राजस्थान के शहरी और ग्रामीण इलाकों में भीषण गर्मी के दौरान 7-8 घंटे तक रोजाना बिजली की कटौती की जा सकती है। गांवों-कस्बों के साथ ही अब शहरी इलाकों में भी बिजली काटने के निर्देश दे दिए गए हैं। एनर्जी डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और डिस्कॉम्स चेयरमैन भास्कर ए. सावंत ने बताया कि राजस्थान में बिजली की मांग 31 फीसदी बढ़ गई है। अप्रैल 2021 की तुलना में इस साल 6 करोड़ 69 लाख यूनिट की डिमांड बढ़ी है, जबकि प्रोडक्शन घट गया है।
राजस्थान में अप्रैल 2021 में 21 करोड़ 31 लाख यूनिट बिजली की रोजाना औसत डिमांड थी। अप्रैल 2022 में बढ़कर यह रोजाना 28 करोड़ यूनिट के पार जा चुकी है। पिछले साल अप्रैल में 11570 मेगावाट प्रतिदिन बिजली की मांग थी, जो इस साल बढ़कर 13700 मेगावाट पहुंच चुकी है। प्रिंसीपल सेक्रेट्री भास्कर ए. सावंत के मुताबिक भीषण गर्मी, कोविड के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी की वजह से पूरे देश में बिजली की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही है। बिजली की मांग में बढ़ोतरी के चलते देश के अलग-अलग राज्यों में 7-8 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है।
प्रदेश की तीनों बिजली कंपनी- जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (AVVNL) और जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JDVVNL) को लोड शेडिंग कर फिलहाल करीब 2 करोड़ 12 लाख यूनिट बिजली की कटौती करनी पड़ रही है। रोटेशन के तहत फीडर को बंद करके अलग-अलग इलाकों की बिजली काटी जा रही है। अब तक इसकी सबसे ज्यादा मार गांवों और कस्बों पर पड़ रही थी। अब शहरी इलाकों में भी रोस्टर से बिजली काटने के निर्देश दे दिए गए हैं।
रोस्टर से होगी बिजली कटौती
सावंत ने कहा ऐसे हालात में जरूरी सेवाओं जैसे- हॉस्पिटल, ऑक्सीजन प्लांट, पीने के पानी की सप्लाई, मिलिट्री इंस्टॉलेशन को बिना रुकावट सप्लाई देने के लिए कटौती जरूरी हो गई है। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बाकी जगह बिजली कटौती के निर्देश सभी संबंधित अधिकारियों को दे दिए गए हैं। यह कटौती कुछ समय के लिए लागू की जा रही है और जैसे ही हालात सामान्य होंगे तो इसे बंद कर दिया जाएगा।
कोयले की कमी के कारण बिजली प्रोडक्शन घटा
राजस्थान सरकार ने इस साल पहली बार यह माना है कि कोयले की कमी के कारण प्रदेश में बिजली के प्रोडक्शन में कमी आई है। प्रदेश में 35 फीसदी बिजली प्रोडक्शन घट गया है। कोयले की कमी के कारण थर्मल पाॅवर प्लांट्स पूरी कैपेसिटी से बिजली पैदा नहीं कर पा रहे हैं। इसके कारण बिजली की उपलब्धता में कमी आई है।
भास्कर ए. सावंत ने कहा कि प्रदेश में 10 हजार 110 मेगावाट कैपेसिटी के थर्मल पावर प्लांट लगे हैं, लेकिन केवल 6600 मेगावाट बिजली प्रोडक्शन ही रोजाना हो पा रहा है। कोयले की कमी का सामना दूसरे राज्यों के साथ ही राजस्थान के थर्मल पावर प्लांट्स को करना पड़ रहा है। प्रदेश में बिजली की बढ़ी हुई मांग पूरी नहीं हो पा रही है। विभाग के मुताबिक एनर्जी एक्सचेंज, शॉर्ट टर्म टेंडरिंग और दूसरे सोर्सेज से मंहगे दामों पर भी जरूरत के मुताबिक पूरी बिजली नहीं मिल पा रही है।
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