प्रदेश में तीसरी लहर में लगातार कोरोना के केस बढ़ने के बाद सरकार ने एक बार फिर सख्ती बढ़ाने की तैयारी कर ली है। इस बार उन जिलों में पाबंदियां बढ़ सकती है, जहां पॉजिटिविटी रेट ज्यादा है। वहां स्थानीय स्तर पर कंटेनमेंट जोन बनाकर पाबंदियां बढ़ाई जा सकती है। इसको लेकर सीएम एक-दो दिन में कोरोना रिव्यू बैठक बुलाकर गाइडलाइन पर चर्चा कर सकते हैं। इसके कुछ समय बाद नई गाइडलाइन आ सकती है।
सीएम की बैठक के बाद गाइडलाइन के कुछ प्रावधानों में बदलाव हो सकता है। जिन इलाकों में केस ज्यादा हैं, वहां 31 जनवरी के बाद भी स्कूल बंद रखने का फैसला लिया जा सकता है। पॉजिटिविटी रेट 20 फीसदी के आसपास है, उन इलाकों में सख्ती बढ़ाना तय माना जा रहा है। इन इलाकों में संडे कर्फ्यू के बजाय शनिवार-रविवार को वीकेंड कर्फ्यू लगाया जा सकता है।
कई बड़े धार्मिक स्थलों पर लगाई पाबंदी
प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर प्रसाद और पूजा सामग्री पर पहले से रोक लगी हुई है। इस बीच कई बड़े धार्मिक केंद्रों ने श्रद्धालुओं की एंट्री बंद कर दी है। वीकेंड कर्फ्यू के दिन ज्यादातर धार्मिक स्थल बंद थे।
9 जिलों में पॉजिटिविटी रेट 15 फीसदी से ज्यादा
प्रदेश के 15 जिलों में वीकली पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा है। 9 जिलों में पॉजिटिविटी रेट 15 फीसदी से ऊपर है, जिसे एक्सपर्ट खतरनाक बता रहे हैं। जोधपुर, जयपुर, उदयपुर, बीकानेर, कोटा, भरतपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ की पॉजिटिविटी रेट 15 फीसदी से ज्यादा है। जयपुर और जोधपुर तो 24 फीसदी पॉजिटिविटी रेट के साथ खतरे के निशान पर सबसे ऊपर हैं।
10% से ज्यादा संक्रमण दर पर कंटेनमेंट जोन बनाएं
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार 10 फीसदी से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट है, उन इलाकों में कंटेनमेंट जोन बनाकर पाबंदियां लगाना जरूरी है। राजस्थान में ज्यादातर इलाकों में अभी उस स्तर की सख्ती नहीं की गई है। अब ज्यादा प्रभावित इलाकों में सख्ती बरती जाना तय है।
रेड जोन में कलेक्टर भी लगा सकते हैं पाबंदी
शहरों में 1 लाख जनसंख्या पर 100 एक्टिव केस हैं, उन्हें रेड जोन में रखा गया है। रेड जोन वाले इलाकों में कलेक्टर स्थानीय स्तर पर पाबंदियां लगा सकते हैं। इनमें मिनी लाॅकडाउन से लेकर कंटेनमेंट जोन बनाने जैसी पाबंदियां शामिल हैं। अभी तक कलेक्टर ने सख्ती नहीं की है। सीएम अगली रिव्यू बैठक में रेड जोन में सख्त पाबंदियां लगाने के निर्देश दे सकते हैं। सीएम स्तर से निर्देश मिलने के बाद रेड जोन में पाबंदियँ बढ़ना तय माना जा रहा है।
रेड जोन, यलो जोन में पाबंदियों के प्रावधान
शहरों में 1 लाख जनसंख्या पर 100 एक्टिव केस हैं, उन्हें रेड जोन में रखा गया है। ऐसे इलाके जहां 51 एक्टिव केस हैं, उसे येलो जोन में रखा गया है। 1 लाख की जनसंख्या पर 50 या इससे कम एक्टिव केस वाला क्षेत्र ग्रीन जोन में है। इसी तरह, जिस गांव में 20 एक्टिव केस होंगे, वह रेड जोन में माना जाएगा। 20 से कम एक्टिव केस पर येलो जोन होगा। जिस गांव में एक भी केस नहीं होगा, उसे ग्रीन जोन में ही रखा जाएगा। गांव में एक भी केस हुआ, तो उसे येलो जोन में गिना जाएगा। रेड और येलो जोन में स्थानीय प्रशासन को सख्ती बरतने और पाबंदी लगाने के अधिकार दिए हुए हैं।
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