुद्दों का समाधान कोई मुश्किल काम नहीं है।
देशभक्ति के मामले में जागीदारदार किसी भारतीय से कम नहीं मिलेंगे। कई मंत्री और कांग्रेस नेता जागीरदारों और राजाओं के प्रति जिस तरह की अभद्र भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं उससे कोई फायदा नहीं होने वाला है।
माणिक्यलाल वर्मा ने कहा था-जागीरदार गृह मंत्रालय को धमका रहे हैं
स्वतंत्रता सेनानी माणिक्यलाल वर्मा राजाओं और जागिरदारों के कटु आलोचक थे। संविधानसभा की बहस में वर्मा ने कहा था- मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि सामंतवाद आज जिस स्थिति में पहुंच रहा है, वहां के हालात भयानक हैं। राजस्थान में जहां से मैं आया हूं, वहां जागीरदारों के दो वर्ग हैं।
एक वर्ग सोचता है कि जागीरदारी का उन्मूलन अब निश्चित है और उसने पहले ही कृषि और कुछ अन्य व्यवसायों को अपना लिया है।
जागीरदारों का दूसरा वर्ग आतंक पैदा करके भारत सरकार को प्रभावित करना चाहता है। वे पहले ही भारत सरकार के राज्य मंत्रालय को धमकाना शुरू कर चुके हैं और इस विश्वास के साथ आतंक फैला रहे हैं कि इन तरीकों को अपनाने से वे अपनी जागीरों को बचा पाएंगे, इसे जल्द से जल्द दबाया जाना चाहिए।
बाबू राजबहादुर ने कहा था- राज्यसभा का कोई मतलब नहीं
भरतपुर के प्रतिनिधि बाबू राजबहादुर ने राज्यसभा के गठन का विरोध करते हुए इसे बेकार बताया था। बाबू राजबहादुर ने कहा था- संविधान में राज्यसभा का प्रावधान मुझे निरर्थक लगता है, क्योंकि एक उच्च सदन ने हमेशा लोगों की प्रगति पर एक गतिरोध के रूप में काम किया है। यह पश्चिम की गुलामी की नकल की बू आती है और काफी अनावश्यक है।
आगे जानिए राजस्थान से संविधान सभा के बाकी मेंबर्स के बारे में...
मुकुट बिहारी लाल भार्गव
मुकुट बिहारी लाल भार्गव पेशे से वकील थे। गांधी जी से प्रभावित होकर राज बंदियों की पैरवी करते थे। भारत छोड़ो आंदोलन में जेल गए अजमेर मेरवाड़ा प्रांत से इन्हें संविधान सभा में मेंबर बनाया गया। आजादी के बाद तीन बार अजमेर से सांसद रहे।
वीटी कृष्णमाचारी
जयपुर रियासत के दीवान थे। जयपुर रियासत से इन्हें संविधान सभा का मेंबर बनाया गया। बाद में 1961 में इन्हें राज्यसभा के लिए भी चुना गया था। मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले थे।
जय नारायण व्यास
पत्रकारिता से राजनीति में आए। आजादी के आंदोलन में कई अखबार निकालें। दो बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। यह जोधपुर रियासत से संविधान सभा के मेंबर बने थे।
बलवंत सिंह मेहता
उदयपुर से संविधान सभा के मेंबर बलवंत सिंह मेहता संविधान सभा के मेंबर के तौर पर मूल संविधान की कॉपी पर दस्तखत करने वाले पहले राजस्थानी थे। बलवंत सिंह मेहता उदयपुर क्षेत्र के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी थे। 1938 में प्रजामंडल के पहले अध्यक्ष बने थे।
लेफ्टिनेंट कर्नल दलेल सिंह कोटा से संविधान सभा के मेंबर बने थे। कानून के अच्छे जानकार माने जाते थे। वहीं, सरदार सिंह खेतड़ी के राजा थे। जयपुर रियासत से संविधान सभा के मेंबर रहे।
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