राज्यपाल ने गहलोत सरकार को खरी-खरी सुनाई:बोले- MLA को नहीं मिल रहे अवसर; सम्मेलन में स्पीकरों की मांग- राष्ट्रपति हस्तक्षेप करें

जयपुर3 महीने पहले
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राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। विधानसभा के सत्र का सत्रावसान नहीं करने को लेकर राज्यपाल ने राज्य सरकार को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा- राज्य सरकार की सिफारिश पर विधानसभा का सत्र बुलाने का अधिकार राज्यपाल को होता है।

असेंबली सेशन का सत्रावसान नहीं कर सीधे सत्र बुलाने की जो परिपाटी बन रही है, वह लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए घातक है। इससे विधायकों को तय संख्या में सवाल पूछने के अलावा अवसर नहीं मिलते हैं। विधायक सवाल नहीं पूछ सकते।

गुरुवार को राज्यपाल अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (AIPOC) के समापन समारोह में बोल रहे थे। वहीं, सम्मेलन में पहुंचे 27 राज्यों के विधानसभा अध्यक्षाें और सभापतियों ने अब तक का सबसे कड़क प्रस्ताव पास किया है। राजस्थान के अलावा आंध्र प्रदेश, झारखंड, असम, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना सहित कई राज्यों ने ज्यूडिशियरी और विधायिका के बीच टकराव रोकने के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है। हालांकि, यह प्रस्ताव सार्वजनिक नहीं किया गया है।

भास्कर से विशेष बातचीत में 16 से अधिक स्पीकर और सभापतियाें ने कहा- समय आ गया है, जब राष्ट्रपति संसद, विधायिका के कामकाज में बढ़ रहे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दखल पर सख्त फैसला लें। राष्ट्रपति के पास ही ये अधिकार हैं। चाहे पीएम और लोकसभा स्पीकर को मिलकर राष्ट्रपति को तैयार करना पड़े, पर इस प्रस्ताव को धरातल पर उतारना है।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने गुरुवार को विधानसभा में दो दिवसीय स्पीकर्स सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा- सदन की बैठकों की कम होती संख्या चिंता की बात है। इससे जनता की समस्याओं को उठाने का समय नहीं मिल पाता है।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने गुरुवार को विधानसभा में दो दिवसीय स्पीकर्स सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा- सदन की बैठकों की कम होती संख्या चिंता की बात है। इससे जनता की समस्याओं को उठाने का समय नहीं मिल पाता है।

सरकार को घेरा

विधानसभा में 2 दिवसीय स्पीकर्स सम्मेलन के समापन समारोह में गुरुवार को राज्यपाल ने कहा- विधानसभा सत्र का सत्रावसान नहीं होने का विधायकों को नुकसान होता है। सवाल पूछने का मौका नहीं मिलने से संवैधानिक प्रक्रियाएं पूरी नहीं होती हैं।

राज्यपाल ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा- विधानसभाओं का विधिवत सत्रावसान हो और नया सत्र बुलाया जाए। इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। राज्यपाल कोई व्यक्ति नहीं है, वह संवैधानिक संस्था है। उसे जब संवैधानिक आधार पर यह संतुष्टि हो जाती है कि कोई बिल या अध्यादेश औचित्यपूर्ण है, तभी वह उसे मंजूरी देता है।

राज्यपाल ने कहा- सदन की बैठकों की कम होती संख्या चिंता की बात है। इससे जनता की समस्याओं को उठाने का समय नहीं मिल पाता है। सदन में प्राइवेट मेंबर बिल को बढ़ावा दिया जाए।

बिल पारित करने के कारण जल्दबाजी में निपटाए जाते हैं। इससे कानून प्रभावी नहीं हो पाते। सदन में कई बार हंगामे के बीच बिल पारित किए जाते हैं, कुछ पता ही नहीं लगता। यह सही नहीं है।

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में मौजूद देश की विधानसभाओं के अध्यक्ष। दो दिवसीय इस सम्मेलन का समापन गुरुवार को हुआ।
अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में मौजूद देश की विधानसभाओं के अध्यक्ष। दो दिवसीय इस सम्मेलन का समापन गुरुवार को हुआ।

पायलट खेमे की बगावत के बाद से बजट सत्र को कंटीन्यू रखा जा रहा

सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय जुलाई 2020 में विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सरकार और राजभवन में विवाद हो गया था। सीएम गहलोत ने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन में धरना दिया।

तब असेंबली सेशन बुलाने की मंजूरी राज्यपाल के स्तर से दी गई थी। उस घटना के बाद से विधानसभा सत्र का सत्रावसान नहीं करके उसे कंटीन्यू रखा जा रहा है।

सामान्य रूप से परंपरा रही है कि हर विधानसभा के सत्र के बाद उसका सत्रावसान किया जाता है। सत्रावसान के बाद विधानसभा की बैठक बुलाने के लिए नए सिरे से राजभवन को फाइल भेजनी होती है। जुलाई 2020 में हुए टकराव के बाद से सरकार ने अब नया रास्ता निकाल लिया है।

पिछले तीन बार से विधानसभा सत्र को कंटीन्यू रखा जा रहा है। बजट सत्र से कुछ दिन पहले ही सत्रावसान करवाया जाता है। उसके तत्काल बाद सत्र बुलाने की तारीख तय करवा ली जाती है। राज्यपाल ने एक ही सत्र को कंटीन्यू रखने पर आपत्ति जताई है।

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के दूसरे दिन (समापन) गुरुवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- हमारी चिरंजीवी स्कीम अनूठी है। इसे देश भर में लागू किया जाए। राइट टू हेल्थ कानून पूरे देश में लागू हो।
अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के दूसरे दिन (समापन) गुरुवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- हमारी चिरंजीवी स्कीम अनूठी है। इसे देश भर में लागू किया जाए। राइट टू हेल्थ कानून पूरे देश में लागू हो।

गहलोत बोले- देश में बने सोशल सिक्योरिटी कानून

सीएम अशोक गहलोत ने समापन सत्र में सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को गिनाते हुए इन्हें पूरे देश में लागू करने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा- हमारी चिरंजीवी स्कीम अनूठी है। इसे देश भर में लागू किया जाए। राइट टू हेल्थ कानून पूरे देश में लागू हो।

अब वक्त आ गया है कि सोशल सिक्योरिटी एक्ट बने। दुनिया के विकसित देशों में हर सप्ताह पैसा मिलता है। जरूरतमंदों का भरण-पोषण करना सरकार की जिम्मेदारी है। लोकसभा स्पीकर यहां बैठे हैं। वे पीएम मोदी से कहकर सोशल सिक्योरिटी कानून बनवाएं।

अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन के मौके पर गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा- देश की जनता के हित के कानून तभी बनेंगे, जब कानून बनाने की पूरी प्रक्रिया में समय मिलेगा।
अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन के मौके पर गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा- देश की जनता के हित के कानून तभी बनेंगे, जब कानून बनाने की पूरी प्रक्रिया में समय मिलेगा।

लोकसभा अध्यक्ष बोले- बिलों पर खूब बहस हो
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- सरकारें सदन में एक घंटे पहले बिल लाती हैं। कानून बनने से पहले पर्याप्त समय मिलना चाहिए। देश की जनता के हित के कानून तभी बनेंगे, जब कानून बनाने की पूरी प्रक्रिया में समय मिलेगा।

जनता से संवाद किया जाएगा। कानूनों पर जितनी डिबेट होगी, उतना ही अच्छा कानून बनेगा। विधानसभाओं में बैठकों का समय घट रहा है। विधानसभा की समितियों को और मजबूत बनाना होगा।

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संसद विधानसभाओं के नियमों में एकरूपता लाई जाएगी
ओम बिरला ने कहा- जिन प्रतिनिधियों को हम चुनकर भेजते हैं, उनका बर्ताव कैसा हो? उच्च कोटी की परंपराओं और मर्यादाओं का पालन करें। संसद विधानसभाओं में संवाद हो, लेकिन बेवजह हंगामा गलत है।

संसद और विधानसभाओं की एक चिंता है कि नियोजित तरीके से सदनों को स्थगित करवाना, बेल में आकर हंगामा करना लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। हमने प्रस्ताव पारित किया है कि संसद और विधानसभाओं के नियमों में एकरूपता लाई जाए।

हरिवंश बोले- साढ़े छह करोड़ केस पेंडिंग होने के बावजूद आज भी हमसे ज्यादा क्रेडिबलिटी अदालतों की

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा- स्पीकर्स सम्मेलन में ससंद,विधानसभाओं की साख, गरिमा और लोक सम्मान कैसे वापस लौटे इस पर चर्चा हुई है। हमारे विधायक और सांसद सदनों के कैसे ज्यादा से ज्यादा रहें।

हमारे एक स्पीकर ने तो यह भी कहा कि साढ़े छह करोड़ मामले पेंडिंग होने के बावजूद हमसे ज्यादा साख अदालतों की है। हमें जनता के बीच हमारी साख बनाने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें सेल्फ डिसिप्लीन की तरफ ध्यान देना होगा।

यह भी सुझाव आया है कि विधानसभा की मिनिमम सिटिंग के लिए काननू बने, दलबदल पर फिर से विचार करने पर भी चर्चा हुई है।

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4 अधिकारों के लिए छिड़ी अदालतों- विधानसभा में लड़ाई:सुप्रीम कोर्ट- हाईकोर्ट से क्यों नाराज हैं उपराष्ट्रपति से लेकर लोकसभा-विधानसभा अध्यक्ष और CM

विधानसभा स्पीकर्स के सम्मेलन के दौरान उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट के बढ़ते दखल पर जिस तरह तल्ख तेवर दिखाए हैं, उसे लेकर नई बहस शुरू हो गई है। राजस्थान में विधानसभा और कोर्ट के बीच पहले भी टकराव होता रहा है। पुराने लोकसभा अध्यक्ष भी सुप्रीम कोर्ट के दखल पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। विधानसभा स्पीकर्स के सम्मेलन से अदालतों के हस्तक्षेप का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। (पूरी खबर पढ़ें)

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